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अवमानना का मामला : प्रशांत भूषण के समर्थन में 20 अगस्त को प्रदर्शन

अवमानना का मामला : प्रशांत भूषण के समर्थन में 20 अगस्त को प्रदर्शन

सुप्रीम कोर्ट अवमानना मामले में दोषी कऱार दिए गए मशहूर वकील प्रशांत भूषण के समर्थन में पूरे देश में एक बहुत बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। 

सुप्रीम कोर्ट अवमानना मामले में दोषी कऱार दिए गए मशहूर वकील प्रशांत भूषण के समर्थन में पूरे देश में एक बहुत बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत 20 अगस्त को लोग किसी मशहूर जगह या घर के अंदर ही एकत्रित होकर भूषण के समर्थन में अपनी बात रखेंगे और एक ऑनलाइन बयान पर हस्ताक्षर करेंगे। यह पूरा कार्यक्रम ऑनलाइन होगा और लोग ज़ूम के ज़रिए इससे जुड़ सकेंगे और इसमें शिरकत कर सकेंगे। 

अवमानना के दो मामले

बता दें कि प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ अवमानना के दो मामले चल रहे हैं। एक मामला है सुप्रीम कोर्ट और पिछले चार जजों पर ट्वीट को लेकर और दूसरा मामला है 2009 में सुप्रीम कोर्ट के 16 में से आधे मुख्य न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने का। ट्वीट वाले ताज़ा मामले में प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया गया है और 20 अगस्त को सज़ा सुनाई जानी है, जबकि दूसरे मामले में अभी सुनवाई जारी है। इस मामले में ही लोग प्रशांत भूषण के साथ एकजुटता जता रहे हैं। 

इसका आयोजन ‘स्वराज अभियान’ कर रहा है और इस कार्यक्रम का नाम ‘हम देखेंगे’ रखा गया है। 

स्वराज अभियान ने कहा है कि युक्तिवादी चिंतक नरेंद्र दाभोलकर को 20 अगस्त को ही हमेशा के लिए चुप करा दिया गया था। इस संस्था का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को 20 अगस्त को ही चुप कर देना चाहता है, इसलिए इसी दिन यह कार्यक्रम रखा गया है।

स्वराज अभियान संस्था में आरटीआई एक्टिविस्ट अरुणा राय, नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मेधा पाटकर, मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, योगेंद्र यादव और दूसरे लोग हैं। 

इससे पहले 1500 से ज़्यादा वकीलों ने भी प्रशांत भूषण के समर्थन में बयान जारी किया था।

बयान में वकीलों ने कहा कि 'अवमानना के डर से खामोश' बार से सुप्रीम कोर्ट की 'स्वतंत्रता' और आख़िरकर 'ताक़त' कम होगी।

बार एसोसिएशन ने बयान में कहा है कि जब कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया था तब इसने अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, लेकिन ग़लती से सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने इसे शामिल नहीं किया। एसोसिएशन ने कहा है कि उसमें बार के बोलने की ड्यूटी से जुड़ी धारा का भी उल्लेख था।

उसमें कहा गया है, 'न्यायपालिका, न्यायिक अधिकारियों व न्यायिक आचरण से संबंधित संस्थागत और संरचनात्मक मामलों पर टिप्पणी करना सामान्य रूप से न्याय प्रशासन और एक ज़िम्मेदार नागरिक के तौर पर भी वकीलों की ड्यूटी है।' प्रशांत भूषण ने एसोसिएशन के इस बयान को ट्वीट किया है।

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