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केंद्र की कोरोना टीका नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

केंद्र की कोरोना टीका नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की कोरोना टीका नीति पर सवाल उठाते हुए इसकी आलोचना की है। अदालत ने  कहा है कि 45 साल और इससे अधिक की उम्र के लोगों को मुफ़्त कोरोना टीका देना और 45 से कम की उम्र के लोगों से इसके लिए पैसे लेना 'अतार्किक' और 'मनमर्जी' है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की कोरोना टीका नीति पर सवाल उठाते हुए इसकी आलोचना की है। अदालत ने  कहा है कि 45 साल और इससे अधिक की उम्र के लोगों को मुफ़्त कोरोना टीका देना और 45 से कम की उम्र के लोगों से इसके लिए पैसे लेना 'अतार्किक' और 'मनमर्जी' है।

उसने केंद्र सरकार से कहा है कि 31 दिसंबर, 2021 तक कोरोना टीके की उपलब्धता के बारे में विस्तार से बताए। 

सर्वोच्च न्यायालय ने 18-44 साल की उम्र के लोगों से पैसे लेकर कोरोना टीका देने की नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि इस आयु वर्ग के लोग न सिर्फ कोरोना से प्रभावित हुए हैं, बल्कि उन्हें संक्रमण के गंभीर प्रभाव झेलने पड़े हैं, उन्हें अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती रहना पड़ा है और दुर्भाग्यवश कुछ लोगों की मौत भी हुई है।

अदालत ने कहा है कि कोरोना महामारी ने जिस तरह अपना स्वरूप बदला है, उससे कम उम्र के लोगों को भी टीका दिए जाने की ज़रूरत है, हालांकि अलग-अलग उम्र के लोगों के बीच वैज्ञानिक आधार पर प्राथमिकता तय की जा सकती है। 

 - Satya Hindi

बता दें कि कई राज्यों ने पहले ही माँग की थी कि 45 साल से अधिक उम्र के लोगों की तरह युवाओं के टीकाकरण की जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार अपने ऊपर ले। लेकिन केंद्र सरकार ने यह जिम्मेदारी राज्यों पर डाल रखी है। उसने राज्य सरकारों से कहा है कि कोरोना वैक्सीन की खरीद के लिए कंपनियों से सीधे संपर्क करें और खरीदें। 

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के दो दिन पहले ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कहा था कि कोरोना वैक्सीन खरीदने की ज़िम्मेदारी राज्यों पर डालना सहकारी संघवाद की अवधारणा के ख़िलाफ़ है। 

हेमंत सोरेन ने यह भी कहा था कि कोरोना टीका लगाने के लिए होने वाला खर्च उठाना झारखंड के लिए मुश्किल है क्योंकि कोरोना की वजह से उसकी आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है। 

इसके अलावा दिल्ली, पंजाब और छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारों ने कहा है कि युवाओं के टीकाकरण की जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार को उठानी चाहिए।

इसके पहले भी कोरोना टीका नीति पर सप्रीम कोर्ट ने केंद्र की आलोचना की थी। इसके पहले 31 मई को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र ने अदालत मेंउठाए गए सवालों का जवाब देने के लिए दो हफ़्ते का समय मांगा था। 

अदालत ने कहा था, “45 साल से अधिक की उम्र वाले सभी लोगों के लिए केंद्र सरकार वैक्सीन ख़रीद रही है लेकिन 18-44 साल वालों के लिए ख़रीद को दो हिस्सों में बांटा गया है। राज्यों को 50 फ़ीसदी वैक्सीन निर्माताओं द्वारा दी जाएगी और इसकी क़ीमत केंद्र सरकार तय करेगी और बाक़ी निजी अस्पतालों को दी जाएगी।” 

सुप्रीम कोर्ट ने इसके आगे कहा था,  “केंद्र सरकार ने वैक्सीन की क़ीमतों को तय करने का मामला निर्माताओं पर क्यों छोड़ दिया। केंद्र सरकार को पूरे देश के लिए एक क़ीमत की जिम्मेदारी लेनी होगी।”

कोरोना टीका नीति पर क्या कहना है वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का, यहाँ देखें। 

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