
सुनीता विलियम्स धरती के लिए रवाना, लौटने के बाद कैसी होगी जिन्दगी?
इसी दुनिया में होना पर धरती की आबोहवा से कई-कई महीने दूर होना। धरती दूर से किसी तारे की तरह नज़र आ रही हो। फिर एक दिन वापस आने का मौका मिलता है। कैसा होगा जीवन धरती पर लौटने के बाद? बात हो रही है ऐसी साहसी महिला की, जिन्होंने अंतरिक्ष में इतिहास रचा।इस वक्त जिनका नाम सभी की ज़ुबां पर है । जी हां, हम बात कर रहे हैं सुनीता विलियम्स की ! लगभग 290 दिनों के बाद, वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर लौट रही हैं। लेकिन इस वापसी के बाद उन्हें किन-किन तकलीफों से गुजरना पड़ेगा।
LIVE: #Crew9 and their @SpaceX Dragon spacecraft are departing the @Space_Station and starting their journey back to Earth. Undocking is scheduled for 1:05am ET (0505 UTC). https://t.co/OUp4n98WeE
— NASA (@NASA) March 18, 2025
सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में 10 महीने बिताए, जहां माइक्रोग्रैविटी ने उनके शरीर को पूरी तरह बदल दिया। वहां न गुरुत्वाकर्षण था, न वजन का एहसास। उनके शरीर के तरल पदार्थ जैसे कि खून और पानी ऊपर की ओर चले गए, जिसकी वजह से चेहरा फूल गया, और पैरों में खून कम हो गया। मांसपेशियां कमजोर हुईं, हड्डियां नाजुक हुईं। पैरों का इस्तेमाल न होने से उनकी त्वचा इतनी नरम हो गई कि इसे 'बेबी फीट' कहा जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं? इन हालात में भी सुनीता ने पैक्डफूड और सूखा खाना खाकर खुद को मजबूत रखा।"
सुनीता विलियम्स को होसकती हैं ये शारीरिक दिक्कतेंः "अब पृथ्वी पर लौटते ही सुनीता के सामने नई चुनौतियां हैं। स्पेस-एक्सड्रैगन यान से वे अटलांटिक महासागर या मैक्सिको की खाड़ी में उतरेंगी। लेकिन जैसे ही वे बाहर निकलेंगी, यह संभव है कि गुरुत्वाकर्षण उनके शरीर पर भारी पड़े। शुरू में उन्हें थकान, कमजोरी, चक्कर आएंगे। चलने में दिक्कत होगी, संतुलन बनाना मुश्किल होगा। खून का बहाव फिर से सामान्य होने में समय लगेगा, जिससे सिरदर्द या ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
ईमोशनल क्राइसिस भी संभव हैभावनात्मक रूप से भी पृथ्वी पर खुद को फिर से ढालना आसान नहीं होगा । अंतरिक्ष एक ऐसी जगह है जहां केवल चारों ओर शांति ही शांति में एक सीमित क्षेत्र में वे रही होंगी लेकिन पृथ्वी परआते ही उनके चारों ओर लोग ही लोग और चहल-पहल । हालांकि अपने परिवार और अपनों से मिलने पर उन्हें खुशी तो होगी लेकिन चारों ओर शोर होने की वजह से फिल्हाल उन्हें तकलीफ भी हो सकती है । इतना ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष की सीमित दुनिया से पृथ्वी की खुली हवा और भीड़ में ढलना भी एक बड़ी बात होगी।"
लेकिनसुनीता अकेली नहीं हैं। नासा की टीम उनकी हर कदम पर मदद करेगी। लैंडिंग के बाद उन्हें रिकवरी सेंटर ले जाया जाएगा, जहां डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट उनकी देखभाल करेंगे। खास व्यायाम और फिजियोथेरेपी से उनके शरीर को फिर से तैयार किया जाएगा। और सबसे खास बात - सुनीता कोई नई अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं। 2007 और 2012 में भी वे लंबे मिशन पर जा चुकी हैं। कुल मिलाकर, वे अपने जीवन के 600 से ज्यादा दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं। उनका अनुभव और नासा की तकनीक उन्हें दोबारा सामान्य जीवन में लौटने में मदद करेगी।"
सुनीता विलियम्स की यह वापसी सिर्फ उनकी जीत नहीं, बल्कि विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अंतरिक्ष की कठिनाइयों से लड़कर, पृथ्वी पर नई चुनौतियों का सामना करने वाली यह महिला हर किसी के लिए प्रेरणा हैं। वे हमें सिखाती हैं कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों, हिम्मत और मेहनत से हर मंजिल हासिल की जा सकती है। इस वक्त हर कोई पृथ्वी पर उनके सफल लैंडिंग की कामना कर रहा है । और ये देखना बेहद दिलचस्प होगा जब सुनीता अंतरिक्षपर अपने साथ हुए अनुभवों को साझा करेंगी।
रिपोर्टः कृति सिंह भदौरिया/अणुशक्ति सिंह