लड़ाई बॉक्सिंग पर वर्चस्व की, एंजेला और इमान तो सिर्फ़ मोहरें हैं?
उत्तर पेरिस का रोलैंड-गैरोस स्टेडियम में निकहत ज़रीन की पराजय से हम उबरे ही नहीं थे कि अगले ही बाउट में ऐसी घटना घटी जिसने पेरिस ओलंपिक ही नहीं बल्कि विश्व खेल जगत के एक चिरंतन विवाद को नयी हवा दी। हुआ यह कि प्री क्वार्टर फाइनल की अगली बाउट इटली की एंजेला कारिनी और अल्जीरिया की इमान खेलीफ के बीच एनाउंस हुई। दोनों खिलाड़ियों का आगमन हुआ और दर्शकों के बीच ‘इटली - इटली ‘ के नारे गूंजने लगे। किसी सामान्य बाउट की तरह प्राथमिकताएँ पूर्ण हुई और रेफ़री ने स्टार्ट का इशारा दिया।
अल्जीरियाई बॉक्सर इमान ने आक्रामक शुरुआत की और दो पंच के बाद ही इटालियन एंजेला ने हेड गियर ढीले होने की शिकायत की। इटली के कोच ने हेड गियर फिक्स किए और मुक़ाबला फिर शुरू हुआ। इटालियन बॉक्सर को सुर ही नहीं मिल रहे थे और अल्जीरियाई बॉक्सर के पंच तीव्र होते गए। अगले ही क्षण हमने देखा कि अल्जीरियाई बॉक्सर इमान का एक पंच सीधे एंजेला की नाक पर पड़ा और एंजेला ने फिर हेड गियर की शिकायत की। लेकिन इस बार हेड गियर को ठीक करने के स्थान पर एंजेला कारिनी ने उसे उतारा और ग़ुस्से में रिंग के बाहर फ़ेक दिया। एंजेला बहुत उत्तेजित थी और अपने कोच की और देखकर चिल्ला रही थी। उसने रेफ़री से कहा कि वे आगे खेलना नहीं चाहती। रेफ़री ने उन्हें कुछ क्षण दिये और फिर अल्जीरिया की इमान खेलीफ को विजेता घोषित कर दिया। एंजेला ने रेफ़री से हाथ मिलाया लेकिन जब विजेता अल्जीरियाई बॉक्सर इमान ने हाथ आगे बढ़ाया, एंजेला उसे झटक कर आगे बढ़ गई।
अगले ही क्षण एंजेला रिंग के बीच में घुटनों पर बैठ गई और फुटफुट कर रोने लगी। इटली के दर्शक भी नहीं समझ पाये कि आख़िर हुआ क्या है। झंडे अंदर हो गये। फिर यह पता लगा कि इमान वही अल्जीरियाई खिलाड़ी है, जिन्हें लिंग पात्रता परीक्षणों में विफलता के कारण नई दिल्ली में हुई बॉक्सिंग की विश्व प्रतियोगिता में प्रतिबंधित किया गया था। रोते रोते एंजेला बाहर निकलीं और तनाम दर्शकों की सहानुभूति उसके साथ हो गई। क्या अभी अभी हमने महिलाओं के बॉक्सिंग मुक़ाबले में एक पुरुष बॉक्सर के हाथों महिला बॉक्सर की पिटाई देखी? इंटरनेट पर एंजेला के पक्ष में सहानुभूति की लहर दौड़ गई। इसे महिला बनाम पुरुष और ट्रांसज़ेंडर विरुद्ध परम्परावादियों की लड़ाई में बदल दिया। फ़ेसबुक और ट्विटर टिप्पणियों से भर गए। सुर यही थे कि इटली की बेचारी बॉक्सर पर भारी अत्याचार हुआ है।
इस पूरे विवाद में आग में घी का काम किया एंजेला की मैच के ठीक बात हुई प्रेस मुलाक़ात ने। एंजेला ने लगभग रोते हुए, अपने मरहूम पिता को याद करते हुए कहा कि "मैंने हमेशा वफादारी के साथ अपने देश का सम्मान किया है," उन्होंने कहा। "इस बार मैं सफल नहीं हो सकी क्योंकि मैं और लड़ नहीं सकती थी।” एंजेला ने रोते हुए यह भी कहा कि "मैंने मुकाबला छोड़ दिया क्योंकि नाक पर लगा दूसरा पंच असामान्य था। रिंग में वर्षों के और अनगिनत बॉक्सिंग मैच के अनुभव से मैं यह कह सकती हूँ कि यह पंच असामान्य था और मुझे लगा कि बस बहुत हो गया। मेरे हाथ में यही था कि मुक़ाबला छोड़ दूँ“। दूसरी ओर इमान ने एरिना से बाहर निकलने के बाद मीडिया से दूरी बनाई।
मैच ख़त्म होते ही सरकारें आपस में भिड़ गईं। इटली की परिवार मंत्री इयूजेनीआ रोचेला ने कहा: “यह आश्चर्यजनक है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई निश्चित, सख्त, एकसमान मानदंड नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि यह अजीब है “कि ओलंपिक में एक संदिग्ध,अनुचित और संभावित खतरनाक मुकाबले की अनुमति दी जाती है। अल्जीरिया ने कहा कि इमान खेलीफ, पर कुछ विदेशी मीडिया आउटलेट्स से होने वाले बेबुनियाद प्रोपेगैंडा और अपमानित करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करता है”।
पहली नजर में इतने इमोशनल पिच और सोशल मीडिया में इमान और आईओसी पर ज़ोरदार आक्रमण के बाद कुछ समय के लिए मैंने भी मान किया कि इटालियन बॉक्सर पर बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। लेकिन जब जानने की कोशिश की तो पता चला मामला इतना आसान नहीं है।
जो हमे जेंडर और मानवाधिकार का मामला नज़र आ रहा है वो दरअसल राजनीतिक मामला है। लड़ाई यहाँ बॉक्सिंग के अंतर्राष्ट्रीय संगठन पर वर्चस्व की है और एंजेला और इमान तो केवल मोहरें है।
वर्चस्व की लड़ाई
इस पूरे विवाद की शुरुआत नई दिल्ली के विश्व बॉक्सिंग मुकाबलों से ही हुई थी। जब विश्व चैम्पियनशिप में लिंग पात्रता परीक्षण में विफल होने के कारण इमान को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन इस महीने की शुरुआत में 2024 में उन्हें और ताइवान की लिन यू टिंग को ओलंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मंजूरी दी गई। क्यों? क्योंकि दिल्ली में हुए विश्व चैम्पियनशिप का आयोजन आईबीए ने किया था जिस पर नियंत्रण रशियन उमर क्रेमलेव का था। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संगठन और ओलंपिक समिति की लड़ाई पुरानी है। संचालन, निष्पक्षता और मानव अधिकार के आरोप लगाकर आईओसी ने आईबीए की मान्यता समाप्त कर दी और एक नये समूह का गठन कर ओलंपिक आयोजन का अधिकार उन्हें सौंप दिया।
आईबीए के लिये यह सही मौक़ा था ओलंपिक समिति से बदला लेने का। पहला बयान उन्हीं का आया कि ओलंपिक समिति महिला बॉक्सरों की जान को जोखिम में डाल रही है पुरुष क्रोमोज़ोम वाले खिलाड़ियों को खिलाकर। वे इसलिये भी मज़े ले रहे हैं कि यूरोप के देशों में इस मुद्दे पर फूट पड़ रही है। जवाब में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने कहा: “मैं बस यह कहूंगा कि महिला श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने वाली सभी महिलाएं प्रतियोगिता पात्रता नियमों का पालन कर रही हैं। उनके पासपोर्ट में उन्हें महिला बताया गया है और यही तथ्य है।”
इस संदर्भ में ब्रिटिश बॉक्सिंग विशेषज्ञ स्टीव बन्स ने खेलिफ़ की भागीदारी पर मुक्केबाजों की राय का खुलासा किया, यह दावा करते हुए कि सभी महिला मुक्केबाज उनकी भागीदारी के खिलाफ नहीं हैं। वे कहते हैं, ‘एंजेला कारिनी के प्रति मेरी पूरी संवेदना है, लेकिन आपको खेलिफ़ के प्रति भी थोड़ा सहानुभूति रखनी होगी क्योंकि उसका कोई दोष नहीं है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इमान ख़ेलिफ़ महिला के अवतार में मर्द हैं? आइए इसे तथ्यात्मक रूप से समझते है। विज्ञान के शब्दों में कहें तो इमान ख़ेलिफ़ एक बायोलॉजिकल महिला हैं जिनमें कुछ जैविक असामान्यताएँ हैं। वह “ट्रांस” नहीं हैं और कभी भी नहीं थीं। उनके बारे में यह भ्रम पिछले 20 वर्षों में सांस्कृतिक रूप से उभरी “ट्रांस” प्रवृत्ति के कारण है। वास्तविकता यह है कि वह लड़कियों की तरह ही बड़ी हुईं। बल्कि उसके पिता इस बात के बहुत ख़िलाफ़ थे कि वो लड़की होकर खेलों में रुचि लें।
इमान के XY क्रोमोसोम जैविक असामान्यता हैं और वास्तव में उनके जन्म के समय के शरीर से मेल नहीं खाते। महिला होने के बावजूद इमान खेलिफा के पास अंडाशय नहीं हैं, जिसके कारण वह औसत महिला की तुलना में अधिक टेस्टोस्टेरोन उत्पन्न करती हैं। नोट करने वाली बात यह है कि जब यही बात सेरेना विलियम्स के साथ हुई, तो हर किसी ने उनका समर्थन किया और उनके साथ खड़ा रहा, लेकिन इमान को अपने बारे में इतना सुनना पड़ रहा है। शायद इसलिए भी कि इमान अमेरिकी नहीं हैं और इतनी प्रसिद्ध भी नहीं हैं। इसलिए हर कोई उनके बारे में अविश्वसनीय बकवास कह रहा है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने खुद उनका बचाव किया है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने कहा “मैं बस यह कहूंगा कि महिला श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने वाली सभी महिलाएं प्रतियोगिता पात्रता नियमों का पालन कर रही हैं। उनके पासपोर्ट में उन्हें महिला बताया गया है और यही तथ्य है।”
अब हमारी भारतीय संवेदनाओं के लिए इसे स्वीकारने में शायद दिक़्क़त हो लेकिन यही आज की वास्तविकताएँ हैं और हमें भी आज नहीं तो कल स्वीकारना ही होगा।