आँठवाँ ओलंपिक स्वर्ण नहीं जीत पायी लेडेकी
आज का सबसे बड़ा आकर्षण प्रख्यात अमेरिकी तैराक केटी लेडेकी और ऑस्ट्रेलिया की टिटमस एरियन के बीच का मुक़ाबला था। केटी पेरिस ओलंपिक का बड़ा आकर्षण थीं। हो भी क्यों नहीं। उन्होंने सात ओलंपिक स्वर्ण पदक और 21 विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीते हैं, जो किसी महिला तैराक के लिए इतिहास में सबसे अधिक है। उन्होंने विश्व तैराकी चैंपियनशिप में विश्व रिकॉर्ड 16 व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते हैं। लेडेकी के ओलंपिक में जीते छह व्यक्तिगत स्वर्ण पदक और विश्व तैराकी चैंपियनशिप में जीते 26 पदक महिला तैराकी में रिकॉर्ड हैं। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया की 23 वर्षीय टिटमस भी कम नहीं हैं। एरियन टिटमस दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला मध्यम दूरी की तैराकों में से एक के रूप में उभरीं, जिन्होंने टोक्यो में अपने ओलंपिक पदार्पण पर दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीतकर धूम मचा दी। उनकी बड़ी सफलता 2019 विश्व चैंपियनशिप में मिली। ऑस्ट्रेलिया ने 400 मीटर फ़्रीस्टाइल में स्वर्ण पदक जीता और इस स्पर्धा में केटी लेडेकी के छह साल के अपराजित साम्राज्य को समाप्त किया था। टोक्यो 2020 ओलंपिक में उन्होंने लेडेकी को फिर से हराया।
आज 400 मीटर महिलाओं की फ्रीस्टाइल की तीसरी हीट में ये दोनों प्रतिद्वंद्वी साथ में थे। ये कभी न भुलाए जाने वाले क्षण थे जब लेन 1 में लेडेकी और लेन 2 में आप टिटमस को तैरते देखे। खचाखच भरी दर्शक दीर्घा में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के दर्शकों का शोर चरम पर था। लेडेकी 300 मीटर तक पीछे थीं लेकिन फिर तो मानो उनमें अलग ही ऊर्जा का संचार हुआ और फाइनल स्कोर में लेडेकी .27 सेकंड से जीत गईं। लेकिन यह तो सुबह की कहानी है, क्वालिफ़ाइंग दौर की। ओलंपिक पदक के लिये अंतिम मुक़ाबला बाक़ी था। यहाँ एक और तैराक है जो इन दोनों को चुनौती दे रही थी। वो है कनाडा की 17 वर्षीय समर मैकिन्टोश। समर का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड 4.24.38 है।
स्वर्ण पदक के लिये अंतिम मुक़ाबला तो और भी दिलचस्प हो गया। टिटमस ने शुरू से ही बढ़त ली और स्वर्ण पदक 3.57.49 सेकंड से जीता जबकि समर ने अंतिम क्षणों में लेडेकी को पीछे छोड़ 3.58.37 के साथ रजत पदक जीता। लेडेकी 4.02.46 के साथ तीसरे स्थान पर आयीं। एक सम्राज्ञी के बिदाई के क्षण निकट आ गये हैं।
तैराकी से निकलकर अब यदि हम हमारी बात करें तो भारत को टोक्यो ओलंपिक खेलों में अपने 7 पदकों की संख्या में सुधार की उम्मीद है। हमने पेरिस ओलंपिक खेलों में 117 सदस्यीय दल भेजा है। पदकों के लिए भारत की नज़र एनी खेलों के साथ बैडमिंटन पर टिकी रहेगी। कुश्ती ओलंपिक में भारत के लिए एक और मजबूत खेल रहा है। इसने हॉकी के बाद भारत के लिए दूसरा सबसे ज़्यादा ओलंपिक पदक जीते हैं, लेकिन पिछले दिनों कुश्ती की मेट से ज़्यादा मैदान के बाहर की गतिविधियों के कारण ज़्यादा चर्चा में रहा है। साक्षी मलिक जैसी खिलाड़ी टीम में नहीं है।
पेरिस की बात करें तो नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, लक्ष्य सेन, पीवी सिंधु, पुरुष हॉकी टीम, विनेश फोगट और निखत ज़रीन भारत की सबसे बड़ी पदक उम्मीदों में से हैं। मुक्केबाज़ लवलीना बोरगोहेन और भारोत्तोलक मीराबाई चानू से भी टोक्यो में अपने प्रदर्शन को दोहराने और लगातार दूसरा पदक जीतने की उम्मीद है, पीवी सिंधु यदि मेडल जीतती है तो लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय बन जाएँगी।
पीवी सिंधु के साथ ही बैडमिंटन में डबल्स मुक़ाबले में सात्विक और चिराग़ से भी मेडल की उम्मीद है। सात्विक और चिराग़ ने अपने पहले दौर के मैच में कोरवी और रोनन लाबर की फ्रांसीसी जोड़ी पर सीधे गेम में आसान जीत दर्ज की (21-17 और 21-14)। सात्विक और चिराग का सामना सोमवार को टूर्नामेंट के दूसरे दौर में जर्मनी के मार्क लैम्सफस और मार्विन सेडेल से होगा।
भारतीय हॉकी टीम के लिए सफर आसान नहीं होने वाला है, क्योंकि उन्हें हॉकी के दिग्गज बेल्जियम (विश्व नंबर 2), ऑस्ट्रेलिया (विश्व नंबर 3), अर्जेंटीना (विश्व नंबर 7), न्यूजीलैंड (विश्व नंबर 10) और आयरलैंड (विश्व नंबर 11) के साथ पूल बी में रखा गया है। आज न्यूज़ीलैंड को एक रोमांचक मैच में 3-2 से पराजित कर भारत ने बेहतरीन शुरुआत की है। आज टीम ने दिखा दिया कि तनाव के क्षणों में वे आसानी से टूटेंगे नहीं। इस तैयारी का एक कारण खिलाड़ियों की मानसिक रूप से तैयार करने के लिए स्विट्जरलैंड में प्रसिद्ध एडवेंचरर माइक हॉर्न के बेस में तीन दिवसीय कठिन प्रशिक्षण शिविर भी है। दक्षिण अफ्रीकी मानसिक कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन को टीम से जोड़ कर हॉकी इंडिया ने बेहतरीन काम किया है। अप्टन ने कभी भारत की क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम के साथ भी काम किया था।