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ऑनलाइन कार्यक्रमों के लिए अनुमति ज़रूरी वाला आदेश वापस, हुआ था विरोध

ऑनलाइन कार्यक्रमों के लिए अनुमति ज़रूरी वाला आदेश वापस, हुआ था विरोध

केंद्र सरकार को अपने उस आदेश को वापस लेना पड़ा है, जिसमें उसने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मामलों वाले सेमिनार या ऑनलाइन कॉन्फ्रेन्स के लिए अनुमति लेनी ही होगी। 

केंद्र सरकार को अपने उस आदेश को वापस लेना पड़ा है, जिसमें उसने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मामलों वाले सेमिनार या ऑनलाइन कॉन्फ्रेन्स के लिए अनुमति लेनी ही होगी। सरकार के इस आदेश का वैज्ञानिकों, अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने विरोध किया था। 

विदेश मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि इस संबंध में 25 नवंबर को जारी किया गया आदेश अब लागू नहीं है। बयान के मुताबिक़, कोरोना के चलते सरकार को कुछ प्रतिबंध लगाने पड़े थे। यह भी कहा गया है कि इस तरह के सभी कार्यक्रम कोरोना से पहले लागू रहे नियमों के मुताबिक़ ही होंगे। आदेश में कहा गया है कि ऐसे लोग जिन्हें भारत सरकार की ओर से अवांछित घोषित किया गया है, उन्हें कार्यक्रमों में नहीं बुलाया जाना चाहिए। 

विदेश मंत्रालय के अलावा शिक्षा मंत्रालय की ओर से भी 15 जनवरी को आदेश जारी कर कहा गया था कि सभी सरकारी संस्थानों को ऑनलाइन कार्यक्रम कराने से पहले प्रशासनिक सचिव की इजाजत लेनी होगी। 

अफ़सरों से कहा गया था कि वे ऑनलाइन कार्यक्रमों के लिए इजाजत मांगे जाने वाले आवेदनों में यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं ये राज्य की सुरक्षा, सीमाओं, पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों से तो जुड़े नहीं हैं क्योंकि यह पूरी तरह भारत के आंतरिक मामले हैं।  

भारत सरकार पर यह आरोप लगाया गया था कि वह अकादमिक विचार-विमर्श को पूरी तरह ख़त्म कर देना चाहती है।

शिक्षा और विज्ञान जगत से जुड़े लोगों ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर इस तरह के आदेश पर चिंता जताई थी और कहा था कि इससे वैज्ञानिक चर्चाओं का होना मुश्किल हो जाएगा और इससे विज्ञान के क्षेत्र में भारत की तरक्की रुक जाएगी। 

आंतरिक मामलों पर बहस 

हाल के दिनों में किसान आंदोलन को लेकर पॉप स्टार रिहाना (रियाना) और पर्यावरणविद ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) के ट्वीट करने के बाद देश में आतंरिक मामले के मुद्दे पर खासी बहस छिड़ गई थी। केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन को देश का आंतरिक मामला बताते हुए विदेशी हस्तियों के दख़ल को भारत के ख़िलाफ़ साज़िश बताया था। 

साइबर वालंटियर्स को लेकर भी विवाद 

विदेश मंत्रालय के इस आदेश के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर वालंटियर्स तैनात करने को लेकर भी विवाद हो रहा है। मंत्रालय ऐसे वालंटियर्स या स्वयंसेवकों की तैनाती करने जा रहा है जो ‘एंटी नेशनल’ कामों के बारे में सरकार को जानकारी देंगे। इसके लिए साइबर वालंटियर प्रोग्राम लाया गया है। 

इन वालंटियर्स का काम ग़लत और ग़ैर क़ानूनी कामों की पहचान करना और सरकार को इस बारे में बताना होगा। इन कामों में ‘एंटी नेशनल’ गतिविधियों, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, आतंकवाद, कट्टरता से जुड़ी बातों को शामिल किया गया है। ‘एंटी नेशनल’ काम कौन से होंगे, इसे लेकर कुछ साफ नहीं कहा गया है। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर और त्रिपुरा में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया जाएगा और इससे मिले फ़ीडबैक के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। 

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