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तालिबान का नृशंस हत्या का तरीक़ा नहीं बदला! कॉमेडियन से डर कैसा?

तालिबान का नृशंस हत्या का तरीक़ा नहीं बदला! कॉमेडियन से डर कैसा?

रिपोर्ट है कि तालिबान ने एक कॉमेडियन की नृशंस हत्या कर दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ दिनों पहले तालिबान ने रायटर्स के भारतीय पत्रकार की हत्या कर दी थी। हाल में 22 निहत्थे अफ़ग़ानी सैनिकों की बर्बर तरीक़े से हत्या की ख़बर आई थी।

तालिबान से भले ही अमेरिका वार्ता कर रहा है, पाकिस्तान जैसे देश उसे गुपचुप समर्थन दे रहे हैं या इमरान ख़ान कथित तौर पर तालिबान को आम नागरिक बता रहे हों, लेकिन तालिबान लगता है अभी भी नहीं बदला है। पहले जैसी ही नृशंस हत्याएँ। वही क्रूरता। दकियानूसी महिला विरोधी मानसिकता। ताज़ा मामला एक कॉमेडियन की नृशंस हत्या का है। एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ दिनों पहले तालिबान ने रायटर्स के भारतीय पत्रकार की हत्या कर दी थी। हाल में 22 निहत्थे अफ़ग़ानी सैनिकों की बर्बर तरीक़े से हत्या की ख़बर आई थी।

तो सवाल है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के बेदखल होने और ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद क्या तालिबान के रवैये या मानसिकता में बदलाव आया है? अब अफ़ग़ानिस्तान के मशहूर कॉमीडियन नज़र मोहम्मद खाशा की हत्या के ही ताज़ा मिसाल को देख लीजिए। उनसे तालिबान को क्या ख़तरा हो सकता था? वह बुजुर्ग थे। कॉमीडियन थे तो लोगों को हँसाते थे, उनके वीडियो को तो कई तालिबानी भी पसंद करते होंगे! लेकिन तालिबान ने उनका क्या हस्र किया! 

नज़र मोहम्मद की हत्या की घटना को अंजाम देने से पहले बनाया गया एक वीडियो सामने आया है। उसमें तालिबानी लड़ाके नज़र को थप्पड़ मारते दिख रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों में तो कहा गया है कि इस दौरान नज़र मजाक भी करते हैं। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नज़र मजाक में कहते हैं कि उनके अपहरणकर्ताओं की मूंछ पीछे की ओर है।

नज़र की मौत की ख़बरें पिछले कई दिनों से आ रही थीं और परिवार ने हत्या का आरोप तालिबान पर लगाया था। लेकिन यह मामला दुनिया भर के मीडिया की सुर्खियों में तब आया जब उनकी हत्या से पहले का वह वीडियो आया। 

ट्विटर पर साझा किए गए वीडियो में दिखता है कि एक गाड़ी के अंदर बैठाकर नज़र को कई थप्पड़ मारे गए। उनके हाथ बंधे थे और कई लड़ाकों ने उन्हें घेर रखा था। 

मीडिया रिपोर्टों में तो कहा जा रहा है कि कार में बिठाए जाने के बाद उन्हें एक पेड़ से बांधा गया और फिर गला रेतकर उनकी हत्या कर दी गई।

इससे पहले भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या का आरोप भी तालिबान पर लगा है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है कि तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में रायटर्स के फ़ोटोग्राफ़र दानिश सिद्दीकी को पहचान कर, सोच समझ कर और जानबूझ कर उनकी हत्या की थी। 

दानिश सिद्दीकी अफ़ग़ान सेना के साथ एम्बेडेड जर्नलिस्ट के रूप में थे, यानी सेना के साथ ही चल रहे थे और तसवीरें ले रहे थे। अफ़ग़ानिस्तान के कांधार ज़िले के स्पिन बोल्डक नगर में वे मारे गए थे। उस समय तालिबान ने उनकी मौत पर दुख जताया था और कहा था कि यदि वे यह जानते होते कि कोई पत्रकार वहाँ है तो सावधानी बरतते और कोशिश करते कि वह न मारा जाए। 

 - Satya Hindi

अमेरिकी अख़बार 'वाशिंगटन रिपोर्टर' के अनुसार, दानिश सिद्दीकी अफ़ग़ान राष्ट्रीय सेना के साथ स्पिन बोल्डक शहर में थे और सीमा की ओर बढ़ रहे थे, जब तालिबान ने सेना पर हमला किया था। इस हमले से अफ़ग़ान सेना दो टुकड़ियों में बंट गई और दानिश सिद्दीकी दूसरी टुकड़ी में थे, जिसमें तीन अफ़ग़ान सैनिक थे। 

रिपोर्ट के मुताबिक़, दानिश सिद्दीकी को छर्रे लगे थे, वे ज़ख़्मी हो गए थे और प्राथमिक उपचार के लिए पास की मसजिद ले जाए गए। रिपोर्ट में कहा गया है, 'तालिबान को पता चला कि दानिश मसजिद में हैं तो वे वहाँ पहुँच गए। जब तालिबान ने दानिश सिद्दीकी को पकड़ा, वे जीवित थे। उनकी पहचान की और उन्हें मार डाला। उनके साथ गए लोग और उन्हें बचाने के लिए आए कमान्डो भी मारे गए।'

तालिबान की पिछले दिनों इसलिए भी आलोचना की गई थी कि निहत्थे अफ़ग़ानी सैनिकों पर बर्बरता की रिपोर्टें आई थीं। जून के मध्य में यह घटना घटी थी। इससे जुड़ा एक भयावह वीडियो सामने आया था जिसमें 22 निहत्थे अफ़ग़ानिस्तानी कमांडोज को गोलियों से भून दिया गया था। हालाँकि इस वीडियो की पुष्टि नहीं की जा सकी है। लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस हत्याकांड को 16 जून को फरयाब प्रांत के दवलात अबाद में अंजाम दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान स्पेशल फोर्स के वे सभी सैनिक शांतिपूर्वक आत्मसमर्पण के लिए आगे बढ़ रहे थे और तभी तालिबान ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी थीं।

यह सब घटनाक्रम तब चल रहा है जब अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से अपने सैनिक वापस ले जा रहा है और तालिबान धीरे-धीरे अपनी पकड़ मज़बूत करने में लगे हैं। अफ़ग़ान फौजों और तालिबान के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है। 

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