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लखीमपुर: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से कहा- आप कार्रवाई नहीं करना चाहते

लखीमपुर: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से कहा- आप कार्रवाई नहीं करना चाहते

लखीमपुर खीरी की घटना में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कार से कथित रूप से किसानों को रौंद दिया। 

लखीमपुर खीरी की घटना के मामले में बुधवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस बिना मन के काम कर रही है और कार्रवाई नहीं करना चाहती।  

सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने पाया कि अभी तक 44 में से सिर्फ़ 4 चश्मदीदों के ही बयान दर्ज किए गए हैं। बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से पूछा कि आख़िर बाक़ी चश्मदीदों के बयान क्यों नहीं दर्ज किए गए। 

जवाब में साल्वे ने कहा कि शायद ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अदालतें दशहरे की छुट्टी के कारण बंद थीं। लेकिन अदालत ने इस ओर ध्यान दिलाया कि आपराधिक मामलों की सुनवाई वाली अदालतें छुट्टियों के दौरान भी बंद नहीं रहतीं। 

सुनवाई के ही दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि पुलिस इन दिनों क्राइम सीन रीक्रिएट कर रही थी। 

जबकि बेंच ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने चश्मदीदों के बयान दर्ज करना और क्राइम सीन को रीक्रिएट करना दो अलग-अलग बातें हैं। इसके बाद ही बेंच ने सख़्त टिप्पणी की। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि ऐसा न हो, इसके लिए ज़रूरी क़दम उठाए जाएं। सीजेआई रमना ने कहा कि आपको धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए क़दम उठाने होंगे। 

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को रिपोर्ट देर से जमा करने पर भी फटकार लगाई। जबकि पिछली बार अभियुक्तों की गिरफ़्तारी न होने पर फटकार लगी थी।

 - Satya Hindi

सीजेआई एनवी रमना ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से कहा, “हमने पिछली रात इस मामले में रिपोर्ट के लिए 1 बजे तक इंतजार किया।” इस पर साल्वे ने कहा कि कल ही यह रिपोर्ट सीलबंद कवर में जमा कर दी गई थी। 

इस पर सीजेआई रमना ने कहा, “अगर इसे अंतिम मिनट में जमा किया जाएगा तो हम इसे कैसे पढ़ेंगे। कम से कम इसे एक दिन पहले जमा करें।” 

बेंच ने कहा कि मामले की जांच कर रही एसआईटी को गवाहों की पहचान कर उन्हें सुरक्षा देनी चाहिए और उनके बयान दर्ज करने चाहिए क्योंकि इसकी प्रामाणिकता ज़्यादा होगी। 

हरीश साल्वे ने अदालत को जानकारी दी कि अब तक इस मामले में 10 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इनमें से 4 लोग पुलिस की जबकि बाक़ी न्यायिक हिरासत में हैं। बेंच ने पूछा कि बाक़ी अभियुक्तों को पुलिस की हिरासत में क्यों नहीं लिया गया। 

सीजेआई रमना ने कहा, “जब तक पुलिस उनसे पूछताछ नहीं करेगी, आपको जानकारी नहीं मिलेगी।” साल्वे ने कहा कि इन लोगों के फ़ोन जब्त कर लिए गए हैं और मिले वीडियोज को फ़ॉरेंसिक परीक्षण के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट्स के आने के बाद शायद इन लोगों से आगे की पूछताछ की ज़रूरत नहीं होगी। 

सीजेआई ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि यह कभी ख़त्म न होने वाली कहानी हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी। 

बर्खास्तगी की मांग

लखीमपुर खीरी में 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट की फटकार, किसानों और विपक्ष के दबाव के बाद मामले के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था। लेकिन आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की मोदी कैबिनेट से बर्खास्तगी की मांग को लेकर किसान और विपक्ष लगातार आवाज़ उठा रहा है। 

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