स्टालिन ने कहा, तमिलनाडु में लागू नहीं होगा सीएए
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को 'विभाजनकारी और बेकार' बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।स्टालिन ने कहा है कि सीएए के नियम संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ हैं।
लोकसभा चुनाव नजदीक देख कर राजनैतिक लाभ के लिए केंद्र की मोदी सरकार इसके नियमों को अधिसूचित कर रही है। उन्होंने कहा है कि सीएए से कोई लाभ नहीं होने वाला है। यह केवल भारतीय लोगों के बीच विभाजन पैदा करेगा।
राज्य सरकार का मानना है कि यह कानून पूरी तरह से अनुचित है, इसे निरस्त किया जाना चाहिए। इसलिए तमिलनाडु सरकार तमिलनाडु में सीएए को लागू नहीं होने देगी। सीएए देश के बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता, अल्पसंख्यक समुदायों और श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के खिलाफ है।
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि केंद्र की भाजपा सरकार के विभाजनकारी एजेंडे ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है। इसे मानवता के प्रतीक से धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव के उपकरण में बदल दिया है। मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों को धोखा देकर उन्होंने विभाजन के बीज बोए हैं।
उन्होंने लिखा है कि डीएमके जैसी लोकतांत्रिक ताकतों के कड़े विरोध के बावजूद, भाजपा की पिट्ठू पार्टी एडीएमके के समर्थन से सीएए पारित किया गया था। लोगों की प्रतिक्रिया के डर से भाजपा ने इस कृत्य को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
2021 में डीएमके के सत्ता में आने के बाद, हमने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से हमारे राष्ट्र की एकता की रक्षा करने, सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के आदर्श की रक्षा करने के लिए सीएए को रद्द करने का आग्रह किया था।
स्टालिन ने आगे लिखा है कि अब, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हुए, नागरिकता संशोधन अधिनियम को निंदनीय तरीके से पुनर्जीवित करके अपने डूबते जहाज को बचाना चाहते हैं।
भारत के लोग इस विभाजनकारी नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए भाजपा और उनके रीढ़हीन समर्थकों, एडीएमके, जिन्होंने बेशर्मी से इसका समर्थन किया, को कभी माफ नहीं करेंगे। जनता उन्हें करारा सबक सिखाएगी।
ममता बनर्जी ने भी किया इसका विरोध
वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी नागरिकता संशोधन अधिनियम या सीएए के कार्यान्वयन पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि अधिसूचित किए गए नियमों में कोई स्पष्टता नहीं है।उत्तर 24 परगना जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने लोगों से कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले कई बार सोचने का आग्रह किया है।
ममता बनर्जी ने दावा करते हुए कहा कि यह नागरिकों के मौजूदा अधिकारों को छीनने का खेल है और यह सीधे तौर पर देश में एनआरसी के कार्यान्वयन से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है।