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SC ने अवमानना मामले में माल्या को 4 महीने की सजा सुनाई

SC ने अवमानना मामले में माल्या को 4 महीने की सजा सुनाई

सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में विजय माल्या को यह सजा सुनाई है और इस भगोड़े कारोबारी पर कितना जुर्माना लगाया है?

सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना करने के मामले में शराब कारोबारी विजय माल्या को सोमवार को 4 महीने की कैद की सजा सुनाई है। शीर्ष अदालत ने विजय माल्या पर जुर्माना भी लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विजय माल्या को अपनी हरकत पर किसी तरह का पछतावा नहीं है और कानून की गरिमा को बनाए रखने के लिए उसे सजा देना जरूरी है। 

विजय माल्या को 2017 में एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ के द्वारा दायर एक मामले में अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था। इस मामले में विजय माल्या ने अपने बच्चों के खातों में 40 लाख अमेरिकी डॉलर ट्रांसफर कर दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को आदेश दिया कि वह 40 लाख अमेरिकी डॉलर को ब्याज के साथ चार हफ्ते के भीतर वापस करें। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से कहा है कि विजय माल्या के द्वारा ऐसा ना किए जाने पर उसके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई करें।

साल 2020 में माल्या ने अदालत के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने माल्या पर 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला दिया। 

इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने एसबीआई के नेतृत्व में 13 बैंकों का एक संघ बनाया था। इन बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे। 

9,000 करोड़ का क़र्ज

इस मशहूर शराब कारोबारी ने भारत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और कुछ अन्य बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। 

भारत में बैंकों की ओर से दबाव बढ़ने पर माल्या ने मार्च 2016 में देश छोड़ दिया था और अप्रैल 2017 से ही वह जमानत पर है। माल्या ने एक बार दावा किया था कि 2016 में भारत छोड़ने से पहले उसकी तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाक़ात हुई थी लेकिन जेटली ने उसके इस दावे को ख़ारिज कर दिया था। माल्या के इस दावे के बाद भारत में काफ़ी हंगामा हुआ था।

 - Satya Hindi

38 डिफ़ॉल्टर देश छोड़कर भागे

विजय माल्या को भारत लाए जाने की कोशिश भी सरकार ने की लेकिन सरकार को अब तक इसमें कामयाबी हाथ नहीं लगी है। केंद्र सरकार ने साल 2020 में बताया था कि 2015 से 2019 के बीच 38 डिफॉल्टर देश छोड़कर भाग गए हैं। इन भगोड़ों में विजय माल्या के अलावा नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे कई लोग शामिल हैं। मेहुल चौकसी एंटीगा में रहते हैं जबकि नीरव मोदी मार्च 2019 के बाद से ही भारत सरकार के अनुरोध पर लंदन की एक जेल में बंद हैं। 

कौन हैं विजय माल्या?

विजय माल्या मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में हुई। विजय माल्या के पिता विट्टल माल्या एक बड़े कारोबारी थे और उनकी मौत के बाद विजय माल्या ने 28 साल की उम्र में यूनाइटेड ब्रुअरीज ग्रुप का काम संभाला था। इस ग्रुप ने काफी तरक्की की और 15 साल में ही इसका वार्षिक टर्नओवर 64 फीसद बढ़ गया था। विजय माल्या की कंपनी की किंगफिशर बियर का एक वक्त में भारत में 50 फीसद से ज्यादा मार्केट शेयर था और यह 52 देशों में मिलती है। 

दो बार सांसद रहे 

माल्या ने साल 2005 में किंगफिशर एयरलाइंस की स्थापना की थी लेकिन यह घाटे का शिकार हो गई और इसे बंद करना पड़ा। विजय माल्या ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव भारत जनता दल के सदस्य रहे हैं और साल 2003 में वह सुब्रमण्यम स्वामी की जनता पार्टी में शामिल हुए थे। वह 2010 तक इसके राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। 

विजय माल्या साल 2002 और 2010 में दो बार कर्नाटक से राज्यसभा सांसद भी रहे। 2002 में वह जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस के सहयोग से जबकि 2010 में जनता दल सेक्युलर और बीजेपी के सहयोग से राज्यसभा के सांसद रहे। एक वक्त में उन्हें किंग ऑफ गुड टाइम्स कहा जाता था और ऐसा उनकी जबरदस्त जीवनशैली की वजह से था।

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