सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों को मार दें गोली: केंद्रीय मंत्री
शायद मोदी सरकार को यह उम्मीद नहीं रही होगी कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विपक्षी राजनीतिक दलों से लेकर आम लोग और छात्र भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर जाएंगे। भारत ही नहीं विदेशों में रहने वाले कुछ भारतीयों ने इस क़ानून के विरोध में आवाज़ उठाई है। लगातार प्रदर्शनों और इनमें हो रही हिंसा के बाद केंद्र सरकार के एक मंत्री ने कहा है कि प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों को मौक़े पर ही गोली मार देनी चाहिए।
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘मैंने जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों को बता दिया है कि अगर कोई भी सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाता है तो उसे मौक़े पर ही गोली मार दी जाए, मैं यह निर्देश केंद्रीय मंत्री होने के नाते दे रहा हूँ।' मंत्री ने यह भी कहा कि सार्वजनिक संपत्ति कर दाताओं के पैसे से बनती है और एक ट्रेन को बनने में सालों लग जाते हैं।
नागरिकता संशोधन क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
बंगाल में इस क़ानून के विरोध के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है। प्रदर्शनकारियों ने 13 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में एक रेलवे स्टेशन कांप्लेक्स को जला दिया और कुछ बसों में भी आग लगा दी थी। इसके अलावा असम में भी इस क़ानून के विरोध में हिंसा हुई है।
केंद्रीय मंत्री अंगड़ी ने कहा कि इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और वह भी ऐसे हालात में जब रेलवे को पहले से ही पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में नुक़सान हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘13 लाख कर्मचारी लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा देने के लिए दिन-रात काम करते हैं लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों को विपक्ष की ओर से समर्थन मिल रहा है और ऐसे ही लोग मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘केंद्र सरकार को प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों के ख़िलाफ़ देश के पहले गृह मंत्री वल्लभ भाई पटेल की ही तरह कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।’
अंगड़ी ने यह भी दावा किया कि विपक्षी राजनीतिक दल इस क़ानून को लेकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं जबकि इससे भारत के वैध नागरिकों को कोई ख़तरा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम केवल अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता दे रहे हैं और इससे भारत के अल्पसंख्यकों पर कोई प्रभाव नहीं होगा। लेकिन कुछ लोग लगातार अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।’
हिंसक प्रदर्शनों के कारण सोमवार को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में रेल सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं थीं। अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए अगले आदेश तक सभी सेवाओं को बंद रखा गया है।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे विरोध के बीच हालाँकि सरकार बार-बार कह रही है कि इससे भारत के अल्पसंख्यकों को कोई नुक़सान नहीं होगा। लेकिन फिर भी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की ख़बरें आ रही हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली के सीलमपुर और ज़ाफराबाद में भी हिंसा हुई है।