भारत सेकुलर देश...हेट स्पीच पर कोई समझौता नहींः SC
सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते हेट स्पीच (नफरती बयान) के मामलों पर चिंता जताते हुए कहा है कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष (सेकुलर) देश में मजहब के आधार पर नफरती अपराध की कोई गुंजाइश नहीं है। नफरती बयानों पर कोई समझौता नहीं हो सकता है। इसका समाधान तभी हो सकता है जब सरकार हेट स्पीच को एक समस्या के रूप में स्वीकार करे। उसने कहा कि ऐसे नफरती अपराधों से अपने नागरिक को बचाना सरकार का सबसे जरूरी फर्ज है।
पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की बेंच ने कल सोमवार को ये टिप्पणियां कीं। बेंच ने मामले की सुनवाई सोमवार को देर शाम तक की।
सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने कहा कि जब नफरती अपराधों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो उससे एक ऐसा माहौल बनता है जो बहुत खतरनाक होता है। इसलिए ऐसे नफरती अपराधों को हमें हमारे जिन्दगी से जड़ से खत्म करना होगा। नफरती भाषण पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही है। जिसमें पीड़ित ने आरोप लगाया है कि 4 जुलाई, 2021 को अपराधियों के एक पेचकस गिरोह (स्क्रूड्राइवर गैंग) ने मजहब के नाम पर उसके साथ मारपीट और बदसलूकी की। यह घटना तब हुई जब वो नोएडा से अलीगढ़ जाने के लिए एक कार में सवार हुए थे।
इस मामले में बेंच ने यूपी सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के.एम. नटराज से हेट स्पीच से जुड़े इस मामले को लेकर कड़ी टिप्पणियां कीं। अदालत ने कहा-
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इन दिनों नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर आम सहमति बन रही है। लेकिन भारत जैसे सेकुलर देश में मजहब के नाम पर ऐसे नफरती अपराधों की कोई गुंजाइश नहीं है। अदालत ने कहा कि अगर कोई शख्स पुलिस के पास आकर कहता है कि मैंने टोपी पहन रखी थी, मेरी दाढ़ी खींची गई और मजहब के नाम पर गाली दी गई और फिर भी कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाती तो यह एक समस्या है।
-सुप्रीम कोर्ट, 6 फरवरी, 2023 सोर्सः पीटीआई
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि सरकार के हर अधिकारी की कार्रवाई कानून के प्रति सम्मान को बढ़ाती है। नहीं तो सभी कानून अपने हाथ में ले लेंगे। उन्होंने कहा-
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क्या आप इस बात को नहीं मानेंगे कि नफरत एक अपराध है। आप इसे कालीन के नीचे नहीं दबा सकते? हम कुछ भी आपके खिलाफ नहीं कह रहे हैं। हम लोग सिर्फ अपना दर्द बयान कर रहे हैं।
- जस्टिस के एम जोसेफ, सुप्रीम कोर्ट, 6 फरवरी 2023 सोर्सः पीटीआई
याचिकाकर्ता काज़िम अहमद शेरवानी की ओर से सीनियर एडवोकेट हुज़ेफा अहमदी ने अदालत को बताया कि 13 जनवरी को इस अदालत ने यूपी सरकार को केस डायरी पेश करने के लिए कहा था। क्योंकि पुलिस ने दो साल बाद एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें सिर्फ एक धारा को छोड़कर सभी जमानती अपराध की धाराएं लगाई थीं।
यूपी सरकार के एएसजी केएम नटराज ने इस बात को माना कि पुलिस अधिकारियों ने चूक की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि एसीपी रैंक के अफसर के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया गया है। दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा-
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आप इस केस से एक उदाहरण पेश कर सकते हैं। अपने फर्ज में लापरवाही बरतने वालों को नतीजे भुगतने दीजिए। जब आप ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई करेंगे, तभी हम विकसित देशों की बराबरी कर पाएंगे। कहिए हां चूक हुई है। गलती स्वीकार करने में कुछ भी गलत नहीं है।
-सुप्रीम कोर्ट, 6 फरवरी, 2023 सोर्सः पीटीआई
यूपी सरकार के एएसजी के. एम. नटराज ने कहा कि 4 जुलाई, 2021 को जब कथित घटना हुई थी, पीड़ित नोएडा सेक्टर 37 पुलिस चौकी गया था, जहां सिर्फ कॉन्स्टेबल मौजूद थे। उन लोगों ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की। फिर पीड़ित जामिया नगर के अस्पताल में गया और दिल्ली पुलिस को बयान दिया कि उसे लूटा गया, हमला किया गया और चोटें आईं। तब उसने यह नहीं कहा था कि यह नफरती अपराध का मामला है या उस पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि वह मुस्लिम था।
बेंच ने कहा-
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आप अल्पसंख्यक हों या बहुसंख्यक, कुछ बातें मनुष्य के अंदर होती हैं। आप एक परिवार में पैदा हुए और उसी में पले-बढ़े हैं। हमारे पास अपना धर्म चुनने का कोई विकल्प नहीं है। लेकिन हम एक सेकुलर राष्ट्र तो हैं। यह हमारे देश की सुंदरता, महानता है। हमें इसे समझना होगा।
-सुप्रीम कोर्ट, 6 फरवरी, 2023 सोर्सः पीटीआई
जस्टिस जोसेफ ने राजस्थान की एक हालिया घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक मूक व्यक्ति पर हमला किया गया लेकिन बाद में पता चला कि पीड़ित हिंदू था। उन्होंने कहा, अगर आप नफरती अपराध को आज नजरअंदाज करेंगे तो एक दिन यह आप पर भी आएगा। अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कुछ लोगों का रवैया सांप्रदायिक है।
एएसजी ने कोर्ट को बताया कि उस गिरोह के के खिलाफ आठ एफआईआर दर्ज की गई हैं और उन पर कार्रवाई की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि गिरोह के सदस्यों के खिलाफ पहली एफआईआर कब दर्ज की गई और कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया और क्या वे वही लोग थे, जिन्होंने पीड़ित पर हमला किया। उन्हें कब जमानत दी गई।
एएसजी नटराज ने कहा कि वह सभी एफआईआर की डिटेल के साथ एक हलफनामा दायर करेंगे। उन्होंने बताया कि पहली एफआईआर जून 2021 में पेचकस गिरोह के सदस्यों के खिलाफ दर्ज की गई थी। उस गिरोह ने मुसलमानों या हिंदुओं पर हमला करने में कोई भेदभाव नहीं किया था।
इस पर एडवोकेट अहमदी ने कहा कि यह मानने में दो साल लग गए कि एक आपराधिक घटना हुई थी। यूपी सरकार के दो हलफनामों में पुलिस ने कहा था कि कोई नफरती अपराध नहीं हुआ था। 5 जुलाई, 2021 को एक पुलिस गश्ती दल पीड़ित के घर आया था और कहा था कि इस घटना को नफरती अपराध के रूप में कोर्ट में नहीं पेश किया जाए। पुलिस वालों ने कहा था कि कोर्ट को यह न बताया जाए कि उसकी दाढ़ी खींची गई थी खतना किए जाने का मज़ाक उड़ाया गया था।
पीटीआई के मुताबिक अदालत ने कहा-
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वह अनुच्छेद 32 के तहत पीड़ित की याचिका पर इस बारे में देशभर के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकती है। अन्यथा अदालतों में बाढ़ आ जाएगी। हालांकि हो सकता है कि देश में ऐसा हो रहा हो और यह घटना उस तरफ संकेत देती हो।
-सुप्रीम कोर्ट, 6 फरवरी, 2023 सोर्सः पीटीआई
एएसजी नटराज ने कहा कि पुलिस ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि कोई आपराधिक घटना नहीं हुई थी, लेकिन पुलिस ने यह नहीं पाया था कि यह मजहब के नाम पर किया गया अपराध था। पीड़ित ने मीडिया में इस मुद्दे का प्रचार होने का फायदा उठाने की कोशिश की और अपने बयान बदले।
अदालत ने यूपी सरकार से एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा और मामले की आगे की सुनवाई 3 मार्च के लिए स्थगित कर दी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 21 अक्टूबर को यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली में नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा था। अदालत ने कहा था - हम मजहब के नाम पर कहाँ पहुँच गए हैं। यह दुखद है। अदालत ने सेकुलर भारत की परिकल्पना का हवाला देते हुए तीनों राज्यों को निर्देश दिया था कि शिकायत मिलने का इंतजार किए बिना अपराधियों के खिलाफ फौरन आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।