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आप के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास की गिरफ्तारी पर रोक

आप के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास की गिरफ्तारी पर रोक

पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने मंचीय कवि कुमार विश्वास की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। उनके खिलाफ पंजाब पुलिस ने आप प्रमुख केजरीवाल के खिलाफ भड़काऊ बयान देने का मामला दर्ज किया है। 

मंचीय कवि कुमार विश्वास को अदालत से राहत मिली है। पंजाब में उनकी गिरफ्तारी पर तलवार लटक रही थी। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कथित भड़काने वाला बयान देने के आरोप में पंजाब में दर्ज एफआईआर में कवि कुमार विश्वास की गिरफ्तारी पर सोमवार को रोक लगा दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कुमार विश्वास भी आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में रहे हैं।

कुमार विश्वास ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कराने के लिए पिछले हफ्ते पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

कवि के खिलाफ पंजाब पुलिस ने 12 अप्रैल को रूप नगर थाने में समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, आपराधिक साजिश, धर्म या नस्ल के आधार पर दुश्मनी पैदा करने के इरादे से समाचार प्रकाशित करने या प्रसारित करने का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने कहा था कि नरिंदर सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है।

कुमार विश्वास ने इस एफआईआर को दर्ज कराने के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अपनी याचिका में विश्वास ने कहा था कि हाल के पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद, आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी और उसके तुरंत बाद उसने अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराईं। ऐसा उन्हें परेशान करने के लिए किया गया। उनके पुराने ट्वीट और बयान को एफआईआर में जोड़ा गया।

कुमार विश्वास ने याचिका में कहा कि यह एफआईआर अवैध, मनमानी और अन्यायपूर्ण है। इसमें राज्य की मशीनरी का उपयोग किया गया है। एफआईआर राजनीतिक रूप से प्रेरित है।इसे प्रतिशोध की भावना से दर्ज कराया गया है। बता दें कि कुमार विश्वास के अलावा कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ भी इसी तरह एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद इनके घरों पर पंजाब पुलिस भेजी गई। लेकिन अलका लांबा सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ खुद पंजाब पहुंची और पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया। अलका लांबा ने साफ शब्दों में दोहराया कि उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ जो भी कहा और जिस आधार पर एफआईआर की गई, उससे वो नहीं डरती हैं। वो अपने बयान पर कायम हैं। अलका लांबा के इस बयान के जवाब में आम आदमी पार्टी चुप रही और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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