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यूपी: सपा के सहयोगी दलों से कहीं बेहतर रहा बीजेपी के सहयोगियों का प्रदर्शन

यूपी: सपा के सहयोगी दलों से कहीं बेहतर रहा बीजेपी के सहयोगियों का प्रदर्शन

अखिलेश यादव को अपने सहयोगी दलों से इस चुनाव में बहुत बड़ी उम्मीद थी लेकिन बीजेपी के सामने उन्हें वैसी सफलता नहीं मिल सकी जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी। 

उत्तर प्रदेश में बीजेपी और सपा की की जीत की बहुत बड़ी जिम्मेदारी उनके सहयोगी दलों पर भी थी। बीजेपी ने जहां निषाद पार्टी और अपना दल (सोनेलाल) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, वहीं समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), महान दल और अपना दल (कमेरावादी) के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी। 

चुनाव नतीजे बताते हैं कि बीजेपी के सहयोगी दलों का प्रदर्शन सपा के सहयोगी दलों से कहीं बेहतर रहा। आइए, इस पर आंकड़ों के जरिए नजर डालते हैं।

सपा के चार सहयोगी दलों ने 57 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 14 सीटों पर जीत हासिल की और इस तरह उनकी सफलता का स्ट्राइक रेट 24.56 फीसद रहा। जबकि दूसरी ओर बीजेपी के दो सहयोगी दलों ने 27 सीटों पर चुनाव लड़कर 18 सीटों पर कामयाबी हासिल की और उनका स्ट्राइक रेट 66.66 फीसद रहा।

सपा के सहयोगी दलों में से राष्ट्रीय लोक दल ने 33 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 8 सीटें जीती। राष्ट्रीय लोक दल को 2.85 फीसद वोट मिले।

ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाली सुभासपा 18 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ 6 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। एक और सहयोगी दल अपना दल (कमेरावादी) ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन वह एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी। पार्टी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल भी प्रतापगढ़ की सीट पर चुनाव हार गईं। सपा ने एक सीट एनसीपी को भी दी थी लेकिन यहां एनसीपी को हार मिली है। 

निश्चित रूप से अखिलेश यादव को अपने सहयोगी दलों से इस चुनाव में बहुत बड़ी उम्मीद थी लेकिन बीजेपी के सामने उन्हें वैसी सफलता नहीं मिल सकी जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी। 

दूसरी ओर, बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 सीटों पर जीत हासिल की। अपना दल (सोनेलाल) ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 सीटों पर जीत हासिल की। अपना दल (सोनेलाल), बीजेपी और सपा के बाद सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली तीसरी पार्टी बनने में कामयाब रही।

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