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तमिलनाडु की राजनीति में हलचल, एआईएडीएमके में लौट रही हैं शशिकला

तमिलनाडु की राजनीति में हलचल, एआईएडीएमके में लौट रही हैं शशिकला

तमिलनाडु की राजनीति दिलचस्प होने जा रही है। शशिकला फिर से सक्रिय होने जा रही हैं। एआईएडीएमके में उन्हें वापस लाने का रास्ता साफ हो गया है। पनीरसेल्वम गुट से उनका समझौता हो गया है।

तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला की वापसी होने जा रही है। एआईएडीएमके की थेनी जिला यूनिट ने अपनी बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर शशिकला और टीटीवी दिनाकरण की वापसी की मांग रख दी है। तमिलनाडु में एआईएडीएमके की राजनीति में यह सब अचानक नहीं हुआ। इसका रास्ता काफी दिनों से बनाया जा रहा था।समझा जाता है कि बहुत रणनीतिक ढंग से एक जिला यूनिट से यह प्रस्ताव पारित कराया गया। यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि थेनी जिला यूनिट ने अपनी जिस बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया, उसमें पार्टी के कोऑर्डिनेटर और पूर्व सीएम पनीरसेल्वम मौजूद थे। एआईएडीएमके से जब शशिकला की रुखसती हुई थी तो उस समय वो पार्टी की महासचिव थीं। दिनाकरण उनके भतीजे हैं।

दरअसल, तमिलनाडु में हाल ही में हुए शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में एआईडीएमके ने बहुत खराब प्रदर्शन किया है। डीएमके ने 10758 में से 7698 वॉर्डों में जीत हासिल की। नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में डीएमके ने 43.13% वोट शेयर लेकर बेहतरीन प्रदर्शन किया। एआईएडीएमके सिर्फ 2008 वॉर्डो में ही जीत सकी।

थेनी जिला यूनिट के प्रस्ताव में इस हार के लिए पार्टी में विभाजन को जिम्मेदार ठहराया गया और कहा गया कि अगर पुराने नेता फिर से मिल जाएं तो पार्टी फिर से खड़ी हो सकती है और सत्ता में वापसी कर सकती है। एआईएडीएमके थेनी के जिला सचिव सैयद खान ने कहा कि पार्टी काडर शशिकला से पार्टी में शामिल होने का अनुरोध लगातार कर रहा है और हमने इसके पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया है। हमने पार्टी कोऑर्डिनेटर पन्नीरसेल्वम से उन्हें पार्टी में वापस लाने का आग्रह किया है।

शशिकला को 27 जनवरी, 2021 को 66 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति के मामले में 4 साल की जेल की सजा काटने के बाद औपचारिक रूप से जेल से रिहा कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें कोविड हो गया। इलाज के बाद 31 जनवरी, 2021 को बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गई। जब वो तमिलनाडु लौटीं तो पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। उस समय उन्होंने कहा था कि वो जल्द ही पूरी तरह से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो जाएंगी।

एआईएडीएमके शशिकला ने डीएमके को हराने और जयललिता के अनुयायियों को एकजुट रहने की अपील के साथ 3 मार्च, 2021 को कहा था कि वो पार्टी के लिए राजनीति से अलग हो रही हैं। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में, एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव की कई बातचीत सामने आई हैं, जिसमें उन्हें चुनाव में पार्टी की हार के बाद पार्टी पर नियंत्रण वापस लेने का दबाव बढ़ने की बात सुनी गई। उनकी वापसी की राह में दिवंगत जयललिता के सहयोगियों और पार्टी के निचले स्तर और मध्य स्तर के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

तमाम इंटरव्यू में शशिकला ने पार्टी के मौजूदा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए पार्टी को सही करने का संकल्प लिया। अपनी राजनीतिक साख को बयान करते हुए, शशिकला ने एआईएडीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन को "सलाह" देने के अलावा एमजीआर के निधन के बाद जानकी रामचंद्रन गुट और जयललिता गुट के बीच की खाई को पाटने का श्रेय लेने का दावा करती रही हैं। जयललिता के स्मारक का दौरा करने के अलावा, उन्होंने तंजावुर, मदुरै, रामनाथपुरम, पसुम्पोन और तिरुनेलवेली सहित तमिलनाडु के कई जिलों का भी दौरा हाल ही में किया है।

पनीरसेल्वम जब तमिलनाडु के सीएम बन थे तो उन्होंने एआईएडीएमके पार्टी पर एक तरह से कब्जा कर लिया। शशिकला और दिनाकरण को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

पार्टी से निकाले जाने के बावजूद शशिकला चुप नहीं बैठीं, वो बैकग्राउंड में काम करती रहीं। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने राज्यभर में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से रोजाना संपर्क रखा। उन्होंने सभी को जोड़ने के लिए एक टीम बनाई। शशिकला राज्य के शक्तिशाली थेवर समुदाय से हैं। वह समुदाय इस समय उनका जबरदस्त समर्थन कर रहा है। पार्टी के चीफ कोऑर्डिनेटर पन्नीरसेल्वम भी थेवर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। थेवर समुदाय के बुजुर्गों के कहने पर शशिकला और उनके बीच कई बार बातचीत हुई थी।

हालांकि, डी. जयकुमार, सीवी षणमुगम और कुछ अन्य नेताओं सहित पार्टी के पलानीस्वामी गुट ने पार्टी में उनके दोबारा प्रवेश का विरोध किया था। दोनों नेताओं के गृह निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की करारी हार की वजह से अब वे शशिकला की वापसी का विरोध नहीं कर पाएंगे।

हालांकि शशिकला दिवंगत एमजीआर या जयललिता की तरह एक स्वाभाविक नेता नहीं हैं। वो गुटबाजी की शिकार पार्टी को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।

पार्टी के लिए अगली बड़ी चुनौती 2024 के आम चुनाव होंगे। बीजेपी ने शहरी चुनावों से पहले घोषणा की थी कि वह केवल स्थानीय चुनावों के लिए इस पार्टी के साथ संबंध तोड़ रही है और लोकसभा और विधानसभा चुनावों दोनों में गठबंधन जारी रखेगी।

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