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यूपी: कोरोना की स्थिति भयावह, अस्पताल-श्मशान फुल

यूपी: कोरोना की स्थिति भयावह, अस्पताल-श्मशान फुल

कोरोना संक्रमण से रोकथाम को लेकर खुद अपनी ही पीठ थपाथपा रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को उसके ही मंत्री ने कटघरे में खड़ा कर दिया है।

कोरोना संक्रमण से रोकथाम को लेकर खुद अपनी ही पीठ थपाथपा रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को उसके ही मंत्री ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रदेश की राजधानी सहित ज्यादातर बड़े शहरों में मरीजों की भारी तादाद के चलते अस्पतालों में बेड नहीं बचे हैं तो मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइन लगी हैं और घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। 

संक्रमितों की बढ़ती तादाद को देख सरकार ने निजी पैथोलॉजी लैब को जांच करने से रोक दिया है और सरकारी जांचें भी मुश्किल से हो पा रही हैं। ऐसे हालात होने के बाद भी प्रदेश की योगी सरकार खुद के लिए हार्वर्ड से लेकर तमाम मीडिया संस्थानों में छपी खबरों व रिपोर्टों को दिखाकर बेहतर कोरोना प्रबंधन का दावा कर रही है। 

पद्मश्री योगेश प्रवीन की मौत 

लखनऊ के जाने-माने इतिहासकार और पद्मश्री योगेश प्रवीन की मौत सोमवार को एंबुलेंस न मिलने के चलते हो गयी। प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखे पत्र में इतिहासकार की मौत का हवाला देते हुए कहा है कि उनके आग्रह के बावजूद भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी। 

मंत्री बोले- टेस्ट, बेड बढ़ाएं

प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर अस्पतालों, एंबुलेंस, जांचों की खस्ताहालत का जिक्र किया है। ब्रजेश पाठक राजधानी लखनऊ की एक विधानसभा सीट से विधायक भी हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी का पहले तो फोन तक नहीं उठता था और अब जो उठने लगा तो सुनवाई नहीं होती है। 

पाठक ने लिखा है कि निजी पैथालोजी से होने वाली जांचें बंद हो गयी हैं। सरकारी जांच करने वालों को हर रोज 17000 किट की जरुरत है जबकि उन्हें केवल 10000 किट ही मिल पा रही हैं। 

पाठक ने लिखा है कि लखनऊ में हर रोज 4000-5000 कोरोना रोगी मिल रहे हैं जबकि अस्पतालों में बेडों की संख्या काफी कम है। जांच की रिपोर्ट भी काफी देर में मिल पा रही है। मंत्री का कहना है कि अगर हालात काबू में नहीं आते हैं तो लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।

रोगी बढ़े, व्यवस्था आधी 

यूपी में अगर राजधानी की ही बात करें तो बीते साल के मुकाबले कोरोना संक्रमितों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है। बीते साल जहां 35 अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज हो रहा था वहीं इस बार इनकी संख्या महज 20 ही है। हर रोज सरकारी प्रेस नोटों में कोविड बेड बढ़ाने का दावा करने के बाद भी कहीं बेड उपलब्ध नहीं हो सके हैं। 

लखनऊ में अखिलेश सरकार में बने कैंसर अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदलने का आदेश किया गया है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कागजी खानापूर्ति करने और सभी व्यवस्थाएं करने में कम से कम एक हफ्ते का समय लग जाएगा। 

 - Satya Hindi

निजी पैथालोजी को अनेक तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए जांच करने से रोक दिया गया है जबकि सरकारी जांचें बहुत धीमी रफ्तार से हो रही हैं। जांच हो जाने पर रिपोर्ट मिलने में ही तीन से चार दिन लग जा रहे हैं।

श्मशान में भी जगह नहीं 

उत्तर प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ बीते 24 घंटे में 13685 नए कोविड केस मिले हैं और 72 मौतें हुई हैं। इनमें भी अकेले राजधानी लखनऊ में बीते 24 घंटों में 3892 नए केस मिले और  21 मौत हुई हैं। प्रदेश भर में कुल कोरोना रोगियों में से 80 फीसदी केवल लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और कानपुर शहरों में पाए जा रहे हैं। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि वास्तविक रोगियों की तादाद और मौतें सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं। 

राजधानी में सोमवार को 65 कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार विभिन्न शवदाह गृहों में किया गया है। यह संख्या केवल हिन्दू श्मशान घरों की है जबकि कब्रिस्तानों में भीड़ लगी हुई है। कोरोना मृतकों का इस कदर तांता लगा हुआ है कि श्मशान गृहों पर जलाने के लिए लकड़ियां तक कम पड़ रही हैं। सोमवार को लखनऊ के पड़ोसी जिले सीतापुर से प्रशासन को 20 ट्रक लकड़ियां मंगानी पड़ी है। प्रदेश सरकार ने श्मशान घरों पर शवों को जलाने वाले प्लेटफार्म तक बढ़ाए हैं।

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