चार धाम सड़क परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हां, चौड़ी होंगी सड़कें
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की चार धाम सड़क परियोजना को मंजूरी दे दी है। अब इस परियोजना के तहत उत्तराखंड के गढ़वाल इलाक़े में सड़कों की चौड़ाई को बढ़ाया जा सकेगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि इस इलाक़े में सड़कों को चौड़ा किया जाना रणनीतिक रूप से ज़रूरी है।
अदालत ने मंगलवार को कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को हल किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि सीमाओं पर जवानों और सुरक्षा उपकरणों को लाने-ले जाना बेहद ज़रूरी है क्योंकि बीते दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चुनौतियां पैदा हुई हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए सुरक्षा बलों की ज़रूरतों को पूरा किया जाना चाहिए और साथ ही हाईवे भी ज़रूरी हैं क्योंकि इनकी रणनीतिक अहमियत है।
कमेटी बनाने का आदेश
चारधाम परियोजना के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की चिंता को देखते हुए अदालत ने पूर्व जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने का भी आदेश दिया।
यह कमेटी हर चार महीने में सुप्रीम कोर्ट को इस परियोजना के बारे में रिपोर्ट देगी और इसमें पर्यावरण मंत्रालय और इसके संस्थानों से जुड़े लोग शामिल होंगे।
याचिकाकर्ता का कहना था कि सड़कों को चौड़ा करने की वजह से पेड़ गिरेंगे और इससे भू स्खलन की घटनाएं होंगी। बीते कुछ सालों में विकास कार्यों के नाम पर पहाड़ों को काटे जाने के कारण भू स्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं।
चार धाम परियोजना गढ़वाल इलाक़े में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ती है। इसके तहत 899 किमी लंबी सड़क बनाई जानी है।
इस मामले में पिछली सुनवाईयों में अदालत ने कहा था कि सड़कों को 5 मीटर से ज़्यादा चौड़ा नहीं किया जा सकता। लेकिन केंद्र सरकार ने कहा था कि सीमा के दूसरी ओर चीनी सैनिकों ने बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य कर लिया है।
केंद्र ने कहा था कि चीन दूसरी ओर हैलीपैड और इमारतें बना रहा है और इसे देखते हुए रक्षा सामानों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की ज़रूरत है। केंद्र ने कहा था कि सड़कों को 10 मीटर तक चौड़ा करने की इजाजत दी जाए।