हैरतअंगेज़ : ऐप पर जानी मानी मुसलिम महिलाओं की नीलामी की कोशिश, पुलिस जाँच शुरू
'सुल्ली फॉर सेल' नामक एक ओपन सोर्स वेबसाइट बनाई गई, जिस पर मुसलमान महिलाओं के ट्विटर हैंडल से जानकारियाँ और तसवीरें निकाल कर डाली गईं और इन्हें सार्वजनिक तौर पर नीलाम किया गया, जिसे 'सुल्ली डील' कहा गया है।
हालांकि शिकायत के बाद यह वेबसाइट बंद कर दी गई है और फ़िलहाल इसे एक्सेस नहीं किया जा सकता है, पर 'सुल्ली फॉर सेल' और 'सुल्ली डील' के ज़रिए मुसलमान महिला पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, कलाकारों और शोधार्थियों को निशाना बनाया गया है।
उन्हें इसके ज़रिए ट्रोल किया गया है, उनकी तसवीरें नीलाम की गई हैं, ट्विटर हैंडल व दूसरी निजी जानकारियाँ सार्वजनिक की गई हैं और उनके लिए 'सुल्ली' जैसे अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
क्या है मामला?
बीते रविवार व सोमवार को एक ओपन सोर्स ऐप बनाया गया- 'सुल्ली फॉर सेल'। इस पर कई सोशल मीडिया से उठाई गई मुसलिम महिलाओं की तसवीरें डाली गईं।
'मुल्ली' का बदला हुआ रूप है 'सुल्ली' और ये दोनों ही मुसलमान महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले अपमानजनक शब्द हैं। भारत, ख़ास कर हिन्दी पट्टी, में इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
इसमें 80 से ज़्यादा महिलाओं की तसवीरें, उनके नाम और ट्विटर हैंडल दिए गए थे।
इस ऐप में सबसे ऊपर पर लिखा था- 'फाइंड योर सुल्ली डील'।
इस पर क्लिक करने पर एक मुसलिम महिला की तसवीर, उसका नाम और ट्विटर हैंडल की जानकारी यूज़र से साझा की जा रही थी।
For example : pic.twitter.com/qaUmsTp5dT
— K (@madeforbrettLEE) July 4, 2021
ओपेन सोर्स ऐप
बीबीसी के अनुसार, सुल्ली फॉर सेल ओपेन सोर्स ऐप गिटहब पर बनाया गया था। गिटहब ने इसे सोमवार को हटा दिया।
गिटहब ने बीबीसी से कहा, "हमने इस मामले में यूज़र का अकाउंट सस्पेंड कर दिया है। रिपोर्ट्स के आधार पर इस मामले की जाँच शुरू कर दी गई है। गिटहब की नीतियां ऐसे कॉन्टेंट, जो प्रताड़ना, भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा देते हैं उनके ख़िलाफ़ हैं। ये कॉन्टेंट हमारी नीतियों का उल्लंघन है।"
गिटहब की सफाई
गिटहब की सीओओ एरिका ब्रेसिया ने ट्वीट कर कहा है कि इस अकाउंट को सस्पेंड किया जा चुका है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि आख़िर ये सब हुआ कैसे।
. @github Your platform is being used for harassment. Please take action and remove the content.@jasoncwarner @simpsoka @brntbeer @cobyism @martinwoodward @ericamander @ericabrescia @greybaker https://t.co/B6HTU3vEiZ
— احمد غازي (@Ahmed_Brilliant) July 4, 2021
महिला आयोग से शिकायत
'वीमन अगेन्स्ट वॉयलेंस एंड एक्सप्लॉयटेशन' नामक संस्था ने दिल्ली महिला आयोग से इसकी शिकायत की और उम्मीद जताई कि दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी और मुसलिम महिलाएं सुरक्षित रहेंगी।
we have filed a complaint regarding the same in @DCWDelhi & the complaint has finally been registered with the commission .
— Women Against Violence & Exploitation (@wesave_ngo) July 7, 2021
We hope & request @SwatiJaiHind to bring all those involved face the law .
SM should be a safer place for women.@TeamSaath @DCP_CCC_Delhi @DelhiPolice https://t.co/oM93AqIMSj pic.twitter.com/2j90fsoBuN
महिला आयोग का कड़ा रुख
दिल्ली महिला आयोग ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को इस पर एक नोटिस जारी किया है। उन्होंने इसे 'एक गंभीर साइबर अपराध' क़रार दिया है और कहा है कि 'कुछ मुसलिम महिलाओं की अनुमति के बग़ैर ही उनकी तसवीरें और निजी जानकारियाँ सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म से उठा कर इस पर साझा की गई हैं, जो ग़लत व ग़ैरक़ानूनी है।'
इस नोटिस में एफ़आईआर दर्ज करने, विस्तृत जाँच करने और उसकी पूरी जानकारी दिल्ली महिला आयोग से साझा करने को भी गया है।
क्या कहना है एडिटर्स गिल्ड का?
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने भी इसे गंभीरता से लिया है। उसने एक प्रेस बयान में कहा है कि 'कुछ मुसलिम महिला पत्रकारों और दूसरे पेशे की महिलाओं की तसवीरें वेबसाइट पर अपलोड की गई हैं और उनके लिए अपमानजक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। दिल्ली दंगे 2020 की रिपोर्टिंग करने वाली महिला पत्रकार फ़ातिमा ख़ान को निशाना बनाया गया है।'
एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि 'इससे समाज के कुछ वर्ग में महिला विरोध रवैए का पता तो चलता ही है, मुसलमानों को निशाने पर लेने और विशेष रूप से जो सरकार की आलोचना करते हैं, उन्हें परेशान करने का भी पता चलता है।'
परेशान मुसलमान महिलाएँ
इस पूरे मामले से मुसलमान महिलाएँ कितनी परेशान हैं, इसे फ़ातिमा ख़ान की ट्वीट से समझा जा सकता है। उन्होंने लिखा है, 'सुबह नींद से उठी तो अपना और कुछ दूसरी मुसलिम महिलाओं के नाम गिटहब पर सुल्ली फ़ॉर सेल की सूची में शामिल पाया। यह अच्छा है कि इसे हटा लिया गया है, पर इसके स्क्रीन शॉट्स से ही शरीर में सिहरन दौड़ गई।'
Didn't check Twitter last night. Woke up this morning to realise my name, along with those of many other Muslim women was up on GitHub as a list of "Sulli Deals". Thankfully by the time I came across it, it had been taken down. But just the screenshots sent shivers down my spine. pic.twitter.com/CGXivEyjyC
— Fatima Khan (@khanthefatima) July 5, 2021
सुल्ली फ़ॉर सेल की शिकार सानिया अहमद ने ट्वीट किया, 'दो रात तक सो नहीं पाई, अब राहत की सांस ले रही हूँ, पर हम उन्हें छोड़ेंगे नहीं और अपने जीवन का यह लक्ष्य बना लेंगे कि वे जेल की सलाखों के पीछे सड़ते रहें। उन्हें इसकी कीमत चुकानी ही होगी, यह वादा है।'
It's been two sleepless nights. Sigh.
— Sania Ahmad (@SaniaAhmad1111) July 5, 2021
But we will go after them with a vengeance. We are going to make it our life's mission to have them rot behind bars. Every moment of anxiety and fear, they will have to pay for. That's a promise.
सुल्ली फ़ॉर सेल की एक और शिकार आयशा सुलताना ने ट्वीट किया है, 'हमें यह आशंका नहीं थी कि ये नारंगी वाले इतना नीचे गिर जाएंगे। मैं यह उम्मीद रखना चाहती थी कि इन क़ाफ़िरों में कुछ तो इन्सानियत बची रहेगी।'
I wasnt expecting the oranges to fall THIS low. I wanted to believe there is some insaaniyat left inside you infidels.
— Ayesha Sultana (@AyeshaSultana95) July 4, 2021
Sulli deals? I really hope the women in your family don't face this because of your waahiyat behaviour.
I might just leave this rotting platform soon for good
मुंबई पुलिस की जाँच
दिल्ली पुलिस के साथ ही मुंबई पुलिस ने भी इस मामले की तहकीक़ात शुरू कर दी है। सुल्ली फॉर सेल के ज़रिए प्रताड़ित हुई मुंबई की रहने वाली फ़ातिमा ने 5 जुलाई को साकीनाका पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
साकीनाका पुलिस स्टेशन ने ट्विटर इंडिया और गिटहब को चिट्ठी लिख कर ऐप बनाने वाले और इसे ट्विटर पर शेयर करने वालों की जानकारी माँगी है।
मुंबई पुलिस ने गिटहब से आईपी एड्रेस, लोकेशन और ऐप कब बना है- इसकी जानकारी भी मांगी है। इसके साथ ही ऐप बनाने में इस्तेमाल होने वाला इमेल आईडी और फ़ोन नंबर भी मांगा गया है।
मुंबई पुलिस ने ट्विटर से कुछ आपत्तिजनक ट्वीट डिलीट करने और उस हैंडल को चलाने वाले लोगों का डेटा भी माँगा है।
क्या होता है ओपन सोर्स प्लैटफ़ॉर्म?
ओपेन सोर्स प्लैटफ़ॉर्म में कोड को सार्वजनिक कर दिया जाता है। इसमें अलग-अलग कम्युनिटी के कोडर कोड के ज़रिए नए फ़ीचर जोड़ सकते हैं, बग हटा सकते हैं।
कोड के ज़रिए किए जा रहे बदलाव ऐप पर दिख सकते हैं और नहीं भी दिख सकते हैं, पर इसका कंट्रोल ऐप डिज़ाइन करने वाले के पास ही होता है।
अगर ये कोड ऐप डिज़ाइन करने वाले के पास से डिलीट हो जाएं, तो इस ऐप से जुड़ी जानकारियाँ डोमेन नेम सिस्टम प्रोवाइडर के पास होती हैं।