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हेट स्पीच: सुप्रीम कोर्ट पहले भी कर चुका है टीवी एंकर्स पर टिप्पणी

हेट स्पीच: सुप्रीम कोर्ट पहले भी कर चुका है टीवी एंकर्स पर टिप्पणी

पिछले साल सितंबर में हेट स्पीच के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टीवी पर, अभद्र भाषा को रोकना एंकरों का कर्तव्य है। अदालत ने हेट स्पीच के मामले में टीवी एंकर्स को लेकर और क्या टिप्पणियां की हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के मामले में टीवी न्यूज़ एंकर्स के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह टिप्पणी पहली बार की गई है। बीते कुछ महीनों में सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच को लेकर सख्त रूख दिखा चुका है और कई बार टीवी एंकर्स पर टिप्पणी कर चुका है। 

पहले पढ़िए कि शुक्रवार को हेट स्पीच के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टीवी एंकर्स को लेकर क्या कहा। 

अदालत ने कहा कि अगर टीवी न्यूज एंकर हेट स्पीच की समस्या का हिस्सा हैं तो उन्हें ऑफ एयर क्यों नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि लाइव डिबेट के दौरान कई बार एंकर हेट स्पीच का हिस्सा बन जाते हैं क्योंकि या तो वह पैनल में बैठे किसी शख्स की आवाज को म्यूट कर देते हैं या उन्हें उनका पक्ष रखने की अनुमति नहीं देते हैं। 

अदालत ने कहा, “किसी लाइव प्रोग्राम में कार्यक्रम के निष्पक्ष होने का जिम्मा एंकर के पास होता है और अगर एंकर निष्पक्ष नहीं है तो वह दूसरे लोगों को म्यूट करके या उनसे सवाल न पूछ कर उनका पक्ष नहीं आने देता और ऐसा करना पक्षपात है।”

अदालत ने कहा, “मीडिया के लोगों को यह समझना चाहिए कि वे बेहद अहम जगह पर बैठे हैं और उनकी बातों का समाज पर असर पड़ता है।” 

पिछले साल सितंबर में हेट स्पीच के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टीवी पर, अभद्र भाषा को रोकना एंकरों का कर्तव्य है। टीवी एंकरों की यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि उनके शो में अभद्र भाषा की बाढ़ न आए। मुख्यधारा के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया पर सामग्री काफी हद तक अनियंत्रित है। अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में फैलाई जाने वाली नफरत पर मूकदर्शक बनी हुई है। 

 - Satya Hindi

सर्वोच्च न्यायालय ने टीवी एंकर्स की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था, "एंकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। हेट स्पीच या तो मुख्यधारा के टेलीविजन में होती है या यह सोशल मीडिया में होती है। जहां तक मुख्यधारा के टेलीविजन चैनल का सवाल है, वहां एंकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जैसे ही आप किसी को हेट स्पीच करते हुए देखते हैं, वैसे ही एंकर का कर्तव्य बनता है कि वह उस व्यक्ति को आगे कुछ भी कहने के लिए अनुमति ना दे”।

जनवरी, 2021 में तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि  निष्पक्ष और सच्ची रिपोर्टिंग आम तौर पर कोई समस्या नहीं है। समस्या तब होती है जब टीवी शो को दूसरों को उत्तेजित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अदालत उस समय जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि मीडिया के कुछ वर्गों ने तब्लीगी जमात वालों को कोविड ​​​​-19 फैलाने से जोड़कर महामारी को भी सांप्रदायिक बना दिया था।

आज के वक्त में जब यूट्यूब, फेसबुक या अन्य प्लेटफार्म के जरिए एक देश की खबरों को दुनिया के किसी भी कोने तक देखा-सुना जा सकता है, ऐसे में टेलीविजन पर होने वाली डिबेट पर हेट स्पीच ना हो, इसे तय किया जाना बहुत जरूरी है। 

सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर कई बार चिंता जता चुका है लेकिन यह देखना होगा कि सरकार हेट स्पीच में शामिल टीवी न्यूज़ एंकर और चैनलों के खिलाफ कब सख्त कार्रवाई करेगी। 

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