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तालिबान में फूट?, काबुल हक़्क़ानी नेटवर्क के कब्जे में तो कंधार मुल्ला याक़ूब के

तालिबान में फूट?, काबुल हक़्क़ानी नेटवर्क के कब्जे में तो कंधार मुल्ला याक़ूब के

एक ओर जहां हक्कानी नेटवर्क ने काबुल पर कब्जा जमा रखा है, वहीं दूसरी ओर, तालिबान के एक गुट की क़यादत मुल्ला याक़ूब के हाथ में है। 

अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा करने में सफल रहे तालिबान ने वहां सरकार बनाने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं और इसे लेकर उसके कुछ प्रमुख लोग तमाम नेताओं से मुलाक़ात भी कर रहे हैं। लेकिन क्या सरकार बनाने को लेकर तालिबान के बड़े नेताओं के बीच फूट पड़ गयी है?

पहले यह समझना ज़रूरी होगा कि तालिबान के चार बड़े नेता कौन-कौन हैं। तालिबान का प्रमुख मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा है। वह 2016 में तालिबान के तत्कालीन प्रमुख मुल्ला मंसूर अख़्तर के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद इस पद पर आया था। इसके बाद नंबर है मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर का। मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान की राजनीतिक शाखा का प्रमुख है। बरादर ने मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की नींव रखी थी और वह तालिबान का प्रमुख रहा है। 

तीसरे नंबर पर सिराजुद्दीन हक़्क़ानी है, वह हक़्क़ानी नेटवर्क का प्रमुख है और तालिबान का उपनेता है। इसके बाद नंबर आता है मुल्ला याक़ूब का। मुल्ला याक़ूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है और तालिबान मिलिट्री कमीशन का प्रमुख है। कहा जाता है कि मुल्ला याक़ूब तालिबान का अगला प्रमुख हो सकता है। 

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर हक़्क़ानी नेटवर्क ने कब्जा कर लिया है। यहां की क़यादत अनस हक़्क़ानी के हाथ में है। अनस हक़्क़ानी, सिराजुद्दीन हक़्क़ानी का भाई है। 

अनस हक्कानी ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला और हिज्ब-ए-इसलामी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार से मुलाक़ात की है। तालिबान की कोशिश है कि हामिद करज़ई और अब्दुल्ला देश की सत्ता मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर को सौंप दें। मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति पद पर काबिज हो सकता है। इस मामले में हक़्क़ानी नेटवर्क का प्रमुख सिराजुद्दीन हक़्क़ानी क्वेटा से निर्देश दे रहा है। 

एक ओर जहां हक्कानी नेटवर्क ने काबुल पर कब्जा जमा रखा है, वहीं दूसरी ओर, तालिबान के एक गुट की क़यादत मुल्ला याक़ूब के हाथ में है और वह अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता को अपने हाथ में लेने के लिए कंधार में बैठकर रणनीति बुन रहा है। कंधार काबुल के बाद दूसरा सबसे बड़ा और अहम शहर है। 

जैश भी मांग रहा हिस्सा

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़, पाकिस्तान का आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भी अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद वहां अपना हिस्सा मांग रहा है। तालिबान की वापसी के बाद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ख़ुशी भी मना रहे हैं। 

भारतीय दूतावासों में छापेमारी 

इस बीच ये ख़बर भी आई है कि तालिबान के आतंकवादियों ने कंधार और हेरात में स्थित भारतीय दूतावासों में पहुंचकर छापेमारी की और अलमारियों को खोलकर कुछ कागजातों की तलाशी ली। वे काबुल के हर घर में जाकर उन लोगों की तलाश कर रहे हैं जो अफ़ग़ानिस्तान की एनडीएस ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम करते हैं।

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