असम में नागरिकता संशोधन विधेयक का जोरदार विरोध
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है लेकिन असम में इस विधेयक का जोरदार विरोध हो रहा है। असम के लोगों का कहना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने से असम समझौता, 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। पूर्वोत्तर में असरदार छात्र संगठन नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (नेसो) ने मंगलवार को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
Assam: Locals stage a protest in Dibrugarh against #CitizenshipAmendmentBill. The Bill was passed in Lok Sabha yesterday. pic.twitter.com/4FlzRJk6U9
— ANI (@ANI) December 10, 2019
असम में इस विधेयक के ख़िलाफ़ लोग काफ़ी मुखर हैं। विधेयक के विरोध में जोराबाट में लोगों ने प्रदर्शन किया। इसके अलावा ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने विधेयक के विरोध में आवाज़ बुलंद की है और डिब्रूगढ़ में प्रदर्शन किया है।
Assam: All Assam Students' Union (AASU) holds a protest in Dibrugarh against #CitizenshipAmendmentBill which was passed in Lok Sabha, yesterday. pic.twitter.com/En1Zl7IgzE
— ANI (@ANI) December 10, 2019
नेसो और आसू की ओर से बुलाये गए 12 घंटे के बंद के कारण असम की राजधानी गुवाहाटी में दुकानें पूरी तरह बंद हैं। दोनों ही छात्र संगठनों के कार्यकर्ता इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इन छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को भी विधेयक के विरोध में प्रदर्शन किया था। बताया जा रहा है कि गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। असम के राजनीतिक दल असम गण परिषद का कहना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं के आने से असम बर्बाद हो जाएगा।
त्रिपुरा में भी प्रदर्शन
असम के अलावा त्रिपुरा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर हैं। बीजेपी के सहयोगी दल इंडीजीनस पीपल फ़्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) सहित कई संगठनों ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था। असम और त्रिपुरा में इस विधेयक के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन के कारण आम जनजीवनख़ासा प्रभावित हुआ है।
यहां बता दें कि सोमवार को हुई लंबी बहस के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हो गया है। विधेयक के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है और इसे संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर में विधेयक के विरोध को लेकर उठे सवालों का सोमवार रात को विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में जवाब दिया। शाह ने कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम इनर लाइन परमिट से सुरक्षित हैं और उन्हें इस विधेयक को लेकर डरने की ज़रूरत नहीं है। दीमापुर के छोटे इलाक़े को छोड़कर पूरा नगालैंड इनर लाइन परमिट से सुरक्षित है, इसलिए उन्हें भी डरने की ज़रूरत नहीं है।’