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सूर्य नमस्कार का वेदों में जिक्र नहीं, मुस्लिम बोर्ड ने किया विरोध

सूर्य नमस्कार का वेदों में जिक्र नहीं, मुस्लिम बोर्ड ने किया विरोध

  सूर्य नमस्कार का मुस्लिम बोर्ड ने जिस तरह विरोध किया है, उसके बाद देशभर में इस पर बहस छिड़ गई है। कुछ टीवी चैनल बीजेपी के मुकाबले सभी विपक्षी दलों को इसका विरोधी बता कर डिबेट आयोजित कर रहे हैं। क्या है पूरा मामला जानिए इस रिपोर्ट से।

स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने के आदेश का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने आधिकारिक तौर पर विरोध किया है। योग गुरु रामदेव हैदराबाद में 3 जनवरी को उस सरकारी प्रोग्राम में मौजूद थे, जहां से सूर्य नमस्कार की शुरुआत हुई थी, जबकि 2015 में इन्हीं रामदेव ने कहा था कि वेदों में सूर्य नमस्कार का जिक्र नहीं है। सोशल मीडिया पर गैर मुस्लिमों ने भी सवाल किए हैं कि आजादी की लड़ाई से सूर्य नमस्कार का क्या संबंध है। किसी स्वतंत्रता सेनानी ने अपने संघर्ष के दौरान कभी सूर्य नमस्कार का जिक्र नहीं किया। 3 जनवरी को, आयुष मंत्रालय ने योगासन के अभ्यास के माध्यम से फिटनेस की संस्कृति बनाने और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 75 करोड़ सूर्य नमस्कार पहल शुरू की थी।

हैदराबाद में केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत की आजादी के 75 साल "आजादी का अमृत महोत्सव" के तहत इस कार्यक्रम में शिरकत की। इससे पहले सभी राज्यों को पत्र लिखा गया कि स्कूलों और कॉलेजों में 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जाना चाहिए।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 4 जनवरी को कहा कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है और इस्लाम इसकी अनुमति नहीं देता है। बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक राष्ट्र है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इन सिद्धांतों के आधार पर हमारे देश का संविधान लिखा गया है और भारतीय संविधान उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं देता है। बोर्ड ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके पैरंट्स से कहा कि बच्चे सूर्य नमस्कार इवेंट में हिस्सा न लें।

हालांकि यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने मुस्लिम बोर्ड और अन्य मुस्लिम नेताओं के विरोध पर कड़ा ऐतराज जताया है। मोहसिन रजा ने एक टीवी चैनल पर कहा कि ये लोग मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। क्योंकि इनकी दुकानें बंद हो चुकी हैं। 3 जनवरी को आयोजित सरकारी कार्यक्रम में तेलंगाना के खेल और युवा मामलों के मंत्री वी. श्रीनिवास गौड़, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, और पतंजलि फाउंडेशन के अध्यक्ष रामदेव मौजूद थे। रामदेव ने वहां खुलकर सूर्य नमस्कार के बारे में बताया कि यह किसी तरह फायदा पहुंचाता है, सनातन धर्म से इसका क्या संबंध है।

काबिलेगौर तथ्य

योग गुरु रामदेव इस समय जिस तरह सूर्य नमस्कार का प्रचार कर रहे हैं, कभी उन्होंने कहा था कि सूर्य नमस्कार योग का हिस्सा नहीं है। जबकि राष्ट्रीय योगसन फेडरेशन इसे योग का हिस्सा मानता है। उसका कहना है कि यह प्राणायाम है। दरअसल, 2015 में योग दिवस से पहले सूर्य नमस्कार का आयोजन कतिपय संगठनों ने किया था। जबकि रामदेव उस समय योग दिवस सरकार से घोषित करवा चुके थे। सूर्य नमस्कार कराने वाले संगठनों ने इसे योग बताना शुरू किया। रामदेव को लगा कि उनके योग दिवस के कार्यक्रम से पहले यह आयोजन उनकी ब्रान्डिंग को नुकसान पहुंचाएगा। तब उन्होंने कहा था कि सूर्य नमस्कार योग का हिस्सा नहीं है।

'आजतक' पर 10 जून 2015 को रामदेव ने कहा था कि वेदों में भी सूर्य नमस्कार का जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा था कि सूर्य नमस्कार के आसन में सूर्य को नमस्कार नहीं किया जाता है।


बहरहाल, सोशल मीडिया पर भी सूर्य नमस्कार को लेकर बहस छिड़ी हुई है। गैर मुस्लिम लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर आजादी के अमृत महोत्सव से सूर्य नमस्कार का क्या संबंध है। इस इवेंट को जोड़ने की वजह से सरकार की नीयत पर शक है। कुछ लोगों ने लिखा है कि सरकार को पता ही होगा कि स्कूलों में हर धर्म के बच्चे पढ़ाई करते हैं। ऐसे में एक समुदाय विशेष की पूजा पद्धति को थोपना गलत है।सोशल मीडिया पर दूसरे वर्ग के लोगों का कहना है कि इसमें कोई बुराई नहीं है। बच्चे ईसाई मिशनरी स्कूलों में भी पढ़ते हैं। वहां उनसे प्रार्थना कराई जाती है, क्या वो हिन्दू बच्चे ईसाई बन जाते हैं। लोगों ने कहा कि यह बेकार की बहस है। बच्चों को ऐसे कार्यक्रमों से जोड़ना तो बहुत अच्छी बात है। केंद्र सरकार ने यह सार्थक पहल की है।

राष्ट्रीय योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन (एनवाईएसएफ) ने कहा है कि सूर्य नमस्कार प्राचीन भारतीय संतों द्वारा विकसित आध्यात्मिक और शारीरिक अभ्यास दोनों का एक अनूठा संयोजन है। यह मंत्रों और लयबद्ध श्वास (प्राणायाम) का जप करते हुए आठ अलग-अलग मुद्राओं की कार्डियोवस्कुलर कसरत भी है।

कुछ लोगों ने इसका संबंध यूपी सहित 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से भी जोड़ दिया है। ऐसे लोगों का कहना है कि सरकार यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में धार्मिक ध्रुवीकरण कराने के मकसद से इसे आयोजित कर रही है। सरकार जानती है कि मुसलमान इसका विरोध जरूर करेंगे। इसका उसे चुनावों में फायदा होगा। सरकार रोजाना मुसलमानों को लेकर कोई न कोई बयान, कार्यक्रम या गतिविधि करती है, ताकि हिन्दुओं को मुस्लिम विरोध के नाम पर एकजुट किया जा सके।

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