पंजशिर घाटी की ओर बढ़े सैकड़ों तालिबानी लड़ाके; गृह युद्ध के आसार!
अफ़ग़ानिस्तान की पंजशिर घाटी तालिबान के लिए बड़ा सिरदर्द बन गयी है। यह अफ़ग़ानिस्तान के उन हिस्सों में से एक है जहाँ तालिबान अभी तक कब्जा नहीं कर पाया है। पंजशिर से तालिबान को खुली चुनौती मिल रही है। यह उसके लिए कितना बड़ा सिरदर्द है यह इससे समझा जा सकता है कि तालिबान ने रविवार को कहा है कि इसके सैकड़ों लड़ाके पंजशिर घाटी की ओर बढ़े हैं। सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो साझा किए गए हैं जिनमें दावे किये गये हैं कि तालिबान के सैकड़ों लड़ाके वाहनों में पंजशिर की ओर बढ़ रहे हैं।
यह पंजशिर घाटी लंबे समय से तालिबान विरोधी ताक़तों के गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है। अफ़ग़ानिस्तान का यही एक प्रांत है, जहाँ पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तक पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाए। पंजशिर से अमरूल्लाह सालेह और अहमद मसूद अब तालिबान को चुनौती दे रहे हैं।
ख़ुद को अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरूल्लाह सालेह ने एलान किया है कि पंजशिर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रांत में ताजिक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। सालेह भी इसी समुदाय से आते हैं। अहमद मसूद अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। अहमद शाह मसूद तालिबान के ख़िलाफ़ बनी मिलिशिया के नेता थे और उन्हें पंजशिर का शेर भी कहा जाता था। अहमद शाह मसूद ने ही तालिबान के ख़िलाफ़ नॉर्दन एलायंस बनाया था। 11 सितंबर 2001 के हमले से दो दिन पहले ही अल क़ायदा ने अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी थी। इसके बाद अहमद मसूद ने मिलिशिया की कमान संभाली।
अहमद मसूद कहते हैं कि वे अफ़ग़ानिस्तान में लोकतंत्र को बचाने, महिलाओं और आम लोगों के हक़ों की हिफ़ाजत के लिए लड़ेंगे। मसूद ने इस बार भी दुनिया के देशों से मदद मांगी है। इन दिनों पंजशिर में नॉर्दन एलायंस के झंडे लहराते दिखते हैं। अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत ने भी कहा है कि पंजशिर लगातार तालिबान का विरोध करता रहेगा।
यही वजह है कि जब से तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा जमाया है तब से पूर्व में अफ़ग़ान सेना में रहे सैनिक पंजशिर में इकट्ठे होने लगे हैं। मसूद ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा है कि अफ़ग़ान राज्यों की सरकारी ताक़तें पंजशिर में जुटी हैं।
तालिबान विरोधी ताक़तों के अनुसार, काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद हजारों लोगों ने पंजशीर की ओर रुख किया है। इससे तालिबान की चिंता तो बढ़नी ही थी।
यही वजह है कि तालिबान ने रविवार को कहा कि उसके सैकड़ों लड़ाके पंजशीर घाटी की ओर जा रहे हैं। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, समूह ने अपने अरबी ट्विटर अकाउंट पर लिखा, 'इस्लामिक अमीरात के सैकड़ों मुजाहिदीन पंजशिर को नियंत्रित करने के लिए राज्य की ओर बढ़ रहे हैं, स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया।'
रिपोर्ट के अनुसार मसूद ने कहा है, 'अगर तालिबान इस रास्ते पर चलता रहा तो वह लंबे समय तक नहीं टिकेगा। हम अफ़ग़ानिस्तान की रक्षा के लिए तैयार हैं और हम रक्तपात की चेतावनी देते हैं।'
इस बीच बड़ी संख्या में तालिबानी लड़ाकों के मारे जाने की ख़बरें आ रही हैं। बीबीसी से जुड़ी पत्रकार यल्दा हकिम ने ट्वीट किया है, 'तालिबान विरोधी प्रतिरोध से अपडेट - उन्होंने मुझे बताया: बगलान प्रांत के अंदराब में तालिबान पर घात लगाकर हमला किया गया। कम से कम 300 तालिबानी लड़ाके मारे गए। समूह का नेतृत्व अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह कर रहे हैं।
Update from the Anti-Taliban resistance - they tell me: Taliban ambushed in Andarab of Baghlan province. At least 300 Taliban fighters were killed. The group is lead by #AhmadMassoud & @AmrullahSaleh2 #Afghanistan pic.twitter.com/uJD1VEcHY1
— Yalda Hakim (@BBCYaldaHakim) August 22, 2021
बता दें कि अहमद मसूद ने हाल ही में अमेरिकी अख़बार 'वाशिंगटन पोस्ट' में एक लेख में लिखा है, 'मैं पंजशिर घाटी में हूँ, अपने पिता के पदचिह्नों पर चलने को तैयार हूँ और मेरे साथ हैं मुजाहिदीन लड़ाके जो एक बार फिर तालिबान से लड़ने को तैयार हैं'। अहमद मसूद ने इसके आगे लिखा है कि उनके पास 'बहुत बड़ी मात्रा में हथियार हैं, जो उन्होंने बहुत दिनों से जमा कर रखा है क्योंकि मुझे पता था कि एक दिन ऐसा होना ही है।'