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स्ट्रीट डॉगः हाईकोर्ट की कई टिप्पणियों पर रोक, SC हैरान

स्ट्रीट डॉगः हाईकोर्ट की कई टिप्पणियों पर रोक, SC हैरान

आवारा कुत्तों पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की कुछ टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हैरानी जताई। उसने हाईकोर्ट की कुछ टिप्पणियों पर रोक लगा दी। अपने अंतरिम आदेश में उसने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों को खिलाने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन कोर्ट ने जनता से उम्मीद की है कि वो इस ढंग से इस काम को करे कि किसी और को परेशानी नहीं हो। पूरा फैसला पढ़िएः

स्ट्रीट डॉग या आवारा कुत्तों को सार्वजनिक जगहों पर नहीं खिलाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी पर रोक लगाते हुए कहा कि तय जगहों पर स्ट्रीट डॉग को खिलाने में कोई हर्ज नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर नगर निगम को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश भी दिया।

लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की इस टिप्पणी पर भी रोक लगा दी कि जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं उन्हें उन्हें गोद लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने की। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देश और टिप्पणियों पर हैरानी जताई। लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस खन्ना ने तो मौखिक रूप से यह भी कहा- 

आप इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि जो लोग आवारा कुत्तों को पालते हैं, उसे उन्हें गोद लेना चाहिए।


- जस्टिस संजीव खन्ना की मौखिक टिप्पणी, 16 नवंबर, सोर्सः लाइव लॉ

लाइव लॉ के मुताबिक नागपुर में आवारा कुत्तों की समस्या कथित तौर पर बढ़ने के खिलाफ कुछ लोगों ने हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की थी। उसी पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खिलाने-पिलाने पर रोक लगाई जाए।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा था - अगर आवारा कुत्तों के तथाकथित दोस्त वास्तव में आवारा कुत्तों की इतनी चिन्ता करते हैं, तो उन्हें आवारा कुत्तों को अपनाना चाहिए, आवारा कुत्तों को घर में रखें या कम से कम उन्हें किसी अच्छे डॉग शेल्टर होम में रखें और नगर पालिका अधिकारियों के साथ उनका रजिस्ट्रेशन कराएं. उन्हें टीके लगवाएं और सारे खर्चों को खुद उठाएं।

हाईकोर्ट के इस निर्देश पर कुछ डॉग लवर्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और स्पेशल लीव पेटिशन (एसएलपी) दायर की तो सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अंतरिम आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की दोनों टिप्पणियों और उनके आधार पर लिए जाने वाले एक्शन पर रोक लगा दिया।

कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का विरोध करते हुए आपत्तियां भी कीं। लेकिन उस पर सुप्रीम कोर्ट के जवाब बहुत चुटीले रहे। सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने जब कहा कि ऐसी स्टडीज (अध्ययन) हैं कि स्ट्रीट डॉग को खिलाने पर वो ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका जवाबी साहित्य भी मौजूद है।

एक वकील साहब ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सिर्फ सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों को नहीं खिलाने के लिए कहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 

आवारा कुत्ते कहां रहते हैं? क्या आवारा कुत्तों के लिए प्राइवेट मकान बने हुए हैं? आवारा कुत्तों को बांध कर नहीं रखा जा सकता। अगर आपका यही स्टैंड है, तो हम कुछ नहीं कर सकते। सॉरी। हां अगर उनकी बढ़ती आबादी से कोई समस्या है तो उन्हें दूसरी जगहों पर भेजा जा सकता है।


-जस्टिस संजीव खन्ना, 16 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सोर्सः लाइव लॉ

लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नागपुर नगर निगम ऐसी जगहें तय करे जहां लोग आवारा कुत्तों को खिला सकें। जब तक ऐसी जगहों की पहचान नहीं हो जाती, तब तक कानून के अनुसार आवारा कुत्तों की वजह से होने वाली किसी भी समस्या से निपटने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को पूरी छूट है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा- 

हम आम जनता से यह भी उम्मीद रखते हैं कि आवारा कुत्तों को खिलाने से सार्वजनिक स्थलों पर किसी को कोई परेशानी न हो।


- सुप्रीम कोर्ट, 16 नवंबर, सोर्सः लाइव लॉ

अदालत ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और नागपुर नगर निगम को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों को यह छूट होगी कि आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने के दौरान अगर कोई शख्स उपद्रव करता है तो उसके बारे में जानकारी सार्वजनिक की जाए या न दी जाए। लेकिन जैसा कि हाई कोर्ट ने दंड देने का निर्देश दिया है, उस पर रोक रहेगी। ऐसे लोगों पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर नगर निगम से पूछा कि क्या हाईकोर्ट के निर्देश व्यावहारिक हैं, इस पर नगर निगम की वकील ने कहा कि वो निर्देश पाने के बाद ही कुछ बता सकेंगी। फिर कोर्ट ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की ओर मुखातिब होते हुए पूछा कि उसका इस मुद्दे पर क्या स्टैंड है और क्या वो हाईकोर्ट के निर्देशों को व्यावहारिक मानता है। इस पर बोर्ड की वकील ने जवाब दिया कि अगर आवारा कुत्तों को नहीं खिलाया गया तो वो खतरनाक हो जएंगे। बोर्ड की वकील ने कहा कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने सभी राज्यों को इस संबंध में गाइडलाइंस जारी की हुईं कि आवारा कुत्तों को किस तरह खिलाया पिलाया जाए। अगर उन गाइडलाइंस का पालन किया जाए तो कोई समस्या आएगी ही नहीं।

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