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आखिरी फ़िल्म 'दिल बेचारा' में सुशांत सिंह राजपूत का अभिनय दिल छूने वाला

आखिरी फ़िल्म 'दिल बेचारा' में सुशांत सिंह राजपूत का अभिनय दिल छूने वाला

फ़िल्म 'दिल बेचारा' में भावना और प्यार तो है ही, साथ ही यह भी दिखाया गया है कि खुलकर कैसे जीना चाहिए।

फ़िल्म- दिल बेचारा

डायरेक्टर- मुकेश छाबड़ा

कलाकार - सुशांत सिंह राजपूत, संजना सांघी, स्वस्तिका मुखर्जी, शाश्वता, साहिल वेद।

शैली- रोमांटिक ड्रामा

स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फ़िल्म 'दिल बेचारा' डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हो गई है। फ़िल्म का निर्देशन मुकेश छाबड़ा ने किया है और मुख्य भूमिका में सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी हैं। यह फ़िल्म मशहूर उपन्यासकार जॉन ग्रीन की किताब 'द फॉल्ट इन आवर स्टार्स' पर आधारित है। फ़िल्म 'दिल बेचारा' में भावना और प्यार तो है ही, साथ ही यह भी दिखाया गया है कि खुलकर कैसे जीना चाहिए। 

'दिल बेचारा' में क्या है

फ़िल्म 'दिल बेचारा' की कहानी शुरू होती है किज़ी बसु (संजना सांघी) से जो थायरॉयड कैंसर से जूझ रही है और उनके साथ हमेशा एक ऑक्सीजन सिलिंडर होता है। किज़ी अपनी जिंदगी से काफी नाराज़ होती है यह सोचकर कि उसके साथ ही ऐसा क्यों हुआ लेकिन उसकी माँ (स्वास्तिका मुखर्जी) और पापा (शाश्वता) हमेशा उसे संभालते हैं।

किज़ी की ज़िन्दगी में मैनी (सुशांत सिंह राजपूत) और जेपी (साहिल वेद) आते हैं। मैनी दिव्यांग है, लेकिन अपनी जिंदगी को खुलकर जीना जानता है और वह किज़ी को भी जीने का यही तरीका सिखाता है।

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दोस्ती से रिश्ता आगे बढ़ता है और किज़ी-मैनी को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। लेकिन इन दोनों की प्रेम कहानी का अंत कैसा होगा, यह जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी क्योंकि वो काफी दिलचस्प है। आख़िर में दोनों मिल पायेंगे या नहीं फ़िल्म 'दिल बेचारा' आपको हॉटस्टार पर मिलेगी और यह सिर्फ डेढ़ घंटे की ही है।

अभिनय

‘काई पो चे’ से लेकर फ़िल्म 'दिल बेचारा' तक सुशांत सिंह राजपूत अपनी हर फ़िल्म में एक अलग छाप छोड़कर गए हैं।

यह सुशांत सिंह की आखिरी फ़िल्म थी जो लोगों को हमेशा याद रहेगी। इसमें भी उनकी एक्टिंग कमाल की है। हर एक सीन में उनकी कभी न भूलने वाली मुस्कुराहट और एक्टिंग आपका दिल जीत लेगी।

संजना सांघी ने भी खूबसूरती से अपने रोल को निभाया है। इसके अलावा स्वास्तिका मुखर्जी ने माँ के रोल को बखूबी निभाया है। जैसे एक माँ अपने बच्चे की चिंता करती है, बिल्कुल वहीं भाव स्वास्तिका ने पेश किए। शाश्वता और साहिल वेद ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभाया। 

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निर्देशन

निर्देशक के  तौर पर मुकेश छाबड़ा की यह पहली फ़िल्म थी और उन्होंने काफी अच्छे से फ़िल्म का निर्देशन किया है। फ़िल्म में भावना और प्यार को बराबर से दिखाने की उनकी कोशिश कामयाब रही। इसके साथ ही मुकेश ने हर एक किरदार का चुनाव भी अच्छे से किया है। ए.आर. रहमान के सभी गाने काफी अच्छे हैं, एक गाना ‘मैं तुम्हारा’ फ़िल्म की जान है जिसे अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखा है।

फ़िल्म 'दिल बेचारा' में प्यार, इमोशन और जीने का तरीका सिखाया गया है। कुल मिलाकर फ़िल्म अच्छी है और सुशांत सिंह राजपूत की यह आखिरी फ़िल्म सभी को हमेशा याद रहेगी।

अगर आप लोग इस फ़िल्म को दिमाग लगाकर देखेंगे और इसमें कोई शानदार कहानी ढूंढने की कोशिश करेंगे तो आप निराश होंगे। यह एक प्यारी सी फ़िल्म है, जिससे आप भावनात्मक रूप से जुड़ पाएंगे। एक बार फ़िल्म को देखना शुरू करेंगे तो ख़त्म किये बिना उठ नहीं पायेंगे। भले ही सुशांत सिंह राजपूत हमारे बीच  नहीं हैं, लेकिन इस फ़िल्म में जिंदगी को खुलकर जीने का तरीका उन्होंने बखूबी सिखाया है। 

इस फ़िल्म को मैंने कोई रेटिंग नहीं दी है, क्योंकि मुझे लगता है इसे रेटिंग के आधार पर जज नहीं करना चाहिए। यह अच्छी फ़िल्म है और दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फ़िल्म है। जिसे बेहद प्यार से बनाया गया है और कई लोग इससे इमोशनली जुड़े हुए हैं।

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