किसान फसलों को जलाना जारी रखेंगे तो उनसे कोई सहानुभूति नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ख़तरनाक स्तर तक पहुंच चुके प्रदूषण को लेकर नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने सोमवार को बढ़ते प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली-एनसीआर में कंस्ट्रक्शन के कामों पर रोक लगा दी है। अदालत ने अगले आदेश तक निर्माण गिराये जाने की गतिविधियों पर भी रोक लगा दी है। बेंच की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा कि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होने पर सरकारी अधिकारी व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार होंगे। न्यूज़ 18 के मुताबिक़, कोर्ट ने कहा कि जिन उद्योगों का चलना बहुत ज़रूरी नहीं है, उन्हें कुछ समय के लिये बंद कर दिया जाये।
सुनवाई के दौरान अदालत ने वन और पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव से पूछा कि दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिये तत्काल क्या क़दम उठाये जा सकते हैं। इस पर संयुक्त सचिव ने कहा कि पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाये जाने की ज़रूरत है। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन कार्यों को बंद करने, पंजाब और हरियाणा में फसलों को जलाने पर रोक लगाने की भी ज़रूरत है। अदालत ने इस दौरान नाराज होते हुए कहा कि अगर किसान फसलों को जलाना जारी रखेंगे तो उनसे कोई सहानुभूति नहीं रखी जा सकती।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस तरह नहीं जी सकते और केंद्र और राज्य सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रदूषण बहुत ज़्यादा है और इस शहर में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं रह गयी है।
अदालत ने कहा, ‘घरों में भी हम अपने जीवन का क़ीमती हिस्सा प्रदूषण के कारण खो रहे हैं। दिल्ली में हर साल ऐसा हो रहा है और हम कुछ भी करने में सक्षम नहीं हैं।’ कोर्ट ने कहा कि हर साल 10-15 दिन के लिए ऐसा होता है, ऐसा किसी भी सभ्य देश में नहीं होता। अदालत ने कहा कि जीने का अधिकार सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिये कहा।
Supreme Court on air pollution: 'It is not the way we can live. "Centre should do.. state should do" cant go on. This is too much. No room is safe to live in this city, even in homes. We are losing precious years of our lives due to this.” https://t.co/GXEzwdMhLv
— ANI (@ANI) November 4, 2019
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिल्ली सरकार से कहा, ‘डीजल वाहनों पर बैन लगाने को हम समझते हैं लेकिन ऑड-ईवन फ़ॉर्मूले के पीछे क्या तर्क है?’
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण हालात इस कदर ख़राब हैं कि दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में स्कूलों को बंद करना पड़ा है। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से बनी कोहरे की चादर का असर विमान सेवाओं पर भी पड़ा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में रविवार शाम को एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 494 था और यह पिछले तीन साल में सबसे ज़्यादा था। इससे पहले 6 नवंबर, 2016 को यह 497 था।
अस्पतालों में बढ़े मरीज
ख़बरों के मुताबिक़, डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की संख्या में हालिया दिनों में 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अधिकतर मरीज गले में जलन, आँखों से पानी आना, साँस लेने में दिक्कत, अस्थमा से परेशान हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली में एक्यूआई के ख़राब होने के कारण मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है और इससे बच्चे और वृद्ध सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।
कुछ महीने पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली में प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से हर रोज़ कम से कम 80 मौतें होती हैं। डॉक्टर कहते हैं कि खाँसी, जुकाम जैसी मामूली बीमारी से लेकर दमा, कैंसर और ब्रेन स्ट्रोक तक प्रदूषण की देन हैं।