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आरक्षण से 13 प्वाइंट रोस्टर नहीं हटा तो बिन पानी-साबुन मैल छुड़ा देंगे : तेजस्वी

आरक्षण से 13 प्वाइंट रोस्टर नहीं हटा तो बिन पानी-साबुन मैल छुड़ा देंगे : तेजस्वी

विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को लेकर बढ़ते विरोध से बीजेपी के लिए लोकसभा 2019 की राह मुश्किल हो सकती है। यह मुश्किल खड़ी करेंगी एसपी, आरजेडी और बीएसपी। 

विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को लेकर बढ़ते विरोध से बीजेपी के लिए लोकसभा 2019 की राह मुश्किल हो सकती है। यह मुश्किल खड़ी करेंगी एसपी, आरजेडी और बीएसपी। 13 प्वाइंट रोस्टर के ख़िलाफ़ तीनों पार्टियाँ एकजुट हो गई हैं। गुरुवार को संसद भवन परिसर में भी तीनों पार्टियों ने एक साथ प्रदर्शन किया। एसपी के मुलायम सिंह यादव, आरजेडी के मनोज कुमार झा, बीएसपी के सतीश मिश्रा जैसे कई नेता साथ आए। उन्होंने हाथों में तख्तियाँ लेकर प्रदर्शन किया। इससे साफ़ है कि उन्होंने इस मुद्दे को लपक लिया है और इस पर तीनों दल दोनों राज्यों में बड़े स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी में हैं। इस मुद्दे पर एसपी, आरजेडी और बीएसपी का साथ आना बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका हो सकता है। इन तीनों दलों का बिहार और उत्तर प्रदेश में अच्छी पकड़ है और इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 120 सीटें हैं।

तीनों दल 13 प्वाइंट रोस्टर के इस मुद्दे की अहमियत को अच्छी तरह समझते हैं। इस पर उनका ज़ोर कितना है, यह राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव के ट्वीट से भी समझा जा सकता है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘राजद-सपा-बसपा के सांसदों के साथ संसद भवन परिसर में नेताजी ने मनुवादी 13 प्वाइंट रोस्टर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। अगर इन कट्टर जातिवादियों ने 200 प्वाइंट रोस्टर को बहाल नहीं किया तो यूपी-बिहार में बिना पानी-साबुन लगाए इनका मैल छुड़ा देंगे। ये सरकार खुलेआम डाका डाल रही है।’

13 प्वाइंट रोस्टर को लेकर तेजस्वी यादव बिहार की नीतीश सरकार पर भी हमलावर रहे हैं। 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के विरोध में और आरक्षण बढ़ाने की माँग को लेकर उन्होंने बिहार में एक यात्रा भी शुरू की है। वह नीतीश कुमार को आरक्षण को ख़त्म करने में बीजेपी को साथ देने का आरोप भी लगाते रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर नीतीश पर हमला किया। 

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'दलित-पिछड़े सांसदों के क्षेत्र में घुसने नहीं दें'

तेजस्वी ने आरक्षण बढ़ाने की माँग नहीं करने वाले दलित-पिछड़े सांसदों के बहिष्कार करने की अपील की है। एक ब्लॉग लिखकर उन्होंने कहा है, 'अगर आपका सांसद पिछड़ा और दलित है तो उसे अपने क्षेत्र में मत घुसने दो, क्योंकि उन्होंने आपके और बहुजनों का आरक्षण बढ़ाने की माँग नहीं की। ऐसे कायर और डरपोक लोग आपके सांसद बनने के लायक नहीं हैं। अगर वे आपके हक़ के लिए अपनी पार्टी में आवाज़ ही नहीं उठा सकते तो ऐसे सांसदों को धिक्कार है। देश में जितने भी दलित-पिछड़े सांसद हैं उनका बॉयकॉट किया जाए। उन्हें क्षेत्र में घुसने नहीं दिया जाए। उनसे सवाल-जवाब किया जाए।'

13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध क्यों

आशंका है कि विश्वविद्यालयों में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी तबक़ों के लिए कोटा प्रणाली के तहत आरक्षित शिक्षण पदों को लगभग समाप्त कर दिया जाएगा। यह आशंका दो कारणों से है। एक, 200 प्वाइंट वाली रोस्टर व्यवस्था की जगह 13 प्वाइंट वाली रोस्टर व्यवस्था करना। और दूसरा, विश्वविद्यालय के स्तर पर नहीं कर विभाग या विषय के स्तर पर आरक्षण करना। अब बताया जा रहा है कि नयी व्यवस्था में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी तबक़ों की बारी ही नहीं आएगी। 

इसलिए है आशंका 

रोस्टर आरक्षण व्यवस्था में यह तय होता है कि कौन से पद किस श्रेणी में रखे जाएँगे। 200 प्वाइंट रोस्टर का अर्थ है कि 200 पद तक रोस्टर क्रमवार चलेगा, उसके बाद फिर 1 से शुरू होकर 200 पद तक जाएगा। इस हिसाब से 200 प्वाइंट रोस्टर फ़ॉर्मूले में क्रम वार सभी तबक़ों के लिए पद 200 नम्बर तक तय हो जाते हैं। लेकिन 13 प्वाइंट रोस्टर में ऐसा नहीं है।

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  • 13 प्वाइंट रोस्टर के तहत नियुक्तियाँ विभाग/विषय स्तर पर होंगी। इसमें 14 पदों के बाद दुबारा एक नम्बर से रोस्टर शुरू होगा। इसमें सबसे पहले 3 पद अनारक्षित होंगे। उसके बाद चौथा पद ओबीसी होगा। फिर 5 और 6 नम्बर का पद अनारक्षित है। 7 नम्बर का पद दलित य़ानी एससी का है। 8वां पद ओबीसी का है। 9, 10 और 11 नंबर का पद अनारक्षित है। 12 नम्बर का पद ओबीसी का है। 13वाँ पर फिर अनारक्षित हो जाएगा। लेकिन देश के किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में 14 सीटें कभी भी नहीं आएँगी। जब भी विभाग में पद ज्ञापित होगा तो 1 या 3 या 4 या 6 पद ही ज्ञापित होंगे। ऐसे में 14वें नम्बर का पद आदिवासी यानी एसटी के लिए रिज़र्व होना चाहिए, जो आएगा ही नहीं, क्योंकि 13 पदों के बाद फिर 1 नम्बर से गिनती शुरू हो जाएगी।

दलित-पिछड़ों-आदिवासियों की बारी नहीं आएगी

विषयवार नियुक्तियाँ करने में एक दिक्कत है। चूँकि किसी भी विषय में एक, दो, तीन से अधिक पद नहीं होते हैं, इससे हर बार सामान्य वर्ग के उम्मीदवार की ही नियुक्ति होगी। ऐसे में दलित-पिछड़ों-आदिवासियों का नंबर ही नहीं आएगा। चूँकि बैकलॉग का प्रावधान नहीं है तो हर बार नियुक्ति सामान्य वर्ग से ही होगी।

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