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क्यों हिन्दू गन्ना किसानों ने पढ़ी नमाज़?

क्यों हिन्दू गन्ना किसानों ने पढ़ी नमाज़?

गन्ना भुगतान के मुद्दों को लेकर नाराज़ किसानों ने शामली में सरकार को मरा हुआ मानकर उसकी नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ दी। 

उत्तर प्रदेश के शामली में गन्ना किसान ग़ुस्से में हैं। विरोध में कुछ किसानों ने मुंडन कराया। कुछ अर्धनग्न होकर धरने पर बैठे। कई ने सरकार को मरा हुआ बताकर नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ी। इसमें इमाम के पीछे किसान जाति-मज़हब से ऊँचे उठकर सब एक साथ खड़े हो गए। अब कई किसान सामूहिक धर्म परिवर्तन की चेतावनी दे रहे हैं। कई तो किसान आत्महत्या की बात भी कह रहे हैं। एक किसान आत्महत्या की बात कहकर पानी की टंकी पर भी चढ़ गया था। 

यह ग़ुस्सा क्यों है?

दरअसल, गन्ना भुगतान की माँग को लेकर हज़ारों किसान पिछले एक सप्ताह से दोआब शुगर मिल और कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर रहे हैं। मार्च 2018 से अब तक पूरे प्रदेश भर में किसानों का चीनी मिलों पर लगभग 9 हजार करोड़ रुपए बकाया है। अकेले शामली शुगर मिल पर किसानों के लगभग 200 करोड़ रुपए का बकाया है। यह समस्या पहले से है, लेकिन अब स्थिति गंभीर हो गई है। मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ ने गन्ने के बकाया भुगतान का 14 दिन में निस्तारण करने का वायदा किया था। यह नहीं हो पाया है। 

उत्तर प्रदेश में कुल 158 चीनी मिलें हैं। इनमें से 116 चल रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों का उत्पादन और क्वालिटी के लिहाज़ से ख़ास महत्व है। दुर्भाग्य से किसानों को सबसे ज़्यादा समस्या इन्हीं चीनी मिलों में आ रही है। 

शामली में यह धरना भारतीय किसान यूनियन नेता सावित मलिक की अगुवाई में चल रहा है। 

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कुछ किसानों ने यहाँ सरकार के विरोध में मुंडन भी कराया।

धरने में शामिल शामली के एक किसान शुभम मलिक कहते हैं कि सूबे की बीजेपी सरकार ने किसानों का छलने का काम किया है। मिल मालिक अपने पास किसानों का पैसा रोक कर उससे ब्याज कमाते हैं या दूसरे कारोबार में लगाते हैं। कई किसान आत्महत्या की बात भी कहते हैं। किसान जयपाल सिंह के मुताबिक़, वह मरने के लिए पानी की टंकी पर चढ़ गया था, मगर उसके अध्यक्ष की ख़ुशामद पर वह उतर आया। वह कहता है कि अगर भुगतान न हुआ तो वह रेल के आगे आ जाएगा। किसानों का आरोप है कि सरकार गाय-मंदिर-मसजिद में उलझी हुई है। उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी इसी जनपद के रहने वाले हैं। 

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कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक कहते हैं कि गन्ना मंत्री के गृह जनपद में गन्ना किसानों की यह दुर्दशा है तो प्रदेश भर में स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। 14 दिन में पेमेंट का दावा करने वाले अब मिल मालिकों के समर्थन में खड़े हैं।

  • गन्ना मंत्री सुरेश राणा के मुताबिक़ गन्ना किसानों को भुगतान देने के लिए सरकार ने मिल मालिकों को 4 हजार करोड़ का सॉफ्ट लोन दिया था। लेकिन शामली की दोआब मिल औपचारिकता पूरी नहीं कर पायी, इसलिए उसे यह नहीं मिला। मिल मालिक भुगतान कराने के प्रयास में जुटे हैं।
  • किसानों का कहना है कि गन्ने से इथेनॉल भी बनता है। इससे उसे 50 रुपए प्रति क्विंटल का लाभ होता है। इससे भी मिलों ने करोड़ों रुपये बनाये हैं, मगर किसानों को सिर्फ़ चीनी का पैसा मिलता है।

  • किसानों के इस धरने में कैराना सांसद तब्बुसम हसन और पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक समेत विपक्षी दलों के स्थानीय तमाम नेताओं का समर्थन शामिल है। तब्बुसम हसन कहती हैं कि सरकार शौचालय बनवाने में पैसे खर्च कर रही है जबकि अन्नदाता को भूखे रखना चाहती है, जबकि पेट में अनाज ही नहीं होंगे तो शौचालय किस काम आएँगे।

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किसानों के समर्थन में पहुँची सांसद तब्बुसम हसन।

किसान कहते हैं 9 हज़ार करोड़ बकाया

शामली दोआब मिल धरने पर बैठे किसान कहते हैं कि अभी तक 23 मार्च 2018 तक का भुगतान किया गया है। तब से अब तक किसानों का 9 हज़ार 665 करोड़ 65 लाख रुपए मिल मालिकों पर बकाया है। हालाँकि सरकारी आँकड़े इससे अलग हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना विभाग की वेबसाइट के मुताबिक़ किसानों का बकाया सिर्फ़ 5400 करोड़ रुपए बकाया है।

बकाये के रुपये में अंतर क्यों?

सरकारी बकाया और किसानों के आँकड़ों में यह अंतर सवाल खड़ा करता है। जितेंद्र हुड्डा बताते हैं कि यह सरकार की आँकड़ों की बाज़ीगिरी है। वह कहते हैं कि सरकार 14 दिन पहले की स्थिति बताती है जबकि गन्ना की आमद लगातार जारी रहती है। आँकड़ों के खेल से भार कम दिखता है। जितेंद्र बताते हैं कि पहले हर एक मिल के भुगतान की जानकारी मिल जाती थी मगर अब ऐसा नहीं किया जाता है, पूरे मंडल के आँकड़े दे दिए जाते हैं।

सूबे में निजी मिल मालिकों की 94 मिलें हैं, जबकि शेष मिलें सहकारी और निगम की हैं। सरकार ने अपनी मिलों को भी भुगतान नहीं किया है। गन्ना विभाग की वेबसाइट के मुताबिक़ इन सरकारी मिलों का भी आधा पैसा अभी बकाया है। 

  • युवा किसान नेता वाजिद अली प्रमुख बताते हैं कि पैसे की तंगी के कारण बच्चों की स्कूल फ़ीस तक नहीं भर पा रहे हैं। वह कहते हैं कि सरकार ने भुगतान न करने वाले मिल मालिकों को जेल भेजने की बात कही थी, लेकिन अब वह किसानों की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर तक दर्ज़ नहीं कर रही है। 

'मिल मालिक मुनाफ़े में'

मुज़फ़्फरनगर के गन्ना किसान चौधरी धनवीर बताते हैं कि मिल मालिक मुनाफ़े में हैं। इस बार उन्हें 25 रुपए प्रति क्विंटल का फ़ायदा हुआ है क्योंकि गन्ने का रिकवरी रेट में 0.8 फ़ीसदी बढ़ गया है। दूसरी तरफ़ इसके उलट किसान की पैदावार में 15 फ़ीसदी की कमी आई है। इससे किसान लगभग 15 हजार रुपये प्रति एकड़ नुक़सान में है।

मिल अधिकारी अब मजबूरी का रोना रोते हैं शामली के ज़िलाधिकारी अखिलेश सिंह कहते हैं कि किसानों से बातचीत चल रही है और जल्द ही समाधान हो जाएगा।

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