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सपा के सहयोगी दल खुश होकर लौटे, शिवपाल को 6, राजभर को 8, महान दल को 3 और रालोद को 30 सीटें मिलेंगी 

सपा के सहयोगी दल खुश होकर लौटे, शिवपाल को 6, राजभर को 8, महान दल को 3 और रालोद को 30 सीटें मिलेंगी 

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बहुत सधे हुए तरीके से चल रही है। आज उसने अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति पर चर्चा की। जानिए पूरी खबर।

समाजवादी पार्टी ने आज अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक कर अपनी चुनावी रणनीति पर बात की। इसमें रालोद, महान दल, सुहेलदेव पार्टी, प्रसपा, जनवादी पार्टी के नेता शामिल हुए। 

सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष अशोक राजभर ने बैठक से निकलने के बाद मीडिया को बताया कि बातचीत बहुत खुशनुमा माहौल में हुई। हम लोगों ने शपथ ली है कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरी मेहनत करें। सभी लोग गांवों की तरफ निकल रहे हैं। 

राजभर ने कहा कि जल्द ही टिकट फाइनल किए जाएंगे। सुहेलदेव पार्टी के टिकट पहले और दूसरे दौर के चुनाव में घोषित नहीं होंगे। पहले और दूसरे दौर में जिन विधानसभा सीटों पर चुनाव है, पहले वहां की लिस्ट आएगी। सूत्रों का कहना है कि राजभर की पार्टी को 8 सीटें मिल सकती हैं। महान दल के हिस्से में 3 सीटें आ सकती हैं।

प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव की भी अखिलेश से बात हुई है। शिवपाल ने मीडिया को बताया कि हमारे हिस्से में 6 सीटें आई हैं। इस सूची में शिवपाल के बेटे आदित्य का भी नाम है। इसके अलावा शिवपाल की अन्य सीटों में जसवंत नगर, गुन्नौर, सिरसागंज के अलावा बरेली और आजमगढ़ की सीट है। शिवपाल ने आज कहा कि गठबंधन की सभी पार्टियां ईमानदारी से अखिलेश को सीएम बनाने के लिए मैदान में उतरेंगी।

 - Satya Hindi

सपा के साथ गठबंधन में रालोद सबसे बड़ा दल है। उसके साथ सीटों की घोषणा सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और रालोज अध्यक्ष जयंत चौधरी मिलकर करेंगे। समझा जाता है कि रालोद के हिस्से में 30-34 सीटें आ सकती हैं। 

सपा पर बीजेपी के बागी विधायकों को भी टिकट देने का दबाव रहेगा। स्वामी प्रसाद मौर्य बार-बार कह रहे हैं कि बीजेपी के ओबीसी विधायक उनके नेतृत्व में सपा में शामिल हो रहे हैं। जाहिर है कि ये लोग टिकट की शर्त पर ही आएंगे। 

सपा को अब कम से कम चार-पांच सीटें बीजेपी के बागी विधायकों या स्वामी प्रसाद मौर्य के कोटे में देना पड़ेगी।

आज की बैठक में सपा के सहयोगी दल इस बात पर सहमत थे कि सभी टिकटों की घोषणा पहले से न की जाए। जिस दौर का मतदान पहले हो, उसी क्रम में सीटों को घोषित किया जाए। यह सुझाव मूलरूप से अशोक राजभर का था। जिसे सभी दलों ने पसंद किया।   

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