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हेलीकॉप्टर हादसे में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मृत्यु

हेलीकॉप्टर हादसे में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मृत्यु

अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करने के लिए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को हाल ही में शौर्य पुरस्कार मिला था। वह सेना के हेलीकॉप्टर हादसे में एकमात्र जीवित बचे थे।

तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की भी आज मृत्यु हो गयी। उनका बेंगलुरु के कमांड अस्पताल में इलाज चल रहा था। सेना के उस हेलीकॉप्टर हादसे में चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत समेत 13 लोगों की मृत्यु पहले ही हो गई थी। 

भारतीय वायु सेना ने इसकी पुष्टि की है। इसने ट्वीट कर कहा है, 'भारतीय वायुसेना को बहादुर ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन की सूचना देते हुए गहरा दुख है। 8 दिसंबर 21 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आई चोटों के कारण उनकी आज सुबह मृत्यु हो गई। भारतीय वायुसेना गहरी संवेदना व्यक्त करती है और शोक संतप्त परिवार के साथ मज़बूती से खड़ी है।'

हादसे के बाद से ही ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह लाइफ़ सपोर्ट पर थे। बीच में एक समय ख़बर आई थी कि उनकी हालत में सुधार है, लेकिन अधिकतर बार यही रिपोर्ट आती रही थी कि उनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। वरुण सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले थे और उनके पिता केपी सिंह सेना में कर्नल के पद से रिटायर हुए हैं। वह कांग्रेस के नेता अखिलेश प्रताप सिंह के भतीजे थे।

वरुण सिंह को इस साल अगस्त महीने में शौर्य चक्र मिला था। यह सम्मान उन्हें इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने इमरजेंसी की स्थिति में भी तेज़स लड़ाकू विमान को सुरक्षित तरीक़े से उतार लिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है, 'ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने गर्व, वीरता और बेहद प्रोफेशनलिज़्म के साथ देश की सेवा की। उनके निधन से बेहद आहत हूँ। राष्ट्र के लिए उनकी समृद्ध सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उनके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं। ओम शांति।'

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह हाल में एक ख़त को लेकर भी बेहद चर्चित रहे थे। उन्होंने यह ख़त हरियाणा के अपने स्कूल आर्मी पब्लिक स्कूल चांदीमंदिर कैटोनमेंट के प्रधानाचार्य को लिखा था। उनका यह ख़त अब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। उन्होंने यह ख़त इसी साल सितंबर महीने में तब लिखा था जब उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उस ख़त में उन्होंने स्कूली छात्रों को संबोधित किया था।

उन्होंने लिखा था कि वह स्कूल में औसत दर्जे का छात्र थे यानी परीक्षा में अंक लाने में औसत दर्जे के थे, लेकिन वह बेहद सम्मानित और गर्व करने वाला 'शौर्य चक्र' का सम्मान पाने वाले शख्स हैं। 

उन्होंने लिखा था, 'मैंने मुश्किल से 12वीं क्लास में फर्स्ट डिविजन हासिल किया था। फिर भी मैंने 12वीं क्लास में अपने अनुशासन में कोई कमी नहीं आने दी। मैं खेल और अन्य ग़ैर-शैक्षिक गतिविधियों में भी औसत था।'

उन्होंने ख़त में लिखा था, 'औसत दर्जे का होना ठीक है... लेकिन यह किसी भी तरह से जीवन में आने वाली चीजों का पैमाना नहीं है। ...आप जो भी काम करते हैं, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें... कभी उम्मीद न खोएं।' उन्होंने आगे लिखा था, 'औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो यह एक उपलब्धि है उसकी सराहना होनी चाहिए।' 

ग्रुप कैप्टन ने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि पिछले साल वह एक तेजस विमान उड़ा रहे थे, जिसमें एक बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने उड़ान के बीच एक भीषण दुर्घटना को टाल दिया और इसीलिए उन्हें अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

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