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मुस्लिमों से नफरत वाली जज की टिप्पणी का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, रिपोर्ट मांगी

मुस्लिमों से नफरत वाली जज की टिप्पणी का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, रिपोर्ट मांगी

देश में जिस तरह कुछ जजों ने मुस्लिमों को लेकर टिप्पणियां की हैं और कुछ अदालतों में कुछ जजों ने खुलकर भाजपा का पक्ष लिया है, उस पर देश के बुद्धिजीवी चिन्ता जताते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार कर्नाटक हाईकोर्ट के ऐसे ही एक जज की टिप्पणी का खुद संज्ञान लिया है और वहां के रजिस्ट्रार से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। हाईकोर्ट के जज साहब ने बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को दूसरा पाकिस्तान कहा था। जानिए पूरी बातः

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद की विवादास्पद टिप्पणी कि बेंगलुरु का एक खास क्षेत्र दूसरा पाकिस्तान है, पर मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच जजों की बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, "हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगने के बाद हम इस बारे में कुछ बुनियादी दिशानिर्देश तय कर सकते हैं।"  चीफ जस्टिस से प्रशासनिक निर्देश मांगने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इस मुद्दे पर दो दिनों में एक रिपोर्ट सौंपने को कहते हुए, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को बुधवार के लिए टाल दिया। यानी इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

चीफ जस्टिस की इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय भी शामिल हैं। इन सभी जजों ने एक सुर में अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस संबंध में बेंच के सामने बुलाकर टिप्पणी मांगी।

यह देखते हुए कि अदालत की कार्यवाही के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस श्रीशानंद द्वारा की गई टिप्पणियों पर मीडिया रिपोर्टों पर उनका ध्यान आकर्षित किया गया है, सीजेआई ने जजों के लिए सावधानी बरतने की बात कही। सीजेआई ने कहा, "सोशल मीडिया के इस युग में, अदालती कार्यवाही पर कड़ी नजर रखी जाती है और इसलिए हमें उसके अनुसार कार्य करना होगा।"

जस्टिस श्रीशानंद ने कहा था- “उस मैसूरु रोड फ्लाईओवर पर जाओ। हर ऑटो-रिक्शा में 10 लोग बैठे रहते हैं। यहा कोई नियम लागू नहीं है क्योंकि गोरी पल्या से फूल मार्केट तक मैसूर फ्लाईओवर पाकिस्तान में है... भारत में नहीं है। यह सच्चाई है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप वहां कितने सख्त पुलिस अधिकारी को तैनात कर देंगे, उन्हें वहां पीटा जाएगा।” जज साहब की यह वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई से कर्नाटक के उन जज साहब के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का आग्रह किया था। इससे पहले इन्हीं जज साहब का एक और वीडियो जेंडर को लेकर सामने आया था। इंदिरा जय सिंह ने उस मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट का ध्यान दिलाया था।

इस वीडियो में जस्टिस श्रीशानंद एक महिला वकील को विरोधी पक्ष के वकील से पूछे गए सवाल का जवाब देने पर फटकार लगाते नजर आ रहे हैं। जज ने मजाक में महिला वकील से कहा कि ऐसा लगता है कि वह विपरीत पक्ष के बारे में बहुत कुछ जानती है, और वह आगे उसके अंडरगारमेंट्स का रंग भी बता सकती है। जज साहब की इस टिप्पणी पर इंदिरा जयसिंह के अलावा भी कई महिला वकीलों ने आपत्ति जताई है।

कर्नाटक हाईकोर्ट के जज के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संज्ञान ले लिया। लेकिन इससे पहले कोलकाता हाईकोर्ट के कई जजों ने खुल्लमखुल्ला भाजपा नेताओं की याचिकाओं को ज्यादा महत्व दिया। एक जज साहब रिटायर होने के अगले दिन भाजपा में शामिल हो गए, लोकसभा चुनाव भाजपा टिकट पर लड़ा और सांसद बन गए। लेकिन इन पूर्व जज साहब पर अदालत में खुलकर भाजपा का पक्ष लेने का आरोप है। यह दाग पूर्व जज साहब जिन्दगी भर नहीं धो पाएंगे। लेकिन हाईकोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के जजों का भी पक्षपात वाला रवैया सामने आता रहा है। जस्टिस रंजन गोगोई ने भाजपा में बाबरी मस्जिद की जमीन का ऐतिहासिक फैसला सुनाने के बाद जब रिटायर हुए तो राज्यसभा में चले गए। वो भाजपा की मदद से राज्यसभा में पहुंचे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का गणपति पूजा का वीडियो वायरल हुआ था। उस वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी चीफ जस्टिस के घर जाकर गणपति पूजा करते दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो काफी चर्चा में रहा। विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पीएम मोदी ने चीफ जस्टिस के घर जबरन जाकर उनके पद की गरिमा गिराने की कोशिश की है। चीफ जस्टिस के घर कैमरा क्यों ले जाया गया। क्यों वहां का फोटो और वीडियो खुद पीएम मोदी ने सार्वजनिक किया। 

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