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शहर-वार और केंद्र-वार नीट-यूजी परिणाम प्रकाशित करे एनटीए: SC

शहर-वार और केंद्र-वार नीट-यूजी परिणाम प्रकाशित करे एनटीए: SC

क्या नीट-यूजी की परीक्षा दोबारा कराई जा सकती है? जानिए, याचिकाकर्ताओं की इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एनटीए को निर्देश दिया कि वह सभी नीट-यूजी छात्रों के परिणाम शहरवार और केंद्रवार अपनी वेबसाइट पर शनिवार दोपहर 12 बजे तक प्रकाशित करे। इसके साथ ही उम्मीदवारों की पहचान गुप्त रखने के लिए भी कहा गया है।

एनईईटी मामले को सोमवार तक स्थगित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को परिणाम प्रकाशित करने के लिए कहा है। याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की थी कि वे केंद्र-वार अंक पैटर्न का पता लगाने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि एनटीए ने सभी उम्मीदवारों के परिणाम प्रकाशित नहीं किए हैं। मुख्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए हुड्डा ने कहा कि उम्मीदवार असहाय स्थिति में हैं क्योंकि न तो सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट उनके साथ साझा की गई है और न ही पूरे परिणाम प्रकाशित किए गए हैं।

'नीट की दोबारा परीक्षा तभी जब बड़े पैमाने पर शुचिता भंग हुई हो'

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा है कि नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से आयोजित करने का कोई भी आदेश इस ठोस आधार पर होना चाहिए कि पूरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई हो। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'सिर्फ़ इसलिए कि 23 लाख में से सिर्फ़ 1 लाख को ही प्रवेश मिलेगा, हम दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते। दोबारा परीक्षा इस ठोस आधार पर होनी चाहिए कि पूरी परीक्षा प्रभावित हुई हो।'

अंक वृद्धि और कथित पेपर लीक पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने एनटीए से यह बताने के लिए कहा है कि जिन छात्रों ने परीक्षा वाले शहर बदले, उनमें से कितने शीर्ष 1.08 लाख में जगह बना पाए और क्या 9 और 10 अप्रैल को पंजीकरण कराने वालों के पक्ष में कोई पक्षपात है? शीर्ष अदालत नीट-यूजी में कथित अनियमितताओं से संबंधित लगभग 40 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि एनटीए ने कहा है कि अंकों में बढ़ोतरी होने की वजह पाठ्यक्रम में कमी का होना है। इसने कहा कि हालाँकि पाठ्यक्रम में वृद्धि और कमी होती रहती है।  

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि क्योंकि लाखों छात्र न्यायालय के निर्णय के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं, सामाजिक प्रभाव के कारण हम नीट मामले को प्राथमिकता देंगे। परीक्षा रद्द किए जाने की अपील पर अदालत ने जवाब दिया,

आपको हमें यह दिखाना होगा कि लीक व्यवस्थित था, जिससे पूरी परीक्षा प्रभावित हुई... ताकि पूरी परीक्षा रद्द की जाए...। दूसरा, हमें बताएं कि इस मामले में जांच की दिशा क्या होनी चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने कहा कि यदि हम आपकी व्यापक दलील को स्वीकार करते हैं कि लीक हुए प्रश्नपत्रों के कारण परीक्षा परिणाम प्रभावित हुए तो हम यह भी चाहेंगे कि जांच किस दिशा में हो, आप इस पर भी हमारी सहायता करें। अदालत ने यह भी कहा कि उन सैकड़ों या हजारों छात्रों की पहचान करना और उन्हें 'अलग करना' अव्यवहारिक हो सकता है, जिन्होंने पहले से ही प्रश्नों तक पहुँचने की साजिश रची हो।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं के वकील नरेंद्र हुड्डा से देश भर के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या के बारे में पूछा। इस पर, वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि यह संख्या 1,08,000 है।

मुख्य न्यायाधीश ने हुड्डा से उन स्थितियों में भी जवाब मांगा, जब कोई अभ्यर्थी वैध रूप से 1,08,000 के अंतर्गत नहीं आता है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि शेष 22 लाख अभ्यर्थी एक मौका पाना चाहेंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा, 'हम केवल इसलिए दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते क्योंकि वे दोबारा परीक्षा देना चाहते हैं। यह तभी हो सकता है जब परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई हो।' 

केंद्र और एनटीए ने दोबारा परीक्षा की मांग का विरोध करते हुए कहा कि कथित कदाचार और अनियमितताएँ स्थानीय स्तर पर हैं और इससे पूरी मेडिकल परीक्षा की पवित्रता पर कोई असर नहीं पड़ा है।

गुरुवार की सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि आईआईटी- मद्रास द्वारा आयोजित नीट-यूजी 2024 के परिणामों के डेटा विश्लेषण से पता चला है कि न तो 'बड़े पैमाने पर कदाचार' का कोई संकेत था और न ही उम्मीदवारों का कोई स्थानीय समूह इससे लाभान्वित हो रहा था और असामान्य रूप से उच्च अंक प्राप्त कर रहा था।

एनटीए ने भी इसी तरह का हलफनामा दिया है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय, राज्य और शहर स्तर पर अंकों के उसके विश्लेषण से पता चला है कि कुछ नीट उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त किए गए उच्च अंक 'व्यवस्थित विफलता नहीं' थे। एनटीए ने यह भी कहा कि पाठ्यक्रम में लगभग 25 प्रतिशत की कमी से उम्मीदवारों को परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिली।

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