बिहार: भीड़ ने पशु चोरी के शक में तीन लोगों को पीट-पीटकर मार डाला
एक बार फिर भीड़ ने क़ानून को अपने हाथ में लिया और पशु चोरी के शक में तीन लोगों को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। इस बार भीड़तंत्र के क्रूर होने की यह घटना बिहार के सारण में हुई है। सारण जिले के बनियापुर गाँव में शुक्रवार तड़के गाँव के लोगों ने तीन लोगों को पकड़ा और आरोप लगाया कि ये उनके पशुओं को चोरी करने के लिए आए थे। हालाँकि कुछ मीडिया ख़बरों में यह भी बताया गया है कि तीसरा व्यक्ति लोगों के चंगुल से बचकर निकलने में सफल रहा। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस मामले की जाँच में जुटी हुई है। मरने वाले लोगों के नाम राजू नट, नौशाद कुरैशी और विदेश नट बताए गए हैं। इसके अलावा बिहार के ही वैशाली में शुक्रवार को कुछ लोगों ने बैंक में चोरी करने के शक में दो लोगों को जमकर पीट दिया। घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले् में बनियापुर पुलिस थाने में मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है और अब तक सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।
अभी कुछ दिन पहले ही ऐसी ही घटना त्रिपुरा के धलाई जिले के रायसियाबारी इलाक़े में हुई थी। जहाँ एक युवक बुधि कुमार पर स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि वह पशु चोरी करने की नीयत से एक व्यक्ति की गो शाला में घुस गया था। लेकिन उसे वहाँ देखकर गो शाला के मालिक ने शोर मचा दिया था और भागने की कोशिश के दौरान गाँव के कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया और बुरी तरह मारा था, जिससे उसकी मौत हो गई थी।
पिछले महीने हरियाणा के फतेहाबाद के दायोड़ गाँव में भी गो तस्करी के शक में चार लोगों को भीड़ ने बुरी तरह पीटा था। यह भी बताया गया था कि इन लोगों को पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया।
जून, 2016 में मरी हुई गाय की कथित रूप से खाल उतारने के मामले में दलितों को जमकर पीटा गया था। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद देशभर में तीख़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी। इसके बाद गुजरात में दलितों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया था।
कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश में गो रक्षकों ने महिला समेत तीन लोगों की बेरहमी से पिटाई कर दी थी और इसका वीडियो ख़ासा वायरल हुआ था।
हाल ही में झारखंड के जमशेदपुर में भीड़ ने बाइक चोरी के शक में तबरेज़ अंसारी नाम के युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। तबरेज़ की हत्या के बाद से ही पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
अख़लाक़, पहलू, रकबर की हुई थी हत्या
सितंबर 2015 में ग्रेटर नोएडा के दादरी में स्थानीय नागरिक अख़लाक़ को भीड़ ने उसके घर के गो माँस रखे होने और पकाये जाने के शक में पीट-पीट कर मार डाला था। हैरानी तब हुई थी जब इस बार लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अख़लाक़ की हत्या के आरोपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर दिखाई दिए थे।
अप्रैल, 2017 में कथित गो रक्षकों ने राजस्थान के अलवर में 55 वर्षीय बुजुर्ग पहलू ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना में घायल हुए पहलू ख़ान के बेटे इरशाद ने बताया था कि उनका डेरी का कारोबार है और वह जयपुर से गाय और भैंस खरीदकर ले जा रहे थे लेकिन कथित गो रक्षकों ने उन्हें गो तस्कर समझ लिया और उन पर हमला कर दिया।
अब सवाल यह उठता है कि गो तस्करी के शक में किसी को पीट-पीटकर मार दिया जाना आख़िर कहाँ का न्याय है। इन मामलों पर क्या कभी कड़ी कार्रवाई होगी या यह सिलसिला जारी रहेगा। भीड़तंत्र देश के लिए नासूर बनते जा रहा है और किसी को भी अपने मन से सजा देने के लिए तैयार है और अब तो ऐसा लगने लगा है कि इसे रोकना आसान नहीं है। यह भीड़ सिर्फ़ शक के आधार में कब किसकी जान ले ले, कोई नहीं जानता लेकिन ऐसी घटनाओं को आख़िर कब तक नज़रअंदाज किया जाएगा।