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चंद्रचूड़ : सरकार के झूठ को बेनकाब करना बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी

चंद्रचूड़ : सरकार के झूठ को बेनकाब करना बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को छठे एम. सी. छागला स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा कि सूचना व जानकारी के लिए सरकार पर निर्भर रहना ठीक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह देश के बुद्धिजीवियों का कर्तव्य है कि वे सरकार के झूठ को बेनकाब करें। उन्होंने सरकार पर अंकुश लगाने और उसके झूठ, झूठे नैरेटिव और फ़ेक न्यूज़ पर नियंत्रण रखने की भी ज़रूरत बताई।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने छठे एम. सी. छागला स्मृति व्याख्यान देते हुए सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मामलों में सरकार पर बहुत अधिक निर्भरशीलता को भी ग़लत माना। 

उन्होंने प्रेस की आज़ादी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि मीडिया को निष्पक्ष और हर तरह के पूर्वाग्रहों व दुराग्रहों से मुक्त होना चाहिए। 

उन्होंने कहा,

सच के लिए राज्य पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। अधिनायकवादी सरकारें सत्ता पर पकड़ बनाने के लिए झूठ का सहारा लेती हैं। हमने देखा है कि तमाम सरकारों ने कोविड 19 के आँकड़ों से छे़ड़छाड़ की है।


डी. वाई. चंद्रचूड़, जज, सुप्रीम कोर्ट

फ़ेक न्यूज़ पर चिंता

जस्टिस चंद्रचूड़ का यह बयान ऐसे समय आया है जब वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने कहा है कि सरकार ने कोरोना के आँकड़ों से छेड़छाड़ की है और ग़लत आँकड़े पेश किए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के इस जज ने यह भी कहा कि फ़ेक न्यूज़ बढ़ता जा रहा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'इन्फोडेमिक' कहा है। 

इस साल फरवरी में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा था कि कोरोना से जुड़ी ग़लत जानकारियाँ सोशल मीडिया के ज़रिए फैलाई जा रही हैं। 

उन्होंने यह भी कहा कि फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स को अधिक ज़िम्मेदार होना चाहिए। उन्हें फेक न्यूज और ग़लत सामग्री हटाते रहना चाहिए। 

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