‘कृषि क़ानूनों को अदालत में चुनौती देने के बाद भी प्रदर्शन क्यों कर रहे किसान’
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों पर सुप्रीम कोर्ट ने और सख़्ती दिखाई है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि जब मामला अदालत के सामने है तब आप प्रदर्शन नहीं कर सकते।
अदालत ने सवाल किया कि जब कृषि क़ानूनों को अदालत में चुनौती दी गई है तो किसान आख़िर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगी कि जब कृषि क़ानूनों को लेकर अदालत में फ़ैसला लिया जा रहा है, ऐसी स्थिति में किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है या नहीं। अदालत ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी और इसमें वह इस बात का फ़ैसला लेगी कि प्रदर्शन का अधिकार पूर्ण अधिकार है या नहीं।
अदालत ने यह टिप्पणी किसानों की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत मांगी थी।
केंद्र सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि लखीमपुर खीरी में बीते दिन हुई इस घटना के बाद से आगे किसी तरह का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। लखीमपुर खीरी की घटना में 8 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 4 किसान भी हैं।
सख़्त होता सुप्रीम कोर्ट
कुछ ही दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट की किसानों को यह दूसरी फटकार है। कुछ दिन पहले शीर्ष अदालत ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने देने की किसान संगठनों की मांग को लेकर उन्हें आड़े हाथों लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा था कि उन्होंने पूरे शहर का गला घोट दिया है और अब वे शहर के अंदर आना चाहते हैं? बता दें कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को ख़त्म करने की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर्स पर बीते 10 महीनों से धरना दे रहे हैं।
आर्थिक सहायता देगी सरकार
उधर, लखीमपुर खीरी में हुई घटना को लेकर योगी सरकार ने फ़ैसला लिया है कि रिटायर्ड जज इस मामले की जांच करेंगे। यह भी फ़ैसला लिया गया है कि घटना में मारे गए किसानों के परिजनों को 45 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी। इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश का राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है और विपक्षी दल योगी सरकार पर टूट पड़े हैं।
योगी सरकार घायलों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। यूपी के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि मारे गए लोगों के शवों का क़ानूनी प्रक्रिया के तहत पोस्टमार्टम कराया जाएगा और घटना के दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर मांग की कि इस मामले की जांच सीबीआई, एसआईटी या फिर सिटिंग/रिटायर्ड जज से कराई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि इस घटना में मारे गए प्रत्येक बीजेपी कार्यकर्ता के परिजन को 50 लाख रुपये दिए जाने चाहिए।
टेनी ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं पर तलवारों और डंडों से हमला किया गया। उन्होंने अपने बेटे पर लगे आरोपों को भी पूरी तरह निराधार बताया और कहा कि अगर उनका बेटा वहां पर होता तो उसकी हत्या हो सकती थी। केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्र पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कार से कथित रूप से किसानों को रौंद दिया।