राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर खंडपीठ 10 जनवरी को
राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के खंडपीठ का गठन 10 जनवरी को किया जाएगा। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एस. के. कौल के सामने यह मामला उठाया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए तीन सदस्यों के खंडपीठ का गठन 10 जनवरी को किया जाएगा। वह खंडपीठ आगे की सुनवाई करेगा।
यह उम्मीद की जा रही थी कि शुक्रवार को खंडपीठ का गठन हो जाएगा। मुख्य न्यायाधीश गोगोई के सामने यह मुद्दा उठाया गया। पर उन्होंने एक मिनट से भी कम समय में कह दिया कि इस खंडपीठ का गठन आज नही, 10 जनवरी को किया जाएगा। समझा जाता है कि इस खंडपीठ में तीन सदस्य होंगे और वे आगे की सुनवाई करेंगे। इस मुद्दे पर राजनीति के और गर्म होने की पूरी संभावना है। हिन्दुत्ववादी संगठन प्रधानमंत्री पर दबाव बना रहे हैं कि जल्द से जल्द क़ानून बना कर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ किया जाए।
कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अदालत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इस पर क़ानून बनाने का काम हो सकता है। लेकिन अगले ही दिन विश्व हिन्दू परिषद ने साफ़ तौर पर कह दिया हिन्दू समाज अदालत के फ़ैसले का इंतज़ार अनंत काल तक नहीं कर सकता। इसलिए, सरकार राम मंदिर बनाने के लिए जल्द अध्यादेश लाए या संसद से क़ानून पारित करवाए।
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राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद से जुड़ी कुछ मुख्य बातें:
- 1. विवाद के केंद्र में कुल 2.7 एकड़ की ज़मीन है। इस ज़मीन पर पहले बाबरी मसजिद थी, जिसे 1992 में गिरा दिया गया। इसके कुल तीन दावेदार हैं-राम लला, निर्मोही अखाड़ा और केंद्रीय सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड।
- 2. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सितबंर 2010 को एक फ़ैसले में विवादित ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँट दिया, तीनों दावेदारों को बराबर का हिस्सा देने की बात कही गई। यह भी कहा गया कि यदि थोड़ी बहुत ज़मीन के लिए किसी पक्ष को आपत्ति हो तो सरकार अतिरिक्त ज़मीन का अधिग्रहण कर उसे दे सकती है।
- 3. इस निर्णय के ख़िलाफ़ तीनों ही पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
- 4. इस साल अक्टूबर में उत्तर प्रदेश सरकार और दूुसरों ने मामले के जल्द निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग अर्ज़ियाँ दीं। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि जनवरी से पहले सुनवाई शुरू नहीं होगी।
- 5. विवाद के जल्द निपटारे से सुप्रीम कोर्ट के इनकार करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद और दूसरे हिन्दुत्ववादी संगठन सरकार पर दबाव बनाने लगे कि राम मंदिर बनाने के लिए वह क़ानून पास करवाए।
- 6. प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही क़ानून बन सकता है।