आईएनएक्स मीडिया केस: चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
आईएनएक्स मीडिया केस में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को जमानत मिल गई है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया केस में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार करने के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फ़ैसले को रद्द कर दिया है। ईडी ने आईएनक्स मीडिया मामले में मनी लांड्रिंग के आरोप में चिदंबरम को गिरफ़्तार किया था। चिदंबरम 17 अक्टूबर से ईडी की हिरासत में थे।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि पी. चिदंबरम सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। इसके अलावा वह मीडिया को इंटरव्यू नहीं देंगे और इस केस को लेकर कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देंगे। कोर्ट ने अपने फ़ैसले में यह भी कहा है कि चिदंबरम को 2 लाख रुपये का निजी मुचलका भरना होगा और वह अदालत की अनुमति के बिना विदेश नहीं जा सकेंगे।
Supreme Court says P Chidambaram should not temper with the evidence and not influence the witnesses. He should also not give press interviews or make make public statements in connection with this case. https://t.co/JTs5nGBpJd
— ANI (@ANI) December 4, 2019
बता दें कि सीबीआई जिस आधार पर चिदंबरम को ज़मानत देने का विरोध करती रही थी, उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री के न तो भागने की कोई संभावना है और न ही रत्ती भर इस बात का सबूत है कि उन्होंने किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की है। 21 अगस्त को चिदंबरम की गिरफ़्तारी के बाद से ही सीबीआई उनकी ज़मानत का इसे ही आधार बनाकर विरोध करती रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को जमानत दे दी थी लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी ज़मानत याचिका को ख़ारिज़ कर दिया था।
चिदंबरम के परिवार ने मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री के बारे में तमाम ख़बरें झूठी, बग़ैर पड़ताल के और बेबुनियाद आरोपों पर आधारित हैं। परिवार की ओर से जारी की गई चिट्ठी में पूर्व वित्त मंत्री को दानव की तरह पेश करने के लिए सरकार को भी ज़िम्मेदार माना गया था और प्रेस की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए थे।
‘एक पैसा भी नहीं लिया’
सीबीआई के द्वारा गिरफ़्तार किये जाने के बाद चिदंबरम ने सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश होकर कहा था कि उन्होंने आईएनएक्स मामले में कोई गड़बड़ी नहीं की है। उन्होंने कहा था कि उन्होंने इस पूरे मामले में एक पैसा नहीं लिया है और उन्हें फँसाया जा रहा है। इसके अलावा उनके पास किसी विदेशी बैंक में कोई खाता नहीं है हालाँकि उनके बेटे का विदेशी बैंक में खाता है।
इंद्राणी के बयान को बनाया आधार
ख़बरों के मुताबिक़, आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ जो केस दर्ज हुआ, वह इंद्राणी मुखर्जी के बयान के आधार पर किया गया। इंद्राणी मीडिया कारोबारी पीटर मुखर्जी की पत्नी हैं और अपनी बेटी शीना बोरा के मर्डर के मामले में जेल में बंद हैं और पीटर मुखर्जी भी जेल में हैं। इंद्राणी ने 2018 में पीटर मुखर्जी से तलाक़ की अर्जी अदालत में दाख़िल की थी और वह आईएनएक्स मीडिया मामले में सरकारी गवाह बन गई थीं। यहाँ बताना ज़रूरी होगा कि इंद्राणी और पीटर, आईएनएक्स मीडिया के प्रमुख थे।आरोप है कि 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे, उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलायी गयी थी। यह भी आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता पी. चिदंबरम के ज़रिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से यह मंज़ूरी दिलाई थी। हालाँकि चिदंबरम सीबीआई के इन आरोपों को ख़ारिज़ करते रहे हैं और कहते रहे हैं कि इन कंपनियों के विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंज़ूरी देने में कोई भी गड़बड़ी नहीं की गयी है।