तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की ऑटोबायोग्राफी के विमोचन के मौके पर ऐसी उम्मीद थी कि विपक्षी पार्टियों के बड़े चेहरे इस कार्यक्रम में दिखाई देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस कार्यक्रम में शामिल हुए जबकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय रही।
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले एंटी बीजेपी फ्रंट के लिए इन दलों के नेताओं की एकजुटता का सवाल सियासी गलियारों में उठता रहा है। हालांकि इस कार्यक्रम में केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे।
स्टालिन के जीवन पर लिखी गई इस किताब का शीर्षक One Among You है।
राहुल का हमला
इस मौके पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से पहले कश्मीर के लोगों की राय तक नहीं ली गई। राहुल ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों की सहमति के बिना वहां पर बीएसएफ की ताकत में इजाफा कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय राज्यों के इतिहास और इसकी विविधताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
बड़े नेताओं की इस कार्यक्रम से गैर मौजूदगी को लेकर डीएमके ने बयान जारी किया है। डीएमके ने कहा है कि ममता बनर्जी चुनाव में व्यस्त हैं और बाकी नेता आज खाली नहीं थे और इस कार्यक्रम की तारीख को बदला नहीं जा सकता था। तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके की मिली-जुली सरकार है।
कौन करेगा अगुवाई?
2024 के लिए एनडीए के सामने यूपीए की अगुवाई क्या कांग्रेस ही करेगी, इसे लेकर विपक्ष की ओर से ही कई बार सवाल खड़े हुए हैं। ममता बनर्जी ने यूपीए कुछ नहीं है जैसा बयान भी दिया था और वह विपक्ष के तमाम नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं। ममता यूपीए से अलग एक एंटी बीजेपी फ्रंट बनाकर उसकी अगुवाई करना चाहती हैं। लेकिन स्टालिन और शिवसेना कई बार कह चुके हैं कि बीजेपी के खिलाफ बनने वाला कोई फ्रंट कांग्रेस के बिना नहीं बन सकता है।
ममता बनर्जी के अलावा के. चंद्रशेखर राव की सियासी ख़्वाहिश भी ऐसे किसी फ्रंट की कयादत करने की है। जबकि स्टालिन ने कुछ दिन पहले ही सभी विपक्षी दलों से सामाजिक न्याय के लिए एकजुट होने की अपील की थी।
बीजेपी के खिलाफ कोई बड़ा फ्रंट उसी सूरत में बन सकता है, जब विपक्ष के सभी बड़े चेहरे एक मंच पर दिखाई दें। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी ऐसी कोशिश हुई थी लेकिन यह परवान नहीं चढ़ सकी थी। देखना होगा कि क्या इस बार सभी विपक्षी नेता एकजुट होंगे या फिर वे यूपीए से हटकर कोई दूसरा फ्रंट बनाएंगे।