स्वामी की मौत पर रिटायर्ड जज लोकुर ने कहा, अदालत से निराश हूँ, यह अमानवीय है
भीमा कोरेगाँव मामले में अभियुक्त जेसुइट पादरी व मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़ादर स्टैन स्वामी की हिरासत में मौत पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।
रिटायर्ड, जज, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनेता, संयुक्त राष्ट्र व यूरोपीय संघ के मानवाधिकार अधिकारी व दूसरे लोगों ने फ़ादर स्टैन की मृत्यु पर दुख ही नहीं जताया है, वरन सरकार के रवैये की आलोचना की है।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मदन लोकुर ने कहा,
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फ़ादर स्टैन स्वामी का निधन एक बड़ी त्रासदी है, मैं इस मामले में अभियोजन और अदालतों से निराश हूँ। यह अमानवीय है।
मदन लोकुर, रिटायर्ड जज, सुप्रीम कोर्ट
नयनतारा सहगल ने बताया हत्या
मशहूर साहित्यकार नयनतारा सहगल ने इस जेसुइट पादरी की हिरासत में मौत को साफ शब्दों में हत्या कहा है। उन्होंने 'द हिन्दू' से बात करते हुए कहा, 'फ़ादर स्टैन स्वामी की मृत्यु नहीं हुई है, उनकी हत्या की गई है। उनकी हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने अपना जीवन ग़रीबों व वंचितों के लिए खपा दिया। आज जेल उन लोगों से भरी हुई है जो मानवाधिकारों के लिए काम करने की हिम्मत कर रहे हैं। हम उन लोगों के लिए अंतहीन शोक मना रहे हैं, जिनकी हत्या जानबूझ कर कर दी गई है।'
मानवाधिकारों का उल्लंघन
वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने कहा कि फ़ादर स्टैन बहुत ही साहसी थे और आदिवासियों के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने अधिनायकवादी और सांप्रदायिक ताक़तों की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि क़ानूनों का उल्लंघन हो रहा है, मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है और अन्याय हो रहा है।
इसके साथ ही राम ने कहा, 'हमें सुधा भारद्वाज को नहीं भूलना चाहिए जो ढ़ाई साल से भायखला जेल में बंद हैं। अदालतों के समय पर काम नहीं करने पर यह टिप्पणी है।'
सामाजिक कार्यकर्ता पीटर मार्टिन ने कहा कि 'यह अजीब विडंबना है कि फ़ादर स्टैन स्वामी जेल में बंद लोगों के लिए संघर्ष कर रहे थे और उनकी मौत उन्हीं स्थितियों में हो गई।'
'सरकार यही चाहती थी'
स्टैन स्वामी के आश्रम बगैचा में कई साल गुजारने वाले फ़ादर टोनी ने कहा कि फ़ादर स्टैन से लोगों को बहुत ही प्रेरणा मिलती रही है। वे हमेशा ही दूसरों, ख़ास कर आदिवासियों, के अधिकारों की रक्षा के लिए तन कर खड़े रहे हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ता जॉन दयाल ने कहा,
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इस मृत्यु के बारे में पहले से पता था। हम जानते थे कि सरकार चाहती थी कि वे जेल में ही मर जाएं।
जॉन दयाल, मानवाधिकार कार्यकर्ता
उन्होंने कहा, 'जिस तरह सोच समझ कर उनकी ज़मानत याचिकाएं खारिज की गईं, बदला लेने पर उतारू सरकार ने यह साफ कर दिया कि वह उन्हें सबक सिखाना चाहती है, उनके माध्यम से वह भीमा कोरेगाँव के दूसरे अभियुक्तों और दूसरे लोगों को भी संकेत देना चाहती है कि विरोध के स्वरों को कुचल दिया जाएगा।'
'संस्थागत हत्या'
भीमा कोरेगाँव मामले के दूसरे अभियुक्तों के परिजनों ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें एन राम व जॉन दयाल व दूसरे लोगों ने शिरकत की।
इसमें एक साझा बयान जारी किया गया। इस बयान में कहा गया,
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यह स्वाभाविक मौत नहीं है, यह एक सज्जन व्यक्ति की संस्थागत हत्या है, इसे एक अमानवीय राज्य ने अंजाम दिया है। झारखंड के आदिवासियों के जल, ज़मीन, जंगल के लिए संघर्ष करने वाले स्टैन स्वामी की मृत्यु इस तरह नहीं होनी चाहिए थी।
भीमा कोरेगाँव के दूसरे अभियक्तों के परिजन
'केंद्र सरकार ज़िम्मेदार'
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के इस मानवाधिकार कार्यकर्ता की मृत्यु के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इस पूर्ण हृदयहीनता और समय पर दवा व दूसरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया नहीं कराने के लिए केंद्र सरकार उत्तरदायी है।Shocked to learn about the demise of Father Stan Swamy. He dedicated his life working for tribal rights. I had strongly opposed his arrest & incarceration. The Union Govt should be answerable for absolute apathy & non provision of timely medical services, leading to his death.
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 5, 2021
राहुल गांधी ने जताया शोक
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर जेसुइट पादरी की मृत्यु पर शोक जताया और कहा कि 'फ़ादर स्टैन स्वामी न्याय व मानवीय व्यवहार के हक़दार थे।'Heartfelt condolences on the passing of Father Stan Swamy.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 5, 2021
He deserved justice and humaneness.
क्या कहा यूएन व ईयू ने?
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के मानवाधिकार प्रतिनिधियों ने झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़ादर स्टैन स्वामी की पुलिस हिरासत में मौत को 'भयानक' व 'त्रासद' बताया है और उन्हें जेल में रखे जाने को 'अक्षम्य' क़रार दिया है।
यूरोपीय संघ के मानवाधिकार विशेष प्रतिनिधि एमन गिलमोर और संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार स्पेशल रिपोर्टेयर मेरी लॉलोर ने ट्वीट कर जेसुइट पादरी की मौत पर दुख जताया है।
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार स्पेशल रिपोर्टेयर ने ट्वीट किया, 'भारत से भयानक समाचार है। मानवाधिकार कार्यकर्ता व जेसुइट पादरी फ़ादर स्टैन स्वामी की मौत हिरासत में हुई है, वे नौ महीनों से जेल में थे और उन्हें आतंकवाद के झूठे मामले में गिरफ़्तार किया गया था।'
India: I am very saddened to hear that Fr #StanSwamy has passed away. A defender of indigenous peoples’ rights. He was held in detention for the past 9 months. The EU had been raising his case repeatedly with authorities. https://t.co/DNpNa1r8cq
— Eamon Gilmore (@EamonGilmore) July 5, 2021
बता दें कि झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी का निधन सोमवार को पुलिस हिरासत में हो गया। उन्हें एलगार परिषद से जुड़े होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और उन पर आतंक-निरोधी क़ानून लगाए गए थे।उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा जेल में रखा गया था और बंबई हाई कोर्ट के निर्देश पर मुंबई के होली हॉस्पिटल में उनका इलाज किया जा रहा था। वे वेंटीलेटर पर थे और उनकी ज़मानत की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। झारखंड में काम करने वाले 84 साल के इस जेसुइट पादरी ने पिछले सप्ताह ही ज़मानत की याचिका दायर की थी और उन पर यूएपीए लगाने के फ़ैसले को चुनौती दी थी।