श्रीलंका हमले के आतंकी की बहन ने कहा, ख़ुश हूँ कि वह मारा गया
ईस्टर संडे पर श्रीलंका में हुए आतंकी हमले के संदिग्ध मास्टरमाइंड ज़हरान हाशिम की मौत से उसकी बहन मधानिया भी ख़ुश हैं। कोई अपने सगे भाई की मौत पर ख़ुश क्यों हो सकता है, इसका कारण भी मधानिया बताती हैं। मधानिया कहती हैं, 'उसने भगवान को खो दिया क्योंकि उसने ग़लत लोगों से हदीस सीखी, उसने लोगों को मारना सीखा। मैं कह सकती हूँ कि मैं खुश हूँ कि वह अब नहीं रहा।'
मधानिया अपने पति के साथ रहती हैं। उनके परिवार के अधिकतर लोग मारे जा चुुके हैं। वह मानती हैं कि उनके अपने ही भाई ज़हरान की ग़लत संगत और उनके भाई की धर्म की ग़लत व्याख्या के कारण उनका पूरा परिवार उजड़ गया। वह कहती हैं, 'हमने (मधानिया और ज़हरान) एक-दूसरे से तब से बात नहीं की जब से उसने अपने भाषणों में ज़हर उगलना शुरू किया। वह इसलाम पर उग्र भाषण देता था और छोटी उम्र से ही उसके भाषण से बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो जाते थे। मैं तब से उससे दूर हूँ, जब से उसने सरकार, राष्ट्रीय झंडे, चुनाव और अन्य धर्मों के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करना शुरू किया। उसने हमारे परिवार में तबाही ला दी थी।'
मधानिया ने ये बातें 'इंडियन एक्सप्रेस' के साथ बातचीत में कही हैं। उनका यह बयान शुक्रवार शाम को छापे के दौरान संदिग्ध आतंकियों की पनाहगाह में धमाके और उसमें 6 बच्चों सहित 15 लोगों के मारे जाने के एक दिन बाद आया है।
ज़हरान ने 21 अप्रैल को शंगरी-ला होटल में ख़ुद को उड़ा लिया था। मधानिया का एक अन्य भाई मोहम्मद जेयिन हाशिम अभी तक लापता है। जाँचकर्ताओं का कहना है कि हो सकता है कि जेयिन ने भी ख़ुद को उड़ा लिया हो। शुक्रवार शाम को छापे के दौरान जिन लोगों की मौत हुई उनमें मधानिया के पिता, तीसरा भाई, उसकी पत्नी और दो बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों में जेयिन की पत्नी और बच्चे समेत परिवार के कई अन्य सदस्य भी शामिल हैं।
धमाके के पहले से ग़ायब थे परिजन
मधानिया के परिवार के 16 लोग काफ़ी पहले से ग़ायब हो गये थे। 18 अप्रैल यानी चर्च और अन्य जगहों पर हुए बम धमाकों से तीन दिन पहले से ये लोग लापता थे। 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मधानिया कहती हैं, 'हालाँकि ज़हरान से मैंने संबंध तोड़ लिये थे, लेकिन मैं अपने माता-पिता को खाना भेजती रहती थी। वे मेरी बहन के साथ पास की गली में ही रहते थे। लेकिन अचानक वे गुरुवार को (18 अप्रैल को) ग़ायब हो गये। शुक्रवार को पड़ोसियों ने हमसे कहा कि वे घर पर नहीं हैं। उनके फ़ोन भी बंद आ रहे थे। तभी विस्फोट हुआ और हमें उसमें ज़हरान के हाथ होने का पता चला।'
मधानिया कहती हैं कि ज़हरान की दुनिया के प्रति नफ़रत का वह घोर विरोध करती थी, इसलिए पूरा परिवार मुझे और मेरे पति को छोड़कर चला गया था।
वह कहती हैं कि ज़हरान ने कक्षा छह में स्कूल छोड़ दिया था, लेकिन इसलाम में उसकी विशेष रुचि थी। उसने क़ुरान की पढ़ाई की और साल 2006 में अपना इसलामिक अध्ययन सेंटर भी शुरू किया।
मधानिया का कहना है कि वह इसलामिक स्टेट के बारे में कुछ नहीं जानती हैं। हालाँकि वह कहती हैं, "ज़हरान अन्य धर्मों को लेकर आक्रामक था, यहाँ तक कि सूफ़ी और उदारवादी मुसलिमों के प्रति भी। वह सूफ़ी को नशा और धूम्रपान करने वाला कहता था। जब लगा कि वह ग़लत दिशा में जा रहा है, मेरे पति भी उससे दूर रहते थे। पुलिस पहले से ही उसकी निगरानी कर रही थी।'
ज़हरान के विदेश दौरों के बारे में मधानिया कहती हैं कि क़रीब एक दशक पहले उसके एक विदेशी दौरे के बारे में वह जानती हैं। वह यात्रा थी जापान की। वह कहती हैं कि कोई ज़हरान को कोलंबो से जापान लेकर गया था जहाँ उसने एक महीने के लिये तमिल मुसलिमों को क़ुरान की शिक्षा दी थी। मधानिया कहती हैं कि 2017 के बाद शायद वह बाहर नहीं गया है क्योंकि पासपोर्ट और पहचान संख्या पुलिस के पास थी।
मधानिया कहती हैं, ‘वह केवल क़ुरान पढ़ता था, उसे बाक़ी सब पाप लगता था। जो लोग गाने सुनते थे वे भी उसके लिए पापी थे। वह समझता था कि धर्म की उसकी व्याख्या ही सबसे अव्वल थी, दूसरे लोगों की परिभाषा ग़लत थी। उसके इसलाम का रूप हमें पसंद नहीं था।’
बता दें कि मिलिट्री इंटेलिजेंस का एक अफ़सर 21 अप्रैल को ईस्टर संडे पर आतंकी हमले के संदिग्ध मास्टरमाइंड ज़हरान हाशिम की बहन मधानिया के घर पहुँचा था। अफ़सर मधानिया और पुरानी गाड़ियों की ख़रीद-फरोख़्त करने वाले उनके पति शरीफ़ नियास को शुक्रवार को छापे के दौरान हुए विस्फोट में मारे गये 15 लोगों के शवों की पहचान करने के लिए कहने गया था।
ईस्टर संडे यानी 21 अप्रैल को चर्च, होटल सहित आठ जगह बम धमाकों में 250 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गयी थी। इसके बाद पुलिस संदिग्ध आतंकियों के ठिकानों पर छापे मार रही है। अब तक कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।