‘स्टॉक के बारे में सोचे बिना केंद्र ने बड़े स्तर पर टीकाकरण शुरू कर दिया’
वैक्सीन की कमी को लेकर चारों ओर से घिरी मोदी सरकार ने इस मामले में किस कदर बिना सोचे-समझे काम किया, इसका पता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव के बयान से चलता है। जाधव ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण शुरू कर दिया लेकिन इस बात की जांच तक नहीं की कि वैक्सीन का स्टॉक कितना है और इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की क्या गाइडलाइंस हैं।
एक ई-समिट में भाग ले रहे जाधव ने कहा कि सरकार को डब्ल्यूएचओ की ओर से बनाई गई गाइडलाइंस को मानना चाहिए और उस हिसाब से ही टीकाकरण की प्राथमिकता को तय करना चाहिए।
जाधव ने कहा, “शुरुआत में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की बात कही गयी थी और इसके लिए 60 करोड़ टीकों की ज़रूरत थी। लेकिन जब तक हम इस लक्ष्य तक पहुंचते, केंद्र सरकार ने 45 साल से ऊपर के लोगों के साथ ही 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए भी टीकाकरण को शुरू कर दिया।”
जाधव ने कहा कि सरकार ने बावजूद इसके कि वह जानती थी कि इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं, यह फ़ैसला ले लिया।
जाधव ने कहा कि हमें इससे यह सबक मिलता है कि हम इस बात का ध्यान रखें कि हमारे पास कितना सामान है और उसके बाद सोच-समझकर ही उसका इस्तेमाल करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टीकाकरण ज़रूरी है लेकिन इसके बाद भी लोगों के संक्रमित रहने का ख़तरा बना रहता है।
सावधान रहना ज़रूरी
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के कार्यकारी निदेशक जाधव ने कहा, इसलिए यह ज़रूरी है कि हम सावधानी रखें और कोरोना से बचने के लिए बनाई गई गाइडलाइंस का पालन करें। उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय वैरिएंट के डबल म्यूटेंट को बेअसर किया जा चुका है लेकिन फिर भी यह वैरिएंट टीकाकरण में मुश्किलें पैदा कर सकता है।
रोकना पड़ा था टीकाकरण
भारत सरकार ने एलान किया था कि देश में 18-44 साल के लोगों को 1 मई से टीका लगाया जाएगा। लोगों ने इसके लिए ख़ुद को रजिस्टर कराना शुरू किया लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण कई राज्यों को इस आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण रोकना पड़ा था। इनमें महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं।
हालांकि कर्नाटक में शनिवार से फिर से 18-44 साल के लोगों का टीकाकरण शुरू किया गया है। वैक्सीन की किल्लत के कारण दिल्ली में केजरीवाल सरकार को अपने 100 से ज़्यादा टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा था और राजस्थान, पंजाब सहित कई और राज्यों ने वैक्सीन की कमी होने की बात कही थी।
एस्ट्राज़ेनेका कंपनी ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोविशील्ड वैक्सीन को विकसित किया है और भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहा है। कोविशील्ड वैक्सीन भारत में तो करोड़ों लोगों को लग ही रही है, दुनिया के कई देशों में भी इसकी सप्लाई की गयी है। दूसरी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है।