अयोग्यता मामला: शिंदे खेमे की शिवसेना को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
क्या शिंदे खेमे के शिवसेना विधायकों पर अयोग्यता का ख़तरा अभी भी टला नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के अन्य विधायकों को नोटिस जारी किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों से दो सप्ताह में जवाब मांगा गया है। शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता वाली याचिकाओं को खारिज करने के महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के आदेश को उद्धव खेमे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट भी सुनवाई कर सकता है। हालाँकि, ठाकरे गुट के वरिष्ठ वकीलों ने इसका विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत मामले को देखने के लिए बेहतर है।
उद्धव खेमे ने जून 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे गुट को 'असली शिवसेना' के रूप में मान्यता देने के महाराष्ट्र अध्यक्ष के आदेश को भी चुनौती दी है। दल-बदल विरोधी कानून के तहत शिंदे और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर करने के लगभग दो साल बाद स्पीकर का फैसला 10 जनवरी को आया।
महाराष्ट्र स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे और बाग़ी शिवसेना विधायकों के ख़िलाफ़ अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने उद्धव ठाकरे द्वारा वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे को शिवसेना के नेता के पद से हटाने के फैसले को भी पलट दिया था। नार्वेकर ने कहा था, 'यह ध्यान रखना उचित होगा कि शिवसेना के संविधान में पक्ष प्रमुख नामक कोई पद नहीं है (जो कि उद्धव ठाकरे के पास था)। पक्ष प्रमुख की इच्छा राजनीतिक दल की इच्छा का पर्याय नहीं है। पार्टी अध्यक्ष के पास किसी को भी पद से हटाने का अधिकार नहीं है।'
नार्वेकर ने फ़ैसला देने से पहले शिवसेना के संविधान की व्याख्या भी की थी। उन्होंने 2018 में शिवसेना के संविधान में किए गए संशोधन को मानने से इनकार कर दिया। स्पीकर ने कहा था कि शिवसेना का 2018 का संविधान स्वीकार्य नहीं है और चुनाव आयोग में 1999 में जमा किया गया संविधान ही मान्य होगा। उन्होंने कहा था, 'प्रतिद्वंद्वी समूहों के उभरने से पहले चुनाव आयोग को आखिरी बार प्रासंगिक संविधान 1999 में सौंपा गया था। मेरा मानना है कि ईसीआई द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को दिया गया शिवसेना का संविधान यह तय करने के लिए शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है कि कौन सी राजनीतिक पार्टी असली है।'
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरा तो शिंदे गुट ही असली राजनीतिक पार्टी थी। जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरा तो शिंदे गुट के पास 55 में से 37 विधायकों का भारी बहुमत था।
नार्वेकर ने आगे कहा था, “प्रतिद्वंद्वी गुट के उभरने के बाद से सुनील प्रभु पार्टी के सचेतक नहीं रहे। भरत गोगावले को वैध रूप से सचेतक नियुक्त किया गया। एकनाथ शिंदे को वैध रूप से शिव सेना राजनीतिक दल का नेता नियुक्त किया गया।"
इससे पहले शीर्ष अदालत ने स्पीकर से उनके समक्ष लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा था। विधायकों द्वारा उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने के बाद 23 जून 2022 को उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त शिवसेना पार्टी व्हिप सुनील प्रभु द्वारा बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की गई थी।
पिछले साल मई में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने माना था कि वह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को अयोग्य नहीं ठहरा सकती और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं कर सकती क्योंकि बाद में विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करने के बजाय इस्तीफा दे दिया था।
अगस्त 2022 में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के बारे में शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर याचिका में शामिल मुद्दों को पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था।