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नौकरियां जा रही हैं और सरकार फ़िल्मों की कमाई बता रही: कांग्रेस

नौकरियां जा रही हैं और सरकार फ़िल्मों की कमाई बता रही: कांग्रेस

कांग्रेस ने केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के आर्थिक मंदी को लेकर दिये बयान पर जोरदार पलटवार किया है। कांग्रेस ने कहा है कि केंद्रीय मंत्री का यह बयान बेहद ही असंवेदनशील है। 

कांग्रेस ने केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के आर्थिक मंदी को लेकर दिये बयान पर जोरदार पलटवार किया है। कांग्रेस ने कहा है कि केंद्रीय मंत्री का यह बयान बेहद ही असंवेदनशील है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद शनिवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान देश में आर्थिक मंदी को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को नेशनल हॉली डे वाले दिन तीन फ़िल्में रिलीज हुईं और एक दिन में इन तीन फ़िल्मों ने 120 करोड़ का कारोबार किया। प्रसाद ने इन फ़िल्मों के नाम वॉर, जोकर और सायरा बताये। इसके बाद वह ऐसे हंसे जैसे उन लोगों को मजाक उड़ा रहे हों जो लोग सरकार को बार-बार बता रहे हैं कि आर्थिक मोर्चे पर हालात ख़राब हैं और सरकार इस पर ध्यान दे। प्रसाद ने हंसते हुए कहा कि जब देश में इकॉनमी की हालत अच्छी है तभी तो एक दिन में 120 करोड़ रुपये का रिटर्न आता है। 

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट कर कहा कि जब लोगों की नौकरियां जा रही हैं और फ़ैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, ऐसे समय में सरकार आर्थिक मंदी को ग़लत साबित करने के लिये फ़िल्मों की कमाई की बात कर रही है। सुप्रिया ने कहा कि विकास दर लगातार गिर रही है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से पूछा कि जब लोगों का भविष्य दांव पर हो तो क्या उन्हें फ़िल्म देखने चले जाना चाहिए। 

बता दें कि देश में चारों ओर मंदी का शोर है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में नौकरियां जाने से लेकर उत्पादन गिरने, मूडीज के भारत की विकास दर को कम करने, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के -1.10 प्रतिशत रहने सहित बेरोज़गारी के पिछले 45 सालों में शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने जैसी कई भयावह ख़बरें हैं, जो बताती हैं कि आर्थिक मोर्चे पर हालात ठीक नहीं हैं। लेकिन मोदी सरकार के क़ानून मंत्री का यह बयान आर्थिक मंदी की वजह से अपनी नौकरियां गंवा देने वाले या व्यापार में घाटे की वजह से परेशान व्यापारियों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला है। 

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने साल 2019-2020 के लिए भारत के सकल घरेल उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर घटा कर 5.8 प्रतिशत कर दी है जबकि पहले यह 6.2 प्रतिशत थी। इसकी वजह निवेश और माँग में कमी, ग्रामीण इलाक़ों में मंदी और रोज़गार के मौक़े बनाने में नाकामी को माना जा रहा है। 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने हाल ही में कहा है कि भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश में आर्थिक मंदी ज़्यादा प्रभावी और साफ़ दिख रही है। जॉर्जीवा ने मुद्रा कोष और विश्व बैंक की अगले हफ़्ते होने वाली साझा बैठक के पहले यह बात कही। उन्होंने चिंता जताई कि विश्व की अर्थव्यवस्था का 90 प्रतिशत हिस्सा अगले साल मंदी की चपेट में आ जाएगा।

इसके अलावा विश्व आर्थिक फ़ोरम द्वारा तैयार अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा इन्डेक्स में भारत 10 स्थान फिसल कर 68वें स्थान पर आ गया है। कुछ ही दिन पहले ख़बर आई थी कि सितंबर 2019 में मोदी सरकार पर उपभोक्ताओं का भरोसा पिछले 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है और आरबीआई ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर में कटौती कर इसे 6.9 प्रतिशत से कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। 

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