सीरिया में हालात और बिगड़े, ईरान के दूत ने असद से मुलाकात की
सीरियाई विद्रोहियों ने शनिवार को तेजी से आगे बढ़ते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण सीरिया के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। सरकारी बलों ने होम्स शहर में राष्ट्रपति बशर अल-असद के 24 साल पुराने शासन को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। उधर, तुर्की, रूस और ईरान बैठक करने वाले हैं, जिसमें मौजूदा हालात पर विचार किया जाएगा। यमन लड़कों के सीरिया में बशर के समर्थन में पहुंचने की सूचना है। ईरान के सुप्रीम लीडर के दूत लारिजानी ने असद से मुलाकात की है। लारिजानी ने आतंकवादियों के खिलाफ सीरिया के लिए ईरान के समर्थन का संदेश दिया है।
एक सप्ताह पहले अलेप्पो में विद्रोहियों के प्रवेश के बाद से, पूरे देश में सरकारी सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई है, क्योंकि विद्रोहियों ने कई प्रमुख शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है और उन जगहों पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, जहां लंबे समय से विद्रोह ख़त्म होता दिख रहा था।
उत्तर में अलेप्पो, केंद्र में होमा और पूर्व में दीर अल-ज़ोर पर कब्ज़ा करने के अलावा, विद्रोहियों ने कहा कि उन्होंने दक्षिणी कुनीत्रा, डेरा और सुवेदा पर कब्ज़ा कर लिया है और राजधानी के 50 किमी (30 मील) के भीतर तक आगे बढ़ गए हैं। हालांकि सरकारी सुरक्षा होम्स पर केंद्रित थी।
Syrian rebels have reached the outskirts of Damascus from the south. Here in this footage Syrians topple a statue o Hafez al-Assad in Jaramana in the countryside of Damascus. pic.twitter.com/9Qke6v4WAQ
— TheMalteseHerald (@malteseherald) December 7, 2024
इस बीच विद्रोहियों ने अपना नियंत्रण लगभग पूरे दक्षिण पश्चिम तक बढ़ा दिया और कहा कि उन्होंने दमिश्क से जॉर्डन तक मुख्य राजमार्ग पर सनमायन पर कब्जा कर लिया है। सीरियाई सेना ने क्षेत्रीय नुकसान को स्वीकार किए बिना कहा कि वह अपनी स्थिति बदल रही है। घटनाओं की गति ने अरब राजधानियों को स्तब्ध कर दिया है और क्षेत्रीय अस्थिरता की एक नई लहर की आशंका पैदा कर दी है, कतर ने शनिवार को कहा कि इससे सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा है।
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— Politics World Wide Web (@PoliticsWWWeb) December 7, 2024
डॉ लारिजानी असद से मिले
ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के सलाहकार डॉ अली लारिजानी ने आतंकवादी ताकतों के हमले के बीच सीरियाई सरकार के लिए इस्लामी गणराज्य के समर्थन को व्यक्त करने के लिए दमिश्क में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की है। बैठक सीरिया की राजधानी में हुई। ईरान ने यह भी साफ कर दिया है कि उसने दमिश्क में अपने दूतावास को बंद नहीं किया है।
ईरानी संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति के सदस्य याक़ूब रज़ाज़ादेह ने शनिवार को कहा राष्ट्रपति असद के परिवार ने सीरिया नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि "असद और उनके परिवार के सीरिया छोड़ने की खबर सच नहीं है। डॉ लारिजानी ने दमिश्क में उनसे (राष्ट्रपति असद से) मुलाकात की है।'' रेज़ाज़ादेह ने कहा कि “रूसी सरकार के साथ बातचीत की गई है। सीरिया के पड़ोसी देशों जैसे तुर्की और इराक के साथ-साथ रूस, जिसके सीरिया में विशेष हित हैं, के साथ भी राजनीतिक और कूटनीतिक उपाय किए गए हैं।
आतंकी संगठन हयात तहरीर अल-शम्स (एचटीएस) समूह के नेतृत्व में विदेश समर्थित आतंकवादियों ने पिछले महीने अलेप्पो और इदलिब के ग्रामीण इलाकों में हमला किया और 27 नवंबर को अलेप्पो में प्रवेश करने से पहले कई गांवों और कस्बों पर कब्जा कर लिया। सीरिया में विदेश समर्थित उग्रवाद भड़कने के बाद से इसराइल उन उग्रवादी समूहों का प्रमुख समर्थक रहा है जो राष्ट्रपति असद की सरकार का विरोध करते हैं।
इस बीच टीआरटी वर्ल्ड ने खबर दी है कि तुर्की के विदेश मंत्री दोहा में रूस और ईरान के विदेश मंत्रियों से मुलाकात करने वाले हैं ताकि सीरिया में फिर से शुरू हुई लड़ाई का समाधान ढूंढने और सीरिया को अराजकता से बचने की कोशिश की जा सके। रूस के सर्गेई लावरोव, तुर्किये के हकन फिदान और ईरान के अब्बास अराघची एकसाथ मिलेंगे। तीनों देश सीरिया में गृह युद्ध को समाप्त करने की मांग करने वाली अस्ताना प्रक्रिया में 2017 से भागीदार रहे हैं, भले ही उन्होंने युद्ध के मैदान में विपरीत पक्षों का समर्थन किया हो। मॉस्को और तेहरान ने राष्ट्रपति बशर अल असद को आतंकियों को कुचलने में मदद करने के लिए सैन्य सहायता की पेशकश की है।
सीरिया का गृहयुद्ध, जो 2011 में असद के शासन के खिलाफ विद्रोह के रूप में भड़का था, बड़ी बाहरी ताकतें इसमें हो गईं। आईएसआईएस के जिहादी आतंकवादियों ने हजारों लोगों का कत्ल-ए-आम किया। लाखों शरणार्थियों को पड़ोसी देशों में चले गए। पश्चिमी अधिकारियों का कहना है कि सीरियाई सेना एक कठिन स्थिति में है, विद्रोहियों की बढ़त को रोकने में असमर्थ है और पीछे हटने को मजबूर है। असद लंबे समय से विद्रोहियों को वश में करने के लिए सहयोगियों पर निर्भर थे, जिसमें रूसी युद्धक विमानों द्वारा बमबारी की गई थी, जबकि ईरान ने सीरियाई सेना को मजबूत करने और विद्रोहियों के गढ़ों पर हमला करने के लिए लेबनान के हिजबुल्लाह और इराकी मिलिशिया सहित सहयोगी बलों को भेजा था।