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SC ने आप उम्मीदवार को चंडीगढ़ मेयर घोषित किया; बीजेपी को झटका

SC ने आप उम्मीदवार को चंडीगढ़ मेयर घोषित किया; बीजेपी को झटका

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट से बीजेपी को झटका लगा है। जानिए, आख़िर क्यों आप के तीन पार्षदों को शामिल करने के बाद भी बीजेपी का उम्मीदवार मेयर नहीं बना।

सुप्रीम कोर्ट ने आप पार्षद कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ नगर निगम का मेयर घोषित किया है। इसने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा घोषित भाजपा उम्मीदवार के चुनाव को रद्द कर दिया। अदालत ने साफ़ कहा कि पहले के परिणाम के अनुसार आप उम्मीदवार को 12 वोट मिले, 8 वोट जिन्हें गलत तरीके से अवैध माना गया था, वे वैध रूप से याचिकाकर्ता के पक्ष में पारित हो गए। 8 वोट जोड़ने पर उनके वोटों की संख्या 20 हो जाएगी। इसने कहा कि बीजेपी उम्मीदवार को 16 वोट ही मिले।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह साफ़ है कि पीठासीन अधिकारी ने याचिकाकर्ता के पक्ष में डाले गए 8 मतपत्रों को विकृत करने का जानबूझकर प्रयास किया है ताकि बीजेपी उम्मीदवार को निर्वाचित उम्मीदवार घोषित किया जा सके। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, 'कल पीठासीन अधिकारी ने इस न्यायालय के समक्ष एक गंभीर बयान दिया कि उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि 8 मतपत्र विकृत हो गए थे। यह साफ़ है कि कोई भी मतपत्र विकृत नहीं हुआ है।'

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, 'पीठासीन अधिकारी के आचरण की दो स्तरों पर निंदा की जानी चाहिए। सबसे पहले उन्होंने मेयर चुनाव की प्रक्रिया को गैरकानूनी रूप से बदल दिया। दूसरे, 19 फरवरी को इस न्यायालय के समक्ष एक गंभीर बयान देते हुए पीठासीन अधिकारी ने झूठ बोला जिसके लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।'

अदालत ने यह भी कहा, 'कार्यवाही के दौरान 8वें प्रतिवादी (बीजेपी उम्मीदवार) ने इस्तीफा दे दिया। आठवें प्रतिवादी की ओर से वरिष्ठ वकील ने कहा कि प्रावधानों के अनुसार नए सिरे से चुनाव होना चाहिए।' कोर्ट ने कहा कि 'पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना ठीक नहीं है। हमारा मानना है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना अनुचित है क्योंकि केवल मतगणना प्रक्रिया में ही गड़बड़ी पाई गई है। संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया को रद्द करने से स्थिति जटिल हो जाएगी।'

कोर्ट ने कहा, 'यह न्यायालय यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया इस तरह के हथकंडों से नष्ट न हो। इसलिए हमारा विचार है कि न्यायालय को ऐसी असाधारण परिस्थितियों में बुनियादी लोकतांत्रिक जनादेश सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पीठासीन अधिकारी द्वारा घोषित परिणाम गैरकानूनी हैं और इन्हें रद्द किया जाना चाहिए।

इस फ़ैसले से पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शुरुआत में कहा था कि वह 8 मतपत्रों को वैध मानकर दोबारा गिनती का निर्देश देगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने भाजपा और आप के बीच विवाद के केंद्र में पहले आठ 'अमान्य' क़रार दिए गए वोटों की जांच की और कहा था कि उन्हें फिर से गिना जाएगा। उन्होंने कहा कि इन आठ वोटों को भी वैध माना जाएगा और इसके आधार पर ही परिणाम घोषित किए जाएंगे।

मेयर चुनाव में जब पिछली बार गिनती हुई थी तब भाजपा के मनोज सोनकर को 16 वोट मिले थे। बीजेपी के ख़िलाफ़ कांग्रेस-आप गठबंधन में उतरे उम्मीदवार को 12 वोट मिले थे। इस प्रक्रिया में आठ वोट अवैध घोषित कर दिये गये थे। ये वोट आप-कांग्रेस गठबंधन के थे। गठबंधन के पास कुल 20 पार्षद थे और माना जा रहा था कि चुनाव में कांग्रेस-आप के उम्मीदवार को हराना मुश्किल होगा। कांग्रेस-आप गठबंधन के 8 वोट रद्द होते ही बीजेपी जीत गई थी। यानी अब यदि अमान्य बताए गए आठ वोटों की गिनती वैध मानकर होते ही कांग्रेस-आप के 20 वोट हो गए। और इस तरह आप-कांग्रेस गठबंधन की जीत हो गयी। 

 - Satya Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही सोमवार को प्रस्ताव दिया था कि विवादास्पद चंडीगढ़ मेयर के लिए नए चुनाव का आदेश देने के बजाय मौजूदा मतपत्रों के आधार पर नतीजे घोषित किए जाएँ। शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह निर्देश देगा कि पहले से डाले गए वोटों की गिनती उन निशानों को नजरअंदाज करके की जाए जो पिछले पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा उन पर लगाए गए थे। 

हालाँकि इस प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आख़िरी मुहर इसलिए नहीं लगाई थी क्योंकि चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रख दी थी कि कुछ मतपत्र फटे हुए हैं। इस पर न्यायालय ने इसकी जांच के लिए मंगलवार को मतपत्र पेश करने का निर्देश दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले रविवार शाम को बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 30 जनवरी को आप के कुलदीप कुमार को हराकर चुनाव जीता था। इस्तीफे के कुछ देर बाद ही बीजेपी ने आप के तीन पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था। समझा जा रहा था कि बीजेपी ने ऐसा इसलिए किया कि फिर से चुनाव कराया जाए और ऐसे में उसके पास अब 19 पार्षद हो जाते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

इस चुनाव में धांधली के आरोप लगे थे और वीडियो में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को कथित तौर पर वोटों से छेड़छाड़ करते देखा गया था। इसको लेकर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी।

सीजेआई ने सोमवार को कहा था कि वीडियो से यह बिल्कुल साफ़ है कि आप कुछ मतपत्रों पर एक्स का निशान लगा रहे थे। क्या आपने कुछ मतपत्रों पर X चिह्न लगाए हैं?' इस पर मसीह ने हाँ में जवाब दिया था। जब पूछा गया कि कितने मतपत्रों पर निशान लगाए गए तो मसीह ने 8 बताया था। 

मंगलवार को सुनवाई की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्रों को विकृत किए जाने को लेकर ही की। इसने कहा, 'कल आपने कहा था कि ये मतपत्र विकृत कर दिए गए थे। क्या आप हमें दिखा सकते हैं कि कहां?' मुख्य न्यायाधीश ने यह पूछते हुए आठों मतपत्रों को मसीह, उनके वकील और दूसरे पक्षों को भी दिखाया। उन्होंने कहा, 'सभी आठों ने कुलदीप कुमार के लिए मुहर लगा दी है... वोट श्री कुमार के लिए डाले गए हैं। वह क्या करते हैं... वह एक लाइन डालते हैं। बस एक लाइन, जैसा कि वीडियो में देखा गया है।'

इस पर कुलदीप कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मसीह की हरकतें अदालत की अवमानना हैं और यह एक जघन्य अपराध है। सिंघवी ने कहा, 'इस व्यक्ति (अनिल मसीह) में इसे वीडियो के सामने करने का साहस था...। मौन धारण करो और फिर अदालत में आओ और सोचो कि वह बच सकता है। वह हम सभी को गुमराह कर रहा था।' 

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