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सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत मंजूर की, लेकिन 6 शर्तें भी हैं

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत मंजूर की, लेकिन 6 शर्तें भी हैं

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम और आप प्रमुख अरविन्द केजरीवाल की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है। आम आदमी पार्टी के लिए यह बड़ी राहत है। क्योंकि पार्टी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर लगातार आरोप लगा रही है कि वो केंद्र के इशारे पर आप को तोड़ना चाहती है। उसके तमाम नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में अंतरिम जमानत दे दी। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है।

जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सीएम को जमानत देते हुए गिरफ्तारी की जरूरत और इससे संबंधित सवालों को बड़ी पीठ के पास भेजा है। केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें भी 26 जून को दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था।

अंतरिम जमानत की शर्तें क्या हैं

लाइव लॉ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कुछ शर्ते भी तय की हैं। जो इस तरह हैंः 
  • 1. वह जेल अधीक्षक की संतुष्टि के लिए 50,000/- रुपये की राशि में जमानत बांड प्रस्तुत करेंगे
  • 2. वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय का दौरा नहीं करेंगे
  • 3. वह अपनी ओर से दिए गए बयान से बाध्य होंगे कि वह आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे जब तक कि यह आवश्यक न हो और दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक न हो
  • 4. वह वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे
  • 5. वह किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे और/या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उसकी पहुंच नहीं होगी
  • 6. यह स्पष्ट किया जाता है कि अंतरिम जमानत को बढ़ाया जा सकता है, या बड़ी पीठ द्वारा वापस लिया जा सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि उन्हें 90 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा है और यह मुद्दा जीवन के अधिकार और एक व्यक्ति की आजादी से जुड़ा हुआ है। बड़े मुद्दे पर फैसला आने तक अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश देना उचित समझा। उसने कहा कि अदालत उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ने का निर्देश नहीं दे सकती हैं और इस पर उन्हें निर्णय लेना है। 

यह फैसला केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत का प्रतीक है, जिससे पार्टी के राजनीतिक नैरेटिव को बहुत जरूरी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि सीबीआई की गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल जेल में रहेंगे। लेकिन उनकी पार्टी इसे केजरीवाल को तोड़ने, झुकाने की कोशिश के रूप में भाजपा के खिलाफ प्रचारित करेगी। दिल्ली में अगले साल चुनाव हैं तो पार्टी इसे पूरी तरह भुनाएगी।

अदालत ने 17 मई को केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें अब रद्द हो चुकी दिल्ली शराब नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं के बारे में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी द्वारा 21 मार्च को उनकी गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी।

9 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा ईडी की गिरफ्तारी को दी गई चुनौती खारिज होने के बाद, केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने लोकतांत्रिक शासन और कानून के शासन के लिए अपनी गिरफ्तारी को खतरनाक चलन बताया था।

केजरीवाल इस मामले में गिरफ्तार होने वाले तीसरे आप नेता थे। इस मामले में उनके पूर्व डिप्टी मनीष सिसोदिया को 23 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया गया था और वह अभी भी जेल में हैं। आप विधायक संजय सिंह को 2 अप्रैल को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि छह महीने जेल में रहने के बाद संजय सिंह को सलाखों के पीछे क्यों रखा जाना चाहिए, यह देखते हुए कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, और न उनके पास कोई पैसा आया है। ईडी ने संजय पर भी कथित मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था लेकिन कोई सबूत पेश नहीं कर सकी।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अस्थायी जमानत दे दी थी। उसने ईडी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि चुनाव प्रचार के लिए उनकी रिहाई का मतलब राजनेताओं के लिए अलग व्यवहार होगा। ईडी ने कहा था कि केजरीवाल को जमानत देने से गलत मिसाल कायम होगी कि रसूखदारों को जमानत मिल जाती है। इससे पहले निचली अदालत ने भी केजरीवाल की जमानत मंजूर करते हुए ईडी पर तमाम तीखी टिप्पणियां की थीं लेकिन हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट के आदेश को स्टे कर दिया था।

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