लैटरल एंट्री का कमाल! बॉलीवुड स्टार के भाई मैनेजर से बन गए संयुक्त सचिव
लैटरल एंट्री के तहत 45 पदों पर नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन पर भारी विरोध के बाद भले ही इसको वापस ले लिया गया है, लेकिन इससे पहले की भर्ती का अजीबोगरीब मामला अब सामने आया है। यह मामला बॉलीवुड स्टार के भाई का है। वह पहले वरिष्ठ मैनेजर पद पर कार्य कर रहे थे, लेकिन सीधे संयुक्त सचिव बना दिए गए।
इस संयुक्त सचिव के बारे में जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर लैटरल एंट्री का ताज़ा विवाद क्या है। सरकारी पदों पर लैटरल एंट्री को लेकर चल रहे विवाद के बीच संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने मंगलवार को 45 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया रोक दी। यूपीएससी ने 7 अगस्त को संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक जैसे पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस पर विपक्षी दलों ने सख्त आपत्ति जताई।
इस विवाद के बाद डॉ. सुजीत कुमार बाजपेयी की लैटरल एंट्री से हुई नियुक्ति को लेकर बहस छिड़ गई। डॉ. सुजीत कुमार प्रसिद्ध बॉलीवुड स्टार मनोज बाजपेयी के भाई हैं।
डॉ. सुजीत कुमार बाजपेयी वर्तमान में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार इस उच्च पद पर उनकी नियुक्ति ने कई लोगों को चौंका दिया, क्योंकि इससे पहले वे सरकारी बिजली उत्पादक कंपनी एनएचपीसी में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर काम कर चुके थे। कई लोगों को उनके पहले के काम का अनुभव इतनी वरिष्ठ सरकारी भूमिका के लिए जूनियर लगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजपेयी 2001 में एनएचपीसी में शामिल हुए और उन्होंने केंद्र सरकार की भूमिका में आने से पहले लगभग 19 वर्षों तक वहाँ काम किया। 2019 में लैटरल एंट्री सिस्टम के तहत आठ संयुक्त सचिव पदों पर नियुक्तियाँ की गईं। 2022 में तीन संयुक्त सचिवों और 27 निदेशकों सहित 30 अधिकारियों का चयन किया गया। 2023 तक 37 पदों के लिए भर्ती की सिफारिश की गई थी, जिसमें संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों सहित 20 अधिकारियों को नियुक्त किया गया था। पिछले पाँच वर्षों में लैटरल एंट्री के माध्यम से 63 नियुक्तियाँ की गई हैं और वर्तमान में 57 अधिकारी ऐसे पदों पर हैं।
बता दें कि लैटरल एंट्री से उम्मीदवारों को उन पदों पर भरा जा रहा है जो आम तौर पर आईएएस अधिकारियों को पद मिलते रहे थे। लैटरल एंट्री से अब सीधे भर्ती करने की अनुमति मिल गई है। इस प्रणाली के तहत, उम्मीदवारों को विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में संयुक्त सचिव और निदेशक, उप सचिव जैसे पदों के लिए सीधे नियुक्त किया जाता है। इन सरकारी पदों को भरने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को काम पर रखा जाता है।