पतंजलि विज्ञापन केस: SC ने अफसरों से कहा- हमारा धैर्य जवाब दे रहा है
पतंजलि के कई उत्पादों के लाइलेंस निलंबित होने के बाद भी आख़िर इसके भ्रामक विज्ञापन अभी भी इंटरनेट, वेबसाइटों और विभिन्न चैनलों पर उपलब्ध कैसे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने इसी सवाल को लेकर नाराज़गी जताई है। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को पतंजलि के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई कर रहा था।
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने अदालत को बताया था कि उसने पतंजलि, दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को निलंबित कर दिया है। इसने यह भी कहा था कि कंपनी, इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और सह-संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की है। यह कार्रवाई तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को इन उत्पादों के अवैध विज्ञापनों के लिए पतंजलि और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ निष्क्रियता के लिए राज्य प्राधिकरण की खिंचाई की।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा कि उन विज्ञापनों को हटाने के लिए आप उन विशेष एजेंसियों को लिखने के लिए क्या कर रहे हैं।
पतंजलि की ओर से वकील बलबीर सिंह ने जवाब दिया कि बड़ी संख्या में उनके विज्ञापनों को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था। सिंह ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह इसको लेकर सचेत हैं और अगली तारीख तक वे पूरी योजना के साथ आएंगे।
अदालत ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि पतंजलि ने विशेष मीडिया चैनलों के साथ संबंध रखा है और 'वे चैनल अभी भी आपके बयानों और जनता को दिए गए आश्वासनों के साथ विज्ञापन चला रहे हैं।' जस्टिस अमानुल्लाह ने राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों में से एक के वकील से कहा कि यदि उत्पादों को निलंबित कर दिया गया है तो उत्पादों का किसी भी तरह से ऐसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, 'यदि इसे निलंबित कर दिया गया है तो वे कैसे बेच सकते हैं? आपको नोटिस देना होगा। आप इंतजार नहीं कर सकते। ...जिस क्षण इसे निलंबित किया जाता है, यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उस तिथि से वे ऐसा नहीं कर सकते। सस्पेंड का मतलब है कि सब कुछ रुका हुआ है... हमारे कहने पर सब कुछ मत करो। यही बात परेशान कर रही है। आपने उन्हें हटाने के लिए नहीं कहा। अब हम उनसे पूछ रहे हैं। आपको उन्हें बताना होगा कि निलंबन का मतलब है कि आप उसका व्यापार नहीं कर सकते। आपके अधिकारियों के खिलाफ हमारा धैर्य खत्म हो रहा है।'
इसके साथ ही जस्टिस कोहली ने कहा कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी को यह बताना कोर्ट का काम नहीं है कि क्या करने की ज़रूरत है।