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चांद की सतह पर मिला मिला सल्फर और ऑक्सीजन, अब हाइड्रोजन की खोज जारी 

चांद की सतह पर मिला मिला सल्फर और ऑक्सीजन, अब हाइड्रोजन की खोज जारी 

चांद की सतह पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम और क्रोमियमकी,  मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन की मौजूदगी का भी पता चला है। अब चांद पर हाइड्रोजन की खोज जारी है। 

चंद्रयान-3 मिशन के चांद पर पहुंचने के पांचवें दिन मंगलवार को इसरो ने जानकारी दी है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। इसरो की ओर से सोशल मीडिया एक्स पर मंगलवार को इसको लेकर एक बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि रोवर पर लगे लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप उपकरण ने स्पष्ट रूप से दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह में सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की है।

इसके साथ ही चांद की सतह पर ऑक्सीजन, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम और क्रोमियमकी,  मैगनीज और सिलिकॉन की मौजूदगी का भी पता चला है। जबकि चांद पर हाइड्रोजन की खोज जारी है। इन खोजों का महत्व इसलिए भी है कि भविष्य में यह चांद को लेकर और अधिक अनुसंधान का रास्ता तैयार करेंगी। 

इस खोज की पुष्टि करते हुए इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने कहा है कि रोवर में दो पेलोड हैं-एक्स-रे स्पेक्ट्रोग्राफ और लेजर-प्रेरित स्पेक्ट्रोग्राफ। इसके प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की स्पेक्टरल लाइन स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। चंद्रयान - 3 ने चांद से धरती पर दूसरी बार अपना ऑब्जर्वेशन भेजा है। 

इससे पहले चांद के तापमान का अंतर पता चला था

इससे पहले बीते 28 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान को लेकर पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था। इसने बताया था कि चंद्रमा की सतह और उसकी अलग-अलग गहराई में जाने पर तापमान में काफी अंतर है। इसके द्वारा भेजी गई जानकारी के मुताबिक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, 80 एमएम की गहराई में तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। चास्टे पेलोड में तापमान मापने के लिए 10 सेंसर लगे हैं, जो 100 एमएम की गहराई तक पहुंच सकते हैं। 

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर के तापमान और वहां की अन्य जानकारियों का पता चलना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद का यही वह हिस्सा है जहां भविष्य में इंसानों को बसाने की क्षमता हो सकती है। यहां सूर्य का प्रकाश काफी कम समय के लिए रहता है। वैज्ञानिकों का प्रयास है कि वह चांद की मिट्टी और वहां के वातावरण को लेकर ज्यादा से ज्यादा जानकारियां जुटाएं। 

दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश है भारत

23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत के चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा था। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के नाम यह उपलब्धि थी। इस मिशन की कामयाबी के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। भारत की इस कामयाबी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की सतह से चांद के एक दिन यानि धरती के 14 दिन तक लगातार डाटा भेजने की क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों के लिए चांद से मिलने वाली ये जानकारियां बेहद अहम हैं। इससे चांद को और बेहतर तरीके से जाना और समझा जा सकता है। 

सिर्फ 615 करोड़ रुपए खर्च कर मिली यह कामयाबी

भारत की यह उपलब्धि इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि भारत ने चंद्रमा पर पहुंचने में अन्य देशों के मुकाबले काफी कम खर्च किया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने सिर्फ 615 करोड़ रुपए खर्च कर यह कारनामा कर दिखाया है। हाल के वर्षों में रूस और चीन ने अपने चंद्र अभियानों पर जितना खर्च किया उससे आधे से भी कम खर्च में ही भारत ने चांद पर पहुंच कर दिखा दिया है। भारत सबसे कम खर्च कर चांद पर पहुंचने वाला देश बन गया है।

भारत की इस कामयाबी पर दुनिया आश्चर्य से भरी नजरों से भारतीय वैज्ञानिकों को देख रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक चांद पर पहुंचने के लिए 3 साल पहले चीन ने अपने 'चांग ई- 4' प्रोजेक्ट पर 1365 करोड़ रुपए खर्च किए थे। जबकि रूस ने अपने लूना -25 प्रोजेक्ट के लिए 1659 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इन देशों के के चंद्र अभियानों का खर्च भारत के चंद्रयान-3 के बजट से दोगुना से भी ज्यादा है।

चंद्रयान - 3 की कामयाबी के बाद अब गगनयान की तैयारी

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो अब आने वाले दिनों में गगनयान मिशन को अंतरिक्ष में भेजेगा। प्राप्त सूचना के मुताबिक अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में इस मिशन के तहत एक अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसको लेकर टेस्टिंग सफल रहने पर इसरो एक महिला रोबोट व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजने की योजना पर काम कर रहा है। व्योममित्र अंतरिक्ष में इंसानों जैसी गतिविधियां करेगी। इसके बाद इसरो अपना मानव मिशन भेजेगा। मानव मिशन को भेजने से पहले ये सारी गतिविधियां इसलिए की जाएंगी ताकि अंतरिक्ष यात्रियों को वापस धरती पर लाने में कोई परेशानी सामने नहीं आए और उन्हें सुरक्षित वापस लाया जा सके। 

23 अगस्त को अब अंतरिक्ष दिवस के तौर पर मनाया जाएगा

पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते शनिवार को घोषणा की थी कि अब हर वर्ष  23 अगस्त के दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को तौर पर मनाया जाएगा। माना जा रहा है कि इस दिन को दिवस के तौर पर मनाने से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में जागरुकता आएगी। इसके साथ ही इस दिन को देश की चांद तक पहुंच के दिन को तौर पर याद रखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने शनिवार को घोषणा की थी कि चांद पर लैंडर जिस जगह उतरा है, उस जगह का नाम शिव-शक्ति प्वाइंट होगा। वहीं उन्होंने कहा है कि 2019 में जिस जगह पर चंद्रयान - 2 ने पदचिन्ह्र छोड़े थे वह जगह अब तिरंगा प्वाइंट के नाम से जानी जाएगी।  

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