टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम सेमीफाइनल में बेल्जियम से 2-5 से हार गई। अब भारत कांस्य पदक के मुक़ाबले के लिए खेलेगा। इसके साथ ही गोल्ड और सिल्वर मेडल की उम्मीदों को झटका लगा है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम को 49 साल बाद ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में पहुँचने पर देश के लोगों की उम्मीदें काफ़ी ज़्यादा बढ़ी हुई थीं। हालाँकि भारतीय महिला हॉकी टीम से उम्मीदें अभी भी बरकरार है।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम से कैसी उम्मीदें थीं यह इससे भी समझा जा सकता है कि आम प्रशंसकों से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक टीवी पर आँखें गड़ाए थे। प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद इस मैच को देख रहे थे। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि वह भारत बेल्जिययम पुरुष हॉकी का सेमीफाइनल मैच देख रहे हैं। टीम की हार के बाद उन्होंने ट्वीट किया, 'हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है। टोक्यो 2020 में हमारी पुरुष हॉकी टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और यही मायने रखता है। टीम को अगले मैच और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ। भारत को अपने खिलाड़ियों पर गर्व है।'
सेमीफाइनल मुक़ाबले में भारत की शुरुआत उतनी ख़राब नहीं रही, बल्कि इसको काफ़ी अच्छी शुरुआत कहा जा सकता है। पहला पेनाल्टी कॉर्नर में बेल्जियम ने गोल दागा तो भारत ने भी 7वें मिनट में ही गोल दागकर उसकी बराबरी कर ली थी। उसके तुरत बाद भारत ने एक और गोल दागकर बढ़त बना ली थी। मनदीप के इस दूसरे गोल की बदौलत स्कोर 2-1 से भारत के पक्ष में था। पहले क्वार्टर का खेल ख़त्म होने तक यही स्कोर बरकरार रहा। लेकिन इसके बाद बेल्जियम ने वापसी की और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दूसरे क्वार्टर में भी दोनों टीमों के बीच काँटे की टक्कर का मुक़ाबला रहा। हालाँकि बेल्जियम को पेनाल्टी कॉर्नर मिला और वह गोल करने में कामयाब रहा। दूसरे क्वार्टर के बाद भी स्कोर 2-2 से बराबर ही था। लेकिन तीसरे और चौथे क्वार्टर में बेल्जियम ने काफ़ी बढ़त हासिल कर ली। एक के बाद एक तीन गोल दागे और मुक़ाबले को 2-5 से अपने पक्ष में कर लिया।
अब टोक्यो ओलंपिक का दूसरा सेमीफाइनल ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच खेला जाएगा। इसमें से जो टीम हारेगी उसके साथ भारतीय टीम का कांस्य पदक के लिए मुक़ाबला होगा।
बता दें कि इससे पहले भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में ब्रिटेन को 3-1 से हरा कर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई थी। भारतीय टीम ने 49 साल बाद सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई थी। इससे पहले भारतीय हॉकी टीम 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में सेमीफ़ाइनल में पहुँची थी।
भारत ने ओलंपिक में आखिरी पदक मॉस्को ओलंपिक 1980 में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था, लेकिन तब केवल छह टीमों ने भाग लिया था और राउंड रोबिन आधार पर शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुक़ाबला हुआ था।